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अलीगढ़ :अलीगढ़ में पिछले दिनों हुए दो एनकाउंटर में अभी तक पुलिस पर इल्जाम था कि उसने मीडिया को बुलाकर उसकी शूटिंग करवाई लेकिन अब एनकाउंटर में मारे गए नौशाद की मां ने एनकाउंटर फर्जी होने की बात कह रही हैं।
इस घटना के बाद बीते दिनों रिहाई मंच और एमयू छात्र नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ के अतरौली में मुठभेड़ के नाम पर हत्या किए गए मुस्तकीम और नौशाद के परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने सफेदापुर में हत्या किए गए साधू और इस मामले में गिरफ्तार किये गए डॉ यासीन और इरफान के परिजनों से भी मुलाकात की।
मुठभेड़ में मारे गए मुस्तकीम और नौशाद के परिजनों ने रविवार 16 सितंबर 2018 को उठाए जाने की बात बताई। परिवार वालों ने कहा कि उस रात और उसके बाद मंगलवार को पुलिस आई और उनके फरार होने की बात कही जिस पर उन्होंने कहा कि जब पुलिस उसे ले गई थी तो वो फरार कैसे हो गए।
मुस्तकीम की माँ शबाना ने बताया कि उनके बच्चे निर्दोष थे। 16 सितंबर को ही पुलिस उन्हें उठाकर ले गई थी। मुस्तकीम के भाई सलमान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि उसी दिन से उनके पति इरफान का भी कोई अता-पता नहीं है।
नौशाद की माँ शाहीन ने बताया कि बच्चों को मारने के बाद पुलिस वाले उनके साथ रफीकन और शबाना को थाने ले गए थे। बड़े अफसरों की मौजूदगी में उनसे सादे और लिखे कागजों पर अंगूठा लगवाया और देर रात छोड़ दिया गया।
इतना ही नहीं उन्होंने बताया की 24 घंटे पुरुष पुलिसवाले उनके घर पर मौजूद रहते हैं। उन्होंने बार-बार इस बात को कहा कि उन्हें पुलिस पूछताछ के नाम पर लगातार परेशान कर रही है और उन्हें घर के बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है।
परिजनों ने बताया कि नफीस जो मानसिक रुप से विक्षिप्त है को पुलिस ने थाने में बैठाए रखा है वहीं मुस्तकीम के पिता इरफान का भी उस दिन से कोई अता-पता नहीं है। परिजनों को भय है कि कहीं उन्हें भी पुलिस हिरासत में न रखा हो और किसी फर्जी मुकदमें में फंसा दें।
दोनों के परिवार वालों ने बताया कि उनके बच्चों के मारे जाने के बाद से ही वहां पुलिस है। हालांकि इस मामले में पुलिस के मुठभेड़ के दावे के बाद परिजन मीडिया के सामने आए और उन्होंने उनको पहले से पुलिस द्वारा उठाकर ले जाने और मुठभेड़ के नाम पर मारने का आरोप लगाते हुए इंसाफ की मांग की।
इस मामले में रिहाई मंच ने कहा मुस्तकीम और नौषाद के परिजन जहां रहते हैं वहां पुलिस की तैनाती कई सवाल उठाती है कि क्या उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें तैनात किया गया है। अगर ऐसा है तो घर में सिर्फ महिलाएं हैं पर वहां कोई भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। वहीं घटना के बाद घर की महिलाओं को जब थाने में सुबह से देर रात तक रखा गया था जिसपर सवाल उठाने पर अलीगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता मारिया आलम की गाड़ी पुलिस ने सीज कर दी।
सामाजिक कार्यकर्ता मारिया आलम के अनुसार इस पुरे मामले में बाहरी दुनिया से इस परिवार का रिश्ता काट दिया गया है। परिवार की बात की जाए तो उनके छोटे-छोटे बच्चे, और मुस्तकीम की मां, दादी और मुस्तकीम की पत्नी है। गरीबी के कारण इस परिवार को रोटी के लाले पड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय मीडिया में भी खबरें आ चुकी कि बच्चों को भूखे पेट तक सोना पड़ रहा है लेकिन इन सभी के बावजूद आस पास के लोग इन्हे खाना उपलध करा रहे हैं।
बताते चलें कि रिहाई मंच की और से प्रतिनिधि मंडल ने डाक्टर यासीन और इरफान के परिवार से भी मुलाकात की। डॉ यासीन और इरफान को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जिसके बाद डॉ यासीन के परिवार में उनकी पत्नी की तबीयत बेहद खराब है वहीं इरफान की पत्नी का भी बुरा हाल है।