आस मोहम्मद कैफ | मुज़फ्फरनगर
शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले में सैकड़ो किसानो ने कलेक्ट्रेट पहुच कर गन्ना भर दिया. पचास के करीब ट्रेक्टर ट्राली से पहुचे किसान गुस्से में थे. कुछ ऐसा ही हाल बिजनौर और बागपत जिले का रहा. यहाँ भी किसानो ने गन्ना ट्राली में भर कर जिला अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया.
उनका मुद्दा वहीँ दशको पुराना हैं. बंद चीनी मिलें और बकाया गन्ना भुगतान. अब इस मुद्दे पर किसानो का गुस्सा फूट पड़ा हैं. पिछले रविवार को मुजफ्फरनगर जनपद मुख्यालय से 30 किमी दूर सिसौली के पड़ोस भौराकलां गांव में हजारों किसान इकट्ठा हुए ,यह सभी शॉर्ट नोटिस पर आए थे,यह कोई पूर्व घोषित पंचायत नही थी,अचानक से किसानों को लगा कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए रणनीति बनाए जाने की जरूरत है और हजारों किसान जुट गए.
सिसौली वही जगह है जहां किसानों के बड़े नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत पैदा हुए,यहीं भारतीय किसान यूनियन का जन्म हुआ और इसे ही किसान अपनी राजधानी समझते है.
पिछले 2 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन की किसान क्रांति यात्रा जब दिल्ली पहुंची तो पुलिस से संघर्ष हो गया. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक के मुताबिक परिस्थितियों वश और किसानों के फोर्स के साथ टकराव से बचने के लिए हम वहां से लौट आये,मगर सरकार ने हमारी सबसे महत्वपूर्ण दो मांगे नही मानी वो बात अब भी चुभ रही है. भाजपा ने अपने घोषणापत्र में जो वायदा किये थे वो सब झूठे निकले है,किसान को छला गया है. गन्ने का भुगतान अब भी बाकी है,सरकार की सहानभूति मिल मालिकों के साथ है. सीटू फार्मूला अब तक लागू नहीं किया गया है. हम नई रणनीति के साथ सरकार को घेरने का काम करेंगे हमारे लिए किसान हित सर्वोपरि है.
लगभग 25 दिन हो चुके हैं लेकिन किसानो का गुस्सा थम नहीं रहा हैं. भाकियू के राकेश टिकैत आज सुबह 4:30 बजे किसानो के बीच बिजनौर पहुँच गए. तीन घंटे वहीँ रुके. किसान जिला अधिकारी कार्यालय पर धरना जारी किये हैं.
किसानो की पंचायतें जारी हैं. रविवार को ही दूर मीरापुर विधानसभा के गांव भोपा में सुबह 11 बजे लगभग एक हजार किसान इकट्ठा हुए इनका मुख्य मुद्दा गन्ने के भुगतान का रहा,यह एक छोटी पंचायत थी मगर इस तरह पंचायते यहां आसपास खूब हो रही है,यहाँ किसान नेता मनोज बालियान ने कहा किसान 2019 में अब सरकार के खिलाफ जनादेश देगा क्योंकि उनके सभी वादा झूठे साबित हुए है.
कई पंचायतो में अब राकेश टिकैत एलान करते हैं कि जैसे किसानों के साथ पदयात्रा के दौरान पानी की बौछार से स्वागत किया तो किसान 2019 के चुनाव सत्तासीन नेतागणों का उसी अंदाज में स्वागत करेंगे.उन्होंने हमें दिल्ली घुसने से रोका हम भी उन्हें दिल्ली घुसने से ही रोकेंगे.
गौरतलब है पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में गन्ने का विशेष महत्व है यहां की इकॉनॉमी का आधे से अधिक हिस्सा गन्ने पर निर्भर करता है,गन्ने के भुगतान के लिए संघर्ष करके अतीत में कई बड़े नेता बन गए है,गन्ने का भुगतान यहां हमेशा से समस्या रहा है,इस बार सरकार ने 14 दिन में गन्ना के बकाया भुगतान का वादा किया था मगर ऐसा नही हुआ है,गन्ने के मामले में जानकारी रखने वाले शामली के किसान जितेंद्र हुड्डा के मुताबिक 11 हज़ार करोड़ रुपये गन्ने भुगतान के अब तक बकाया है,अब इसी पैसे में किसी किसान के बेटी की शादी होनी और किसी की स्कूल की फीस भी जानी है जाहिर है यह बड़ी रकम किसानों के अरमानों की दौलत है.
चुनाव को नजदीक को देखते हुए सरकार ने 8500 करोड़ रुपए की पेकेज की घोषणा भी की मगर कुल बकाया 22 हजार करोड़ था,अब यह 11 हजार करोड़ रुपये बाकी रह गया है, इस साल जनवरी से मई तक किसानों ने जो गन्ना चीनी को दिया है अभी उसका पेमेंट मिलना बाकी है,फिलहाल किसानों का गन्ना तैयार हो चुका है और देहात में गुड़ निकालने वाले छोटे-छोटे कोल्हू चल रहे है,मिल अभी बंद है,किसान जल्द से जल्द मिल चलवाने की भी मांग कर रहे हैं वरना गन्ना सूखने लगता है और उसका वजन कम हो जाता है.
गन्ना की ताकत को कैराना उपचुनाव में देखा जा चुका है. विजयी प्रत्याशी राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम रही. इसमें रालोद के नेता जयंत चौधरी ने एलान किया था कि यहाँ जिन्ना नहीं गन्ना चलेगा.
मुजफ्फरनगर के किसान राजपाल सिंह बताते है कि मूल समस्या क्या है वो कहते है”मैंने 10 बीघा ज़मीन पर खेती की और 5 लाख रुपये का गन्ना मिल को सप्लाई किया मिल ने मुझे सिर्फ सवा लाख रुपये दिया है बाकी के लिए मैं बाट जोह(प्रतीक्षा) रहा हूँ, मेरे बच्चो के स्कूल की फीस नही जा पा रही और मुझ पर कर्ज भी काफी हो गया है परिवार में शर्मिंदगी होती है कभी कभी बहुत गुस्सा आता है मजदूर पैसा मांग रहे है बच्चो की दवाई तक उधार आती है”. राजपाल जैसे 35 लाख किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं.
किसान जगह-जगह एकजुट हो रहे है जैसे बिजनोर अमरोहा और संभल के कई गांवों में भाजपा नेतागणों के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है, यहां गांव के बाहर बोर्ड लगा है कि’भाजपाइयों का प्रवेश मना है, बिजनोर के किसान पिछले 40 दिन से लगातार धरने पर है यह धरना धामपुर में चल रहा है यहां तहसील के अंदर ही उन्होंने अपने पशु बांध रखे है दो दिन पहले उनके दो भैंस यहां मर गई, यहां के किसान अफजलगढ़ के किसानों को उनका मालिकाना हक दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इस दौरान महापंचायत का भी ऐलान किया गया है.
किसानों ने 25 तारीख तक चीनी मिल चलने का अल्टीमेटम दिया था वरना गन्ना कलक्टर के दफ्तर में भरने की चेतावनी दी थी. चीनी मिलें तो अभी तक चली नहीं प्रशासन एक नवम्बर से मिलें चलवाने की कह रहा हैं.
लेकिन किसानो की लामबंदी और गुस्सा आने वाले लोक सभा चुनाव में कुछ भी गुल खिला सकती हैं. सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटें जीत ली थी और रालोद के अजीत सिंह और जयंत चौधरी भी हार गए थे. इस बार किसान खुल कर सत्ता के विरोध में आ रहा हैं.