आस मोहम्मद कैफ बुलंदशहर, TwoCricles.net
नंदलाल जाटव (43) स्याना के चेयरमैन है. वो बताते हैं कि दुनिया मे सबसे अच्छे लोग यहां रहते हैं,यहां के मुसलमानों ने सहयोग कर उन जैसे गरीब मजदूर को चेयरमैन बना दिया चिरंगावठी की यह घटना अत्यंत तक़लीफ़ में डाल रही है.इसने उन्हें विचलित किया है.
नंदलाल अकेले नही है स्याना बुलंदशहर की घटना ने यहां बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर कर दिया है, यहां के स्थानीय निवासी मजीद (46)(बदला हुआ नाम) कहते है “देश मे हिन्दू संगठन अब पुलिस पर हमला करने से भी नही झिझक रहे,यह घटना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी शर्मनाक है,दुःख यह भी है अब आरोपियों को बचाने के राजनीतिक प्रयास दिखाई दे रहे हैं।स्याना हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल है जिस गांव में गौकशी को लेकर यह बवाल हुआ वहां मुसलमानों की आबादी ही नही है,बहुत से संकेत मिलते है कि इस बवाल का मकसद अत्यंत गंभीर था जिसे इंस्पेक्टर सुबोध राठौर की शहादत ने नाकामयाब कर दिया”.
स्याना बुलंदशहर जनपद के सबसे बड़े कस्बों में एक है और हिन्दू संगठनों के सभी नामजद आरोपी इसी थाने क्षेत्र है यहां हिन्दू-मुस्लिम एकता वाली साझा संस्कृति है. पिछले बार यहां कांग्रेस के दिलनवाज़ खान विधायक थे अब भाजपा के देवेंद्र सिंह लोधी उत्तर प्रदेश विधानसभा में स्याना का प्रतिनिधित्व करते है. स्थानीय लोग मानते है कि जबसे भाजपा के विधायक और सूबे में भाजपा सरकार बनी है तो स्थानीय युवाओं में कट्टर हिंदुत्व उबाल मार रहा है.
स्याना में हिन्दू-मुस्लिम की आबादी में 60:40 का अनुपात है. बुलंदशहर के दरियापुर में हो रहे इज़तीमा में यहां से दूरी 45किमी दूरी पर था. यहां पिछले तीन दिन से हिन्दू मुस्लिम मिलकर इज्तिमा में जा रहे लोगो का स्वागत कर रहे थे. उनके लिए भंडारा का आयोजन किया गया था. जिस प्रकार से पिछली कावंड़ यात्रा में मुस्लिमों ने शिविर लगाकर भोले के भक्तों की सेवा की थी, उससे स्थानीय हिन्दू समाज मे बेइंतहा खुशी थी और इज्तिमा के लिए आने वाले अकीदतमंदों को पूरी सब्जी और लड्डू का भंडारा चल रहा था. इस भंडारे के आयोजक स्याना के अरविंद शर्मा बताते है उनके साथियों ने मिलकर 50 हजार लोगों के खाने की व्यवस्था की थी. स्याना के इतिहास में कभी साम्प्रदायिक झगड़ा नही हुआ है. हाल ही में हुई रामलीला में मुसलमानों का बड़ा सहयोग रहा था और रामलीला कमेटी ने मुसलमानो को अपने मंच पर बुलाकर सम्मान किया था. इज्तिमा में शिरकत करने जा रहे अकीदतमंदों के लिए बुलंदशहर में एक शिवमंदिर के दरवाजे खोल दिये गए थे जहां मुसलमानो ने नमाज पढ़ी थी. पुलिस ने भी बेहतरीन व्यवस्था की थी,चौतरफा पुलिस की तारीफ हो रही थी, कावंड़ियों की तरह हिन्दू समाज इज़तीमा मे आ रहे अकीदतमंदों को सम्मान दे रहा था.
उस दिन क्या हुआ —
3 दिसम्बर को सुबह सुबह 9 बजे से पहले स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को पास के एक गांव महाब के एक भूतपूर्व प्रधान ने फ़ोन करके बताया कि एक खेत मे गोवंश के अवशेष पड़े हुए हैं. यह जगह स्याना से 5 किमी दूरी पर है.स्याना जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी एक बड़ा कस्बा है. स्याना कोतवाल सुबोध कुमार तुरंत मौके पर पहुंच गए. खेत मे दो या तीन जानवर के अवशेष थे,पुलिस सूत्रों की माने तो यह स्पष्ट नही था कि वो गाय के ही थे. 10 बजे सुबोध कुमार ने इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी. वहां मौजूद बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओ ने बताया कि वो जंगलो में घूम रहे थे तो उन्हें यह अवशेष मिले. बाद में बजरंग दल के जिला संयोजक की और से दर्ज हुई रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख है कि वो अपने कुछ साथियों के साथ जंगल मे घूम रहे थे. उसके बाद उन्होंने भूतपूर्व प्रधान को बताया और उसके भूतपूर्व प्रधान ने पुलिस को सूचना दी.
इसके बाद बजरंग दल के अग्रणी लोगो ने आसपास के लोगो को इसके सूचना दी और मौके पर लोगो को इक्क्ठा करना शुरू किया यहां बड़ी संख्या में बजरंग दल से जुड़े युवा जुटने लगे. स्याना से 3 किमी दूर नयागांव के जिन सात लोगो को योगेशराज ने नामजद किया है उनमें से 2 नाबालिग है और 5 उस दिन गांव में नही थे.
सुबह 10 बजे ही भीड़ ने हंगामा करना शुरू कर दिया. मुरादाबाद हाईवे पर स्थित करीब की चिरंगावठी पुलिस चौकी पर पुलिस का संख्याबल कम था. बजरंग दल के इन्ही कार्यकर्ताओं ने इन गोवंश के कथित अवशेषों को ट्रैक्टर में लाद लिया और स्याना के मुख्य मार्ग पर जाम लगा दिया यह मार्ग मुरादाबाद-बरेली मार्ग है और इस पर अत्यधिक आवाजाही चल रही थी. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार लगातार इन युवकों को समझाने की कोशिश कर रहे थे. कुछ लोग बताते हैं कि जिम्मेदार लोगों ने उनकी बात मान ली थी मगर युवाओं में आक्रोश भरा हुआ था. जाम लगभग एक घण्टे तक रहा,पुलिस ने हिकमत आज़माते हुए इज़तीमा से लौट रहे अकीदतमंदों रास्ता बदल दिया. इरादा भांप कर पुलिस ने लाठियां पटकाकर जाम खुलवाने की कोशिश की जिसमें वो कामयाब हो गए. इस सब तक 12 बज गए और सीओ स्याना एसपी शर्मा भी वहां आ गए, पुलिस ने नामजद एफआईआर करने और तत्काल गिरफ्तारी करने की प्रदर्शनकारियों की बात मान ली. अवशेषों को अपने कब्ज़े में लेकर दबाने का प्रयास करने शुरू कर दिए. इसके बाद अचानक से बात फिर बिगड़ गई और युवक आक्रोशित हो गए. चिंगरावठी चौकी पर पथराव होने लगा,पुलिस ने हवा में गोलियां चलाई,आक्रोशित युवाओं ने तमंचे से सीधे पुलिस पर गोलियां चलाई, पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा, गोली गन्ने के खेत में से चलाई जा रही थी,बवाल को संभालने की जद्दोजहद में जुटे स्याना कोतवाल सुबोध कुमार राठौर को आंख ऊपर गोली लगी और उल्टे मुँह गाड़ी से नीचे गिर गए।
इसके बाद बुलंदशहर के स्याना में हुई इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या के बाद सीओ एसपी शर्मा को जिंदा जलाने के प्रयास भी किया गया. उन्हें चौकी की दीवार तोड़ बचाया गया,यह भी जानकारी है कि उनके साथ थप्पड़बाजी भी हुई,कई पुलिसकर्मी इस बात को मीडिया और अपने अधिकारियों के सामने कह चुके है कि वो अगर जान बचाकर न भागते तो उन्हें मार दिया जाता. गोकशी की सूचने के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचे स्याना के तहसीलदार के अनुसार गोवंश के अवशेष पेड़ो और गन्ने के खेतों पर टांगे गए थे,सामान्यतय ऐसा नही होता है. अब तहसीलदार साहब इस विषय पर बात नही कर रहे हैं.
शहीद सुबोध कुमार के साथी पुलिसवाले बताते है कि भीड़ बहुत ज्यादा तो नही थी,इन्हें बार-बार समझा लिया जाता था वो मान जाते थे मगर तभी अचानक कुछ युवक हंगामा करना शुरू कर देते थे. जैसे उन्हें किसी से निर्देश मिल रहे हो! सवाल खड़ा होता है जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की सभी बात मान ली थी तो फिर क्या एकमात्र उद्देश्य बवाल ही था. बवाल के दौरान की कुछ वीडियो वायरल हो रही है. इनमें से एक में इंस्पेक्टर सुबोध अपनी गाड़ी से गोली लगने के बाद गिर गए है. 2बजे इंसपेक्टर सुबोध राठौर की मौत हो जाती है. इसके बाद भी बवाल जारी रहता है. लगभग 20 वाहन जला दिए जाते हैं चौकी में आग लगा दी जाती है.
पुलिस विभाग में अपनी बहादुरी के लिए सुबोध एक खास पहचान रखते थे,दादरी के चर्चित बिसाहड़ा कांड में अख़लाक़ की गाय के नाम पर की गई हत्या के विवेचक वो ही थे और उन्होंने बेहद निष्पक्ष और बेहतरीन विवेचना की थी. वहां हुए बवाल में भी गोली चलाई गई थी जिसमे राहुल यादव नाम के हिन्दू युवा कार्यकर्ता की मौत हो गई थी, इस मामले में सुबोध कुमार के विरुद्ध मजिस्ट्रेटिव जांच चल रही थी.
लेकिन अब इस घटना का राजनीतिकरण होने लगा है और न्याय की उम्मीद मंद हो गई है,बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह खुलकर हिंदुत्व संगठनों के पक्ष में उतर आए है. हालात यह है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस थाने के प्रभारी ने कल रात स्थानीय पत्रकारों को फोन कर बुधवार सुबह 10 बजे अपने थाना परिसर पहुंचने का अनुरोध किया था कि उनके साथी इंस्पेक्टर सुबोध राठौर की बुलंदशहर में शहादत हो गई है. जिसका विभाग के लोगो मे अत्यंत दुःख का माहौल है. वो अपने थाने परिसर में एक श्रंद्धाजलि सभा का आयोजन कर रहे हैं, पत्रकार और कुछ गणमान्य नागरिक नियत समय पर थाने पहुंच गए,इसके बाद यह सभा नही हुई,भरे मन से थाना इंचार्ज ने बताया कि उच्च अधिकारियों ने इसके लिए मना कर दिया, पुलिस सूत्रों के अनुसार अधिकरियों ने शहीद के लिए एक दिन वेतन दे रहे हैं वो काफी है और किसी श्रंद्धांजलि सभा की आवश्यकता नही है.
पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश पुलिस की कुछ शहादतें काफी उत्तेजक रही है,इनमे मार्च 2013 में प्रतापगढ़ में हुई सीओ जियाउलहक की शहादत, जून 2016 में एसपी मुकुल द्विवेदी की शहादत और इसी साल शामली में एनकाउंटर के दौरान सिपाही अंकित तोमर की शहादत शामिल है,इन सभी मे शहीद को जरूरी सम्मान मिला है और न्याय की दिशा में कार्रवाई हुई है,अंकित तोमर की शहादत के बाद तो पुलिस में जबरदस्त कैम्पेन चला और सोशल मीडिया पर तमाम बड़े अफसरों ने डीपी बदल ली थी.
रिटायर्ड इंस्पेक्टर लाखन सिंह के मुताबिक उस तरह की इच्छाशक्ति और समर्पण का अभाव साफ दिखाई दे रहा है.इंस्पेक्टर सुबोध कुमार निश्चित तौर पर बहादुरी के साथ शहीद हुए है वो हर प्रकार के सम्मान के हक़दार है. इससे पहले शहीद सुबोध राठौर के पुत्र अभिषेक बुलंदशहर में अपने पिता के शव तिरंगे में न लपेटने को लेकर सवाल उठा चुके हैं. हालांकि इसके बाद यूपी पुलिस के माध्यम से गलती सुधार ली गई.यूपी पुलिस के एडीजीपी आनंद कुमार ने स्पष्ट किया कि इंस्पेक्टर सुबोध राठौर निश्चित तौर पर हमारे लिए शहीद है. इसके बाद एटा पुलिस लाइन में उन्हें पूरा सम्मान दिया गया।यहां उनके शव को तिरंगे में भी लपेटा गया.
इस बवाल के बाद मंगलवार को चिरंगवठी चौकी प्रभारी सुभाषचंद्र ने 27 हमलावरों को नामजद करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई. इस रिपोर्ट में बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज प्रवीण को मुख्य आरोपी बनाया गया साथ ही भाजयुमो के पूर्व नगर अध्यक्ष शिख़िर अग्रवाल समेत विहिप के कुछ लोगो को भी नामजद किया गया.अब योगेशराज सोशल मीडिया पर प्रकट हुआ है और खुद को निर्दोष बता रहा है,पुलिस के मुताबिक वो ही बवाल का नेतृत्व कर रहा था.
एसएसपी बुलंदशहर केबी सिंह के मुताबिक इन सभी की गिरफ्तारी के लिए 6 टीमों का गठन हुआ और लगातार दबिश दी गई,चार आरोपी गिरफ्तार हुए इनमे योगेश राज के गिरफ्तार होने की भी चर्चा हुई,बाद में उसकी गिरफ्तारी से इंकार कर दिया गया और फरार बता दिया गया. एडीजीपी आनंद कुमार ने मुख्य आरोपी योगेश राज के लिए “उनका नाम भी नामित है ” जैसे शब्दों का प्रयोग किया था. बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विषय पर एक कठोर पत्र लिखा है जिसमे बवाल के दौरान मरे युवक सुमित के परिवार को 10 लाख रुपए की सहायता देने के निर्देश है साथ गौकशी करने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया गया है. इस पत्र में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राठौर का जिक्र नहीं है जिस पर सवाल उठ रहे हैं!
स्थानीय लोग मानते है कि पुलिस पर हमले में हिंदूवादी संगठनों पर आरोप है और स्थानीय सांसद भोला सिंह पूरी तरह से आरोपियों के पक्ष में उतर गए है,इसलिए अब सुबोध कुमार के असली हत्यारों के गिरेबान तक पुलिस के हाथ पहुंचगे इसकी सम्भवना कम है.