आस मोहम्मद कैफ़। TwoCircles.net
लखनऊ।
लखनऊ से सटे हुए उन्नाव ज़िले में शासकीय अधिवक्तों (सरकारी वकीलों) की नियुक्ति को लेकर सियासी बवाल मच गया है। कड़े सवाल उठ रहे हैं। उन्नाव में 9 शासकीय अधिवक्तों की नियुक्ति की गई है। इनमे से 8 ब्राह्मण हैंं और एक कायस्थ है। यानी सभी सवर्ण तबके से हैं। सवर्णों में भी सिर्फ ब्राह्मण और कायस्थ। सरकारी सरकारी वकीलों की इन नियुक्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के बिल्कुल विपरीत माना जा रहा है। इन्हें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं।
समाजवादी पार्टी इससे पहले भी पुलिस थानों में एकतरफा राजपूत बिरादरी के लोगोंं को इंचार्ज बना देने और अधिकतर जनपदों की कमान एक ही जाति के लोगो देने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा पर सवाल खड़ा कर चुकी है। पहले ठाकुर वाद के आरोपों को झेल रहे योगी पर अब ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे हैं। लखनऊ के सपा नेता नरेंद्र सिंह कहते हैं, ‘इस बात की पुख्ता वज़ह है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते समय यादवों की सरकार कहकर प्रचार करने वाली बीजीपी अब जवाब दे कि यह फैसला सर्वहित में क्यों नहीं है? एक ही जाति के लोगोंं को इसमे तव्वजों क्यों दी गई है? उस दौरान मीडिया का एक समूह भी पूरी ताक़त से अखिलेश सरकार के ख़िलाफ़ प्रोपगेंडा चला रहा था। उसे अब भी बोलना चाहिए। अखिलेश पर आरोप लगाने वाली बीजेपी ख़ुद जातिवाद फैला रही है।’
सपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि सूबे में बीजेपी की योगी सरकार जमकर सरकारी महकमों में ब्राहमणों की नियुक्तियां कर रही है।उन्नाव से यह सिद्ध होता है इससे पहले भी ऐसा हुआ है ख़ासकर शासकीय अधिवक्तों में ब्राह्मणों की नियुक्ति की जा रही हैं। सूबे के क़ानून मंत्री बृजेश पाठक है और वो लखनऊ के ही रहने वाले हैं।
यह नियुक्ति बुधवार को योगी सरकार की तरफ़ से उन्नाव ज़िले में शासकीय अधिवक्ताओं की गई है। इनमें 9 पदों में 8 नियुक्तियां ब्राहमण जाति से की हैं, जबकि एक नियुक्ति कायस्थ जाति से की गई है।ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों में से एक भी नाम इसमेंं नहींं है। सपा नेताओं ने इस पर तंज करते हुए कहा है कि अक्सर बीजीपी के तमाम बड़े नेता जातिवाद के ख़िलाफ़ बोलते हैं और कहते हैं कि वो सबको एक समान समझते हैं। मगर ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।वो यह है जो आप उन्नाव में देख रहे हैं।
उन्नाव में नियुक्त किए गए अधिवक्ताओं के नाम शैलजा शरण शुक्ला (ज़िला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), योगेन्द्र कुमार तिवारी (ज़िला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), विनोद कुमार त्रिपाठी (ज़िला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), चन्द्रिका प्रसाद वाजपेयी (अपर ज़िला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), प्रशांत त्रिपाठी (सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), अनिल त्रिपाठी (ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), प्रदीप श्रीवास्तव (सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), हरीश अवस्थी (सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) और विनय शंकर दीक्षित ( सहायक ज़िला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) हैं।
योगी सरकार में जातिवाद को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने भाषण में कहा था कि, “हम पर बीजेपी ने आरोप लगाया कि हमारी सरकार ने भेदभाव किया था। बीजेपी ने कहा था कि ये यादवों की सरकार है। लेकिन योगी सरकार में इस समय एक भी जिलाधिकारी यादव नहीं हैं।” फ़िलहाल अब मुज़फ़्फ़रनगर जनपद में अभिषेक यादव को पुलिस कप्तान के तौर पर तैनात हैंं। ये हैरान करने वाली बात है कि यूपी में इतनी बड़ी आबादी वाली ओबीसी जातियों में से एक (यादव जाति) के एक भी यादव डीएम और एसपी नहीं हैं! इसके बाद एक दो जगह परिवर्तन हुए हैं।
समाजवादी नेता राजपाल कश्यप के मुताबिक अब यह सरकार को बताना चाहिए कि जब अखिलेश सरकार में सभी डीएम और एसपी यादव थे तो वो कहाँ चले गए? इसका यह मतलब है सरकार ने उन्हें भेदभाव करते हुए हटा दिया है। सरकार ने अपने जिन लोगो को उनकी जगह तैनाती दी है वो किस तरह के लोग हैंं यह उन्नाव में शासकीय अधिवक्ताओं इस सूची से समझा जा सकता है।
बता दें कि अखिलेश सरकार में बीजेपी ने 86 एसडीएम में से 56 यादवों की भर्ती करने का आरोप लगाया था। इसलिए अब समाजवादी पार्टी के नेता सबसे ज्यादा आगबबूला हैंं। पूर्व मंत्री कुलदीप उज्ज्वल के अनुसार तमाम पिछड़ी जातियों को भी सूबे की सरकार पूरी तरह नजरंदाज कर रही है। यादवों के प्रति तो वो पूर्वाग्रह से ग्रस्त लगती ही है मगर अन्य पिछड़ी और दलितों को प्रतिनधित्व नही दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि वो मात्र दो ऊंची जातियों की सरकार है।