आसमोहम्मद कैफ़। Twocircles.net
नई दिल्ली।
तबलीग़ जमात ने अपने मरकज़ निज़ामुद्दीन पर लगने वाले तमाम इल्ज़ामों पर जवाब देते हुए कहा है उन्होंने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की तरफ़ से जारी लागू किए गए कंप्लीट लॉक डाउन के नियमों का पूरी तरह पालन किया है। मरकज की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन को यहां मौजूद लोगों की जानकारी थी। मरकजध ने प्रशासन से दूरदराज़ से आए लोगों को उनके घर भेजने के लिए 17 वाहन वाहनों की मंजूरी मांगी थी लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मंजूरी नहीं दी।
मरकज़ की तरफ़ से जारी किया गया बयान को हुबहू अंग्रेजी में आप हमारी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं। इसमें कहा गया है कि मरकज़ में सालाना कार्ययक्रम की तैयारियां चल रही थी। जिसमें बैरूने मुल्क (विदेशों )से लोग आते हैं। इसका प्रोग्राम साल भर पहले से तय किया जाता है। जब मरकज़ में लोग यहां पहुंचे थे तो उसी दौरान लॉक डाउन का ऐलान हो गया। इसके लिए वज़ीरे आज़म मोदी ने 22 मार्च को आवामी कर्फ्यू के लिए कहा था। उसी दौरान इन लोगों को यहीं पर रोकने का फैसला किया गया।
बयान में कहा गया है कि उसके अगले ही दिन वज़ीरे आज़म ने पूरे मुल्क के लॉक डाउन का फैसला किया। जिसके बाद मुल्क भर के इमरजेंसी हालात में ट्रेनें और पूरी यातायात व्यवस्था को बंद कर दिया गया। जो लोग आए थे।निज़ामुद्दीन तबलीग़ी जमात मरक़ज़ में लोगों को ट्रेनों या फिर दूसरी जगह से बाहर जाना था लेकिन बंद के चलते वह जा नहीं पाए। हालांकि इस बात को लेकर दिल्ली पुलिस ने मरकज़ को नोटिस भी दिया था.और मरक़ज़ का कहना है कि वो भी दिल्ली पुलिस के राब्ते में थे।
मरक़ज़ ने कहा कि हमने दिल्ली पुलिस से बात की और बताया कि 24 तारीख को की तक़रीबन 15 लोग यहां से भेजे जा चुके हैं। अलग-अलग तरीक़े से जबकि अभी भी बहुत लोग हैं। कुछ गाड़ियों के नंबर पुलिस को लिख कर दिए गए थे। हम पुलिस से लगातार बातचीत कर रहे थे कि हमें बाहर कोई रास्ता दिखाया जाए। मरक़ज़ से जाने के लिए के लिए लगातार बात की जा रही थी और एहतियात रखा जा रहा था।
मरक़ज़ ने कहा कि हमने दिल्ली पुलिस से बात की और बताया कि 24 तारीख को की तक़रीबन 15 लोग यहां से भेजे जा चुके हैं। अलग-अलग तरीक़े से जबकि अभी भी बहुत लोग हैं। कुछ गाड़ियों के नंबर पुलिस को लिख कर दिए गए थे। हम पुलिस से लगातार बातचीत कर रहे थे कि हमें बाहर कोई रास्ता दिखाया जाए। मरक़ज़ से जाने के लिए के लिए लगातार बात की जा रही थी और एहतियात रखा जा रहा था।
25 को हेल्थ विभाग की टीम मरक़ज़ में आई थी और उसने सभी को चेक किया था। इसके बाद 26 को फिर 28 मार्च को डब्ल्यूएचओ हेल्थ डिपार्टमेंट समेत कई लोग आए थे। कचछ लोगों की तबियत ख़राब थी। ज़ुकाम खांसी की हालत में थे। इसके बाद भी लगातार कई मीटिंग एसडीएम एसीपी के साथ की गई थी। 30 तारीख़ को एक हवा फैलाई गई कि मरकज़ में कई लोग कोरोना मुतास्सिर हैं।फिलहाल यहां से अभी तक 900-1000 लोगों को क्वारंटाइन के लिए ले जाया गया है। बताया जा रहा है कि मरकज़ में अभी भी अनुसार अभी 300-400 लोगों हो सकते है जिनकी जांच कराई जाएगी।
मरकज़ के ज़िम्मेदार मौलाना युसुफ़ के मुताबिक वो शुरू से दिल्ली पुलिस प्रशासन,एस डी एम, WHO के अधिकारियों के सम्पर्क में थे जिसके सबूत हमारे पास लिखित में मौजूद हैं। मीडिया मरकज़ मामले में ग़लत कवरेज कर रही है और साजिश के तहत मरकज़ को बदनाम किया जा रहा है।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक 157 लोगो की एक सूची जारी है। यह सभी लोग निज़ामुद्दीन मरकज़ में जलसे के दौरान मौजूद थे। पुलिस इन सभी क्वारन्टीन करने की योजना बना रही है। इनमे मुजफ्फरनगर, बिजनोर, सहारनपुर, इलाहाबाद और लखनऊ के लोग है।यह सभी जमात में गए थे और इन्होंने मरकज़ के प्रोग्राम में शिरकत की थी। इनमे से कुछ का उनके परिवार वालों से संपर्क टूट गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन सभी पर वर्क आउट करने के लिए तमाम जिलों की पुलिस को निर्देश जारी किए हैं। इनके नाम और मोबाइल नंबर सार्वजनिक हो गए हैं जिनमे इनके परिजनों ने आपत्ति जताई है। विभिन्न पुलिस कप्तानों ने अपील कर इनके बारे में सूचना देने की अपील की है।
जानकारी के मुताबिक ये सभी लोग 40 दिन और चार महीने की जमात में गए थे। प्रदेश के विभिन्न इलाकों में रुके हुए थे। इनमे से एक मुज़फ्फरनगर निवासी ख़लील के पुत्र अब्दुल मालिक ने हमें बताया कि बहुत जानकारी के बाद भी उन्हें यह नही पता चल पाया है कि उनके अब्बू कहाँ है! बताया गया है कि किसी अस्पताल में भेजा गया है। मगर वो किस अस्पताल में है इसकी कोई जानकारी नही मिल रही है।
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