आस मोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
बिजनौर के हल्दौर थाना क्षेत्र के शाहनगर इलाक़े के राशन डीलर धर्मपाल सिंह किसी से नही डरते। इस गांव के लगभग 300 राशन कार्ड धारक याचक की तरह उनके दरबार पर दस्तक देते हैं और वो जो चाहे करते हैं। जिसे चाहते हैं राशन देते है ,जितना चाहते हैं उतना देते हैं। गांव के युवा सूर्यकांत बताते हैं कि वो कहते है कि उनकी लाठी मज़बूत है। कोरोना के इस संकट काल मे भी राशन के कोटे में सेंध लगाने वाले ऐसे लोग ही असली देशद्रोही है। गांव के ही सुरेंद्र चौधरी बताते हैं कि बड़े अधिकारियों तक शिकायत करने कोई जा नहीं। पाता राशन लेने आने वाले सभी ग़रीब लोग हैं। निचले स्तर के अफ़सर डीलर के अपने हैं।
सुरेंद्र बताते हैं, ‘हमारे गांव की स्थिति तो यह है,शायद ही किसी को पूरा राशन मिल रहा हो। डीलर दबंग है। सवाल करने वालों की पिटाई भी कर चुका है। वीडियो भी वायरल हुए है। मगर कोई कुछ बिगाड़ नही पा रहा।’ राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैँ। मगर इनका कहना है कि यहां वो होगा जो मैं कहूंगा। यह दिखता भी है। राशन वितरण में इनकी मनमानी है। इससे ज्यादा में आपको इनके उत्पीड़न की कहानी बता नही सकता”।
कोरोना के संकट काल में राशन वितरण एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। हाल ही उन्होंने ऐलान किया है कि जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें भी राशन दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने यहां तक कह दिया है कि घुमन्तु जातियों को भी सरकार राशन देगी। मगर राशन डीलरों का हाल देखकर ऐसा लगता है कि जब राशन कार्ड वालों को ही राशन नही पहुंच पा रहा है तो ऐसे लोगो लोगों तक राशन पहुंचाना और भी बड़ी चुनौती होगी।
उत्तर प्रदेश में कुल 3 करोड़ 7,971 राशन कार्ड धारक हैं। इनमे कुल 13 करोड़, 36 लाख 78 हज़ार 317 लोगों को राशन भिजवाने का दावा खाद्य रसद विभाग करता है। ये सभी पात्र है। इन्हें जांच पड़ताल के बाद ग़रीब मानते हुए राशन कार्ड जारी किए गए हैं। राशन कार्ड जारी करते पूरी एक तहसील स्तर की। प्रकिया होती है। कई बार राशन कार्ड स्थानीय नेतागणों के निकट वाले लोगो का भी बन जाता है।
ज़ाहिर है एक बहुत बड़ी संख्या बिना राशनकार्ड वाले लोगों की है। सरकार ने घोषणा की है वो ऐसे ग़रीब लोगों को भी राशन देगी। जिनके पास कार्ड नहीं है। इसमे अभी सर्वे प्रकिया चल रही है। नियम के अनुसार ज़मीन पर प्रति व्यक्ति 3 किलो गेंहू और 2 किलो चावल मिलते हैं। कोरोना संकट के समय यह राशन अब महीने में दो बार मिलने की बात कही गयी है। एक बार सरकार बिल्कुल मुफ्त दे रही है जबकि दूसरी बार 2 रुपए प्रति किलो गेंहू और 3 रुपये प्रति किलो चावल के पैसे लेती है। कोढ़ में खाज यह है कि ज़मीन पर यह प्रयास राशन डीलर नाकाम कर रहे हैं। बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ ,सहारनपुर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जनपदों से ऐसी शिकायते आई हैं कि राशन डीलर कम राशन दे रहे हैं। सरकार ने शिकायत के लिए 18001800150 नम्बर जारी किया है।
मुज़फ्फरनगर जनपद के यासीन बताते हैं कि शिकायत करने पर हुई कार्रवाई की उन्हें कोई जानकारी नही है। उनका राशन डीलर अभी भी कम राशन दे रहा है। वो बहुत अधिक परेशान कर रहा है। यासीन टेलर मास्टर का काम करते हैं। लॉकडाउन के चलते उनके जैसे बहुत सारे लोग अब खाने पीने के संकट से जूझ रहे हैं। वो कहते हैं, ‘कोरोना देशभर के लिए संकट है। मगर राशन डीलर इसे अवसर समझ रहे हैं। इस बार उन्हें काफी राशन मिल रहा है मगर वो किसी को भी ईमानदारी से राशन दे रहे हैं।’
देश भर में कोरोना राहत पैकेज के तहत अब तक मात्र 22 फीसदी अतिरिक्त राशन वितरण हुआ है। यानी सामान्य दिनों की तुलना में 15 राज्यों के 270 जिलों में सिर्फ 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। देश में 75 फीसद राशन कार्ड धारकों को ही इसका लाभ मिला है।यह आंकड़े सरकारी है। कोरोना संकट के दौरान केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जारी की थी। इस दौरान 13.27 लाख मिट्रिक टन अनाज आवंटित किया था। 15 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 21.82 फीसदी अनाज का ही वितरण किया गया है।
राहुल गांधी हालांकि इस और कह चुके हैं कि सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में अनाज है। वो इसे जनता के बीच बंटवाये। जिन 15 राज्यो में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के बने 5.70 करोड़ राशन कार्डो में 1.43 राशन कार्ड पर अब तक अतिरिक्त राशन मिला है। बिहार, दमन एवम दीव, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड और महराष्ट्र भी शामिल हैं।
महाराष्ट्र के लातूर जिले के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमर मोरे बताते हैं कि बिल्कुल यही समस्या यहां भी है। राशन डीलर डंडी मार रहे हैं। वो ईमानदारी से राशन नही दे रहे हैं। सबसे मुश्किल यह है कि उनके गांव में आधे से अधिक लोगो के पास राशन कार्ड नही है। जबकि आर्थिक स्थिति इनकी भी अच्छी नही है। सरकार को हर एक परिवार की राशन की समस्या को समझना होगा। यह ही सबसे मुश्किल होने वाला है। ऐसे लोग भी हैं जो ख़ानाबदोश है। सड़कों के किनारे है। इनके पास राशन कार्ड तो दूर आधार कार्ड भी नही है। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ उनका ईमानदाराना ज़मीनीकरण भी निहायत ही जरूरी है।