आसमोहम्मद कैफ़ ।Twocirclws.net
डॉक्टर कफ़ील खान की रिहाई रास्ता साफ हो गया है। प्रयागराज उच्च न्यायालय ने उन पर लगाई गई रासुका(एनएसए) को निरस्त कर दिया है। व्यवहारिक भाषा मे इसे एनएसए टूटना कहते हैं। इसी के साथ डॉक्टर कफ़ील खान की रिहाई के रास्ता पूरी तरह खुल गया है अब वो बाहर आ जाएंगे। डॉक्टर कफ़ील अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दी गई एक हेट स्पीच के मामले में मथुरा जेल में है। इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है। इसके लिए उन्हें 60-60 हजार के दो जमानती देने होंगे।
2017 में गोरखपुर में बीआरडी मैडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के बाद उन्होंने अपने निजी खर्चे पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की थी। वो इसके बाद हीरो बन गए थे। सरकार की भारी किरकिरी के बीच उनका हीरो बनना कुछ आंखों को खटक गया और उसके बाद से उनका अधिकतर समय जेल में ही गुजर रहा था।
डॉक्टर कफ़ील इस बार 29 जनवरी को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद उनके विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई। 14 फरवरी को जब उनकी रिहाई होने ही वाली तो उनको रासुका के तहत जेल में ही रखना का आदेश आ गया था। तब से वो मथुरा जेल में बंद है।
पिछले एक महीने से डॉक्टर कफ़ील को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासत काफी बढ़ गई थी। कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने उनकी हिरासत को पूरी तरह ग़लत बताते हुए उनकी रिहाई की आवाज़ उठाई थी। अखिलेश यादव पहले से ही ऐसा कर रहे थे। चंद्रशेखर आज़ाद भी काफी मुखर होकर डॉक्टर कफ़ील के पक्ष में बोल रहे थे।
फिलहाल डॉक्टर कफ़ील पर 12 दिसंबर को एएमयू के बाबा सय्यद गेट पर विरोध प्रदर्शन के दौरान लगभग एक हजार बच्चों के सामने भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में 2017 में इंसेफेलाइटिस से हुई बच्चों की मौत के मामले में उन्हें निजी प्रैक्टिस चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था और बाद में अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया।
अलीगढ़ जिलाधिकारी द्वारा उन पर रासुका लगाएं जाने के फैसले के ख़िलाफ़ डॉक्टर कफ़ील की मां नुजहत प्रवीन ने उच्च न्यायालय में अर्जी दी थी। जिसमे सुनवाई के लिए समय नही मिल पा रहा था। इसे बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका कहते हैं। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अलीगढ़ डीएम द्वारा 13 फरवरी 2020 को एनएसए का पारित आदेश ग़ैरकानूनी है। डॉक्टर कफ़ील को अवैध हिरासत में लेने का विस्तार भी ग़लत है। डॉक्टर कफ़ील को तुरंत रिहा करने का आदेश जारी किया जाता है।
डॉक्टर कफ़ील की पिछले 3 महीनों में 12 तारीख़ के दौरान एक बार भी सुनवाई नही हो पाई थी। हैरतअंगेज यह था कि हैट स्पीच मामले में अलीगढ़ की सीजीएम की अदालत से जमानत मिलने के बाद उन्हें चार दिन तक रिहा नही किया गया था। 29 जनवरी से कफ़ील जेल में बंद है।
यह स्पीच उन्होंने सीएए कानून के विरोध में दी थी। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा ने उनकी मां नुजहत प्रवीन द्वारा दायर याचिका पर केन्द्र औऱ राज्य सरकार दोनो से जवाब तलब किया था।
पिछले दिनों कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से डॉक्टर कफ़ील खान के मामले में संवेदनशीलता दिखाने का अनुरोध किया था। प्रियंका ने इसके लिए एक चिट्ठी लिखी थी जिसमे उन्होंने कहा था कि “मुख्यमंत्री महोदय,इस पत्र के माध्यम से डॉक्टर कफ़ील का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहती हूं। ये अब तक 450 से ज्यादा दिन जेल में गुजार चुके हैं। डॉक्टर कफ़ील ने कठिन परिस्थितियों में निस्वार्थ भाव से लोगो की सेवा की है”।
उनकी रिहाई पर प्रतिक्रिया देते हुए शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा है कि यह सच्चाई की जीत है। सरकार अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके उन्हें जेल में रख रही थी। उन्हें खुशी है कि वो बाहर आ रहे हैं। अदालत ने उनके भाषण को राष्ट्रीय एकता बढ़ाने वाला बताया है। यह बेहद सुखद है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने नुजहत परवीन की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया गया है।