अब आप शायर से ‘नेता ‘के ‘फुल मॉड’ में आ गए हैं ! लाठी खा रहे हैं ! हर राजनीतिक मुद्दे पर मुखर हैं !
इमरान प्रतापगढ़ी-
ज़ुल्फो और लबों- रुख़सार की शायरी तो मैं कल भी नही कहता था। शायरी तो हमारी कल भी इंक़लाबी थी। लोगों को जगाने का काम करती थी। मैं अपनी कलम और आवाज़ से हरदम मजलूमों की बात कहता रहा हूँ। कितने शायर दर्द बांटने के लिए किसी मज़लूम के घर जाते हैं ! मैं जाता था ! जाता रहूंगा। चाहे नजीब हो यह पहलू खान,अख़लाक़ ,जुनैद और सीएए के प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोली से मरे हुए लोग ! मैंने सबके दर्द को साझा किया है ! मैंने यह सब एक शायर की नज़र से नही देखा है ! एक इंसान और उसकी इंसानियत की नज़र से देखा है। इनके दर्द को नजदीक से महसूस किया। किसी का बेटा और भाई बनकर तक़लीफ़ को समझा। उसके बाद इनकी तकलीफ को दुनिया से साझा किया ! इस सबके बीच मुझे महसूस हुआ कि इस तक़लीफ़ को सिर्फ इंसाफ से दूर किया जा सकता है ! इंसाफ हुकूमत के नजरिए से आता है ! बस इसलिए संघर्ष कर रहे हैं। अब लाठी खा रहे हैं तो कल फूल भी हमारे ही होंगे !
इमरान प्रतापगढ़ी –
मेरा ग्लैमर अभिनेताओं वाला नही है। वो एक अलग दौर था। चुनावों में सेलिब्रिटी आते थे। फ़िल्मी डायलॉग सुनाते थे। लोग उन्हें देखने आते थे। वो अपनी बात रख ही नही पाते थे। अब ‘शो पीस ‘ का दौर नही है। डिजिटल युग मे जनता का ज्ञान उफ़ान पर है। बिहार का मतदाता तो वैसे भी देश का सबसे बुद्धिमान मतदाता है। वो सब जानता और समझता है। वो सोशल मीडिया पर सक्रिय है। बिहार मुझे जानता है। बहुत सारे महागठबंधन के कैंडिडेट ने अपने पार्टी नेतृत्व से मांग की है कि मुझे उनके विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए भेजा जाए। यह संख्या 100 से ज्यादा विधानसभाओ की है। इनमें मेरी पार्टी कांग्रेस के अलावा राजद के लोग सबसे ज्यादा है। मैं समझता हूं कि ख़ासकर बिहार का नोजवान मुझे प्यार करता है ! लोग मुझे सुनने आते हैं।
आप ‘बिहारी’ तो है नही ! बिहार के बारे में कितना जानते हैं !
इमरान प्रतापगढ़ी –
मगर लग ऐसा रहा है कि है कि भाजपा और नीतीश कुमार से भी ज्यादा आपसे तक़लीफ़ ‘मजलिस’ के लोगों को है !
इनको ( मजलिस,एआईएमएम ) तो हर एक दूसरे राजनीतिक दल के मुसलमान नेता से तक़लीफ़ है। आज़म खान से, गुलाम नबी आजाद से, तारिक़ अनवर से,शकील अहमद से, इनका आई टी सेल लगातार मुस्लिम नेताओं की इज्ज़त पर कीचड़ उछालने की कोशिश करता रहता है। बीजीपी के आईटी सेल और इनमे कोई अंतर नही। इनकी सोच है कि ये जिसे सर्टिफिकेट देंगे वो मुसलमान नेता होगा ! ओवेशी और बीजीपी के कार्यकर्ताओं में कोई फर्क नही, दोनों की ‘ कारकर्दगी ‘ एक जैसी है !
समझा जा रहा है कि आप मजलिस का काम ख़राब कर देंगे ! सीमांचल में मजलिस की तरफ़ युवाओं का झुकाव है और इन्ही युवाओं में आपकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है ! यह भी कहा जा रहा है कि आप ही ओवैशी की राजनीतिक काट है क्योंकि दोनों का प्रशंसक समूह एक ही मिजाज का है !
इमरान प्रतापगढ़ी –
मजलिस हैदराबाद के बाहर जहां भी चुनाव लड़ती है। सबका काम खराब करने के लिए लड़ती है। उनके यहां से प्रचार हो रहा है कि हम महागठबंधन को 50 सीटें हरा देंगे। अब महागठबंधन को हरा देंगे तो जीतेगा कौन ! नीतीश और मोदी ! तब ओवैशी सीधे एनडीए में शामिल होकर चुनाव क्यों नही लड़ लेते ! तब इनके कोटे में एक सीट नही आएगी ! जिस उपेंद्र कुशवाहा को इन्होंने नेता माना है वो भी अब तक मोदी सरकार में ही शामिल थे। पिछले बार किशनगंज में मजलिस ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा ! पांच पर जमानत जब्त हो गई। एक पर इनके प्रदेश अध्यक्ष बामुश्किल जमानत बचा पाए ! उत्तर प्रदेश में इनका सोशल मीडिया का आईटी सेल वाला वर्चुअल कार्यकर्ता मायावती को बुरा भला कहता है और बिहार में उनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ रहा है। मजलिस को जवाब देना चाहिए कि सेकुलर दलों को कोसने वाले उनके ‘कायद’ ने 2 प्रतिशत समाज के नेता ‘उपेंद्र कुशवाहा ‘ के नेतृत्व में चुनाव लड़ना क्यों कुबूल कर लिया ! बिहार का युवा समझदार है वो इनके चक्कर मे नही आने वाला !
लेकिन बिहार में मुसलमानों की नाराजग़ी तो कांग्रेस के साथ भी है !
इमरान प्रतापगढ़ी –
इस सबके बीच 17 फ़ीसद मुसलमान ‘जलेबी’ की तरह उलझ गया है और बहुत अधिक कंफ्यूज है !
इमरान प्रतापगढ़ी –
कोई कन्फ्यूजन नही है। बिहार की अवाम बेहद जागरूक है। यह कन्फ्यूजन सोशल मीडिया पर दिख रहा है मगर बिहार की ज़मीन पर ऐसा कोई कन्फ्यूजन नही है। बिहार की अवाम ओवैशी साहब से सवाल पूछेगी कि वो सीएए प्रोटेस्ट के दौरान यूपी में मारे गए निर्दोषों के घर क्यों नहीं गए ! मायावती से पूछा जाएगा ! वो हाथरस क्यों नही गई !राहुल गांधी तो गए ! प्रियंका गांधी तो सीएए प्रदर्शन के दौरान मारे गए तमाम लोगों के घर गई ! ओवैशी सिर्फ भाषणबाजी करते रहे ! बिहार का आदमी राजनीतिक जागरूक है। मुसलमानों को अच्छी तरह पता है कि उनका मक़सद क्या है ! 2015 के चुनाव में भी कोई कन्फ्यूजन नही था। एकतरफ़ा महागठबंधन को वोट हुआ था मगर नीतीश कुमार ने धोखेबाजी की और मुसलमानो के दिल को तकलीफ पहुंची है ! सीएए एनआरसी पर उन्होंने दोहरी चाल चली। एक तरफ कह रहे थे लागू नही होने देंगे ! दूसरी तरफ़ अब भी भाजपा के बगलगीर है। मुसलमानों का स्टैंड क्लियर है !