हमारे संवाददाता किशनगंज नेहाल अहमद ने बिहार के सबसे पिछड़े हुए इलाके के निवासियों से बात की और जानने की कोशिश की आखिर सीमांचल की समस्या की जड़ में क्या है ! सीमांचल के लोगों के ख्यालात उन्ही की ज़बान में पढ़िए –
किशनगंज विधानसभा शहरी इलाके के नदीम हसन कहते हैं कि ” शहर में अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है । शिक्षा, रोज़गार एवं स्वास्थ्य पर ख़ासा ध्यान देने की ज़रूरत है। स्थानीय इलाकों के कई कार्यों में पूरी तरह से मोहर नहीं लगाया जा सकता । राजकीय विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों के सत्र के अनियमितता से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्थानीय कॉलेज जब तक बीएन मंडल यूनिवर्सिटी से जुड़े थे उसकी वजह से सत्र में अनियमितता बहुत थी लेकिन मैं कॉलेज से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ नहीं हूँ लेकिन जैसा कि अब सुनने को मिला है कि पूर्णिया कॉलेज से अब एफिलिएशन के बाद की स्थिति में सत्र में पहले से काफ़ी सुधार आया है । मुस्लिम क़यादत के सवाल के जवाब में कहा कि मुस्लिम, दलित एवं पिछड़े लोगों की अपनी सियासी आवाज़ होनी चाहिए ” पिछले कुछ महीने पूर्व हुए किशनगंज विधानसभा उपचुनाव में एआईएमआईएम की जीत के बाद के इलाके स्थिति की बात कहते हुए बताया कि पिछले 6 महीने तो लगभग लोकडाउन ही रहा । उन्हें एक मौका देना चाहिए । अगर स्थानीय एआईएमआईएम अगर ठीक ढ़ंग से काम नहीं कर सकी तो क्या हैदराबाद के साख को नुकसान होगा के सवाल के जवाब में इस बात से इंकार करते हुए कहा कि पार्टी की स्थानीय यूनिट पार्टी की विचारधारा एवं उसके शीर्ष से चलती है । किसी बीज को लगाने पर ही वो एक रोज़ पौधा बनता है । वक़्त को लगेगा !
किशनगंज विधानसभा क्षेत्र के हॉस्पिटल रोड स्थित एक चाय की दुकान पर Twocircles.net के संवाददाता ने कुछ आर्थिक रूप से निचले तबकों के लोगों से भी बात की जिसमें पारंपरिक रिक्शाचालक, रोज़ कमाने-खाने वाले व अन्य लोग शामिल थे । कई लोगों ने अपनी-अपनी समस्याओं को बताया यहां राजू ने कहा कि ” इंदिरा आवास के 2 लाख उन्हें मिल गया, पहली किस्त में 50,000 रुपये, दूसरी किस्त में 1 लाख रुपये मिले जबकि 1 किस्त अभी बाकी है वो अटका हुआ है, उसके लिए 20,000 रुपये की मांग की जा रही है अब पता नहीं क्या जाने आख़िर ये पैसे क्यों नहीं आ रहे !
पारंपरिक रूप से पैंडल वाले रिक्शाचालक निमुधन पासवान कहते हैं कि 15-16 वर्ष की आयु से रिक्शा चलाते और रेलवे परिसर में रहते हैं । लालू, राजीव को वोट दिये हुए हैं । आगे बड़े ही मार्मिक तरीके से कहते हैं कि “सर ! आखिर हम नागरिक हैं कि नहीं ? हम लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है, कोई भी आता है जूते-लात भी दिखा देता है, ई-रिक्शा के आने के बाद हम पारंपरिक रिक्शावालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । हमारे रोज़गार पर इसका ख़ास असर पड़ा है। सरकार ई रिक्शा के लिए लोन देने की बात करती है ! हमारे पास तो रहने का व्यवस्था भी नहीं है तो हम लोन लेकर क्या करेंगे ! हम क़िस्त नही दे पाएंगे ! किसी को हमारी परवाह नही है !
हमारी बात सुन रहे एक और बुजुर्ग लगन महतो कहते हैं ” सरकार लोन नहीं देता है, काहे ! हमरा राशन क्यों बंद है ? कितना लीक पर दियें…! कितना लीक पर दियें….! मुखिया को दियें, कोई आता है लिखने के लिए उ पैइसा लेकर चल जाता है, अभी तक कोई राशन नहीं भेजा तो क्यों ? कोई राशन अभी तक नहीं मिला चलिये हम बाजार में चाहे महल्ला में पूछिये…तभी एक शख़्स ने मेरा काम आसान कर दिया… लगन मोतीबाग़ में रहते है वो कहते हैं, हम पढ़े लिखे नहीं है वरना सरकार का मूँह बंद कर दिये होते…! लगन ठेला चलाते हैं वो बताते हैं कि ‘नून-रोटी चल जाता है ठेला चलाकर के’…..! दो बच्चे पढ़ रहे हैं. ‘ स्कूल में जो बच्चे लोग को एडमिशन कराने के लिए जाते हैं तो वहां तो पैसा लगता ही है, हम लोग हरिजन क्लास के हैं, हम तो यही सोंच रहे हैं कि बच्चे मेरे पढ़ कर थोड़ा कुछ आगे बढ़ें !