मीना कोटवाल, Twocircles.net
राजधानी दिल्ली के द्वारका में एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पत्रकार , दलबीर वाल्मीकि एक लोकल न्यूज़ के लिए काम करते थे. इसके साथ ही वे सीवर और नाले साफ करने का काम भी करते थे.
ये घटना 17 फरवरी की है, जब देर रात को अचानक दलबीर को एक कॉल आता है. रात लगभग 12 बजे दलबीर को पास के मेट्रो स्टेशन बुलाया जाता है. लेकिन वहां से वापस घर कभी नहीं आ पाए क्योंकि वहीं उनकी गोली मारकर हत्या कर दी जाती है.
दलबीर के भाई रिंकू हरिद्वार दलबीर की अस्थि विसर्जन प्रथा के लिए गए हुए हैं. उनसे फोन पर ही बात होती है, जो बताते हैं कि मेरा भाई बहुत सीधा था और बहुत मेहनती भी. उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. उसके साथ ऐसा कौन कर सकता है हम नहीं जानते.
दलबीर दिल्ली के द्वारका के झुग्गी- झोपड़ी कॉलोनी में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ किराए के एक मकान में रहते थे. उनके घर से कुछ ही दूरी पर उनकी पत्नी रानी का परिवार रहता है. जिस दिन दलबीर की हत्या हुई उस दिन पड़ोस के कुछ लोगों ने सबसे पहले उनके यहां ही दलबीर के बारे में सूचित किया था.
दलबीर की सास कहती है कि जब रात अचानक कॉल आया जिसमें कहा गया कि मामा जी मेट्रो के नीचे आ जाओ और पैसे ले जाओ. मेरी बेटी रानी ने रोका भी था कि इतनी रात को क्यों पैसे लेने जा रहे हो, जो भी है उन्हें घर में बुला लो. लेकिन घर में जगह की कमी के कारण दलबीर कहते हैं कि रात में उन्हें यहां ठहराना सही नहीं. इसलिए वे बाहर ही मिलने चले गए. रानी बच्चों के साथ सो जाती हैं लेकिन इसी बीच रात पौने एक बजे करीब हमें एक पड़ोसी का कॉल आया कि जीजाजी (दलबीर) मेट्रो के पास गिरे हुए हैं उन्हें लेकर चले जाओ.
दलबीर की सास और रानी की मां चंद्रावती बताती हैं, फोन आते ही मेरे बेटे और बहु दलबीर को लेने जाते हैं. लेकिन वहां पहुंच कर पता चलता है कि उनकी मौत हो चुकी है.”
रानी की भाभी भी इस बीच बताती हैं कि जब हम पहुंचे तो वहां खून ही खून था. मानो उनके शरीर का सारा खून निकल कर सड़क पर बह रहा था. हम देखकर डर भी गए थे कि इन्हें अचानक हो क्या गया है.
दलबीर की सास चंद्रावती दलबीर के बारे में बताती हैं कि वे मीडिया में भी काम करते थे और सफाई का भी काम करते थे. वे बहुत ही गरीब थे इसलिए उन्हें नाली साफ करने का काम मिलता तो मना नहीं करते थे. जब जहां जैसा काम आता वो करते थे.
दलबीर Wake Up Delhi News से भी जुड़े हुए थे. वे वहां फ्रीलांस के तौर पर काम करते थे. उनके पास परमानेंट जॉब नहीं थी. इसलिए समय रहते साफ-सफाई का काम भी कर लेते थे.
दलबीर की पत्नी रानी अपने बच्चों के साथ दलबीर के पैतृक गांव गई हुई हैं. वे परेशान तो हैं ही लेकिन डरी हुई भी हैं, जिस वजह से वे किसी से बात करना पसंद नहीं कर रही हैं. अपनी मां चंद्रावती के कहने पर वे हमसे बात करती हैं जिसमें वे बताती हैं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए बस उन्हें और उनके बच्चों को इंसाफ़ मिले और दोषी को सजा हो.
रानी बताती हैं उन्हें फोन पैसे लेने के लिए आया था. दलबीर ने कुछ पैसे उधार मांगे थे किसी से क्योंकि उनकी बड़ी बेटी की तबीयत काफ़ी समय से खराब थी जिसके लिए पैसों की जरूरत थी. लेकिन मुझे नहीं पता था कि वे वापस ही नहीं आएंगे.
रानी बताती हैं, “रात बारह बजे के करीब फोन आया था. किसी ने उन्हें बाहर बुलाया था. मैंने जाने से मना किया था लेकिन वे कहकर गए कि दस मिनट में आता हूं. लेकिन वे वापस फिर कभी नहीं आए.”
जिस व्यक्ति का रात फोन आया था उसके बारे में पूछने पर रानी बताती हैं कि उसका नम्बर सुमन नाम से सेव था लेकिन फोन पर कोई गुरमीत नाम का व्यक्ति था. गुरमीत और सुमन के बारे में रानी कहती हैं, “मैंने इससे पहले कभी इनका नाम नहीं सुना और ना मैं इन्हें जानती हूं. मेरे पति (दलबीर) ने भी कभी इन लोगों के बारे में ज्यादा तो कुछ नहीं बताया लेकिन ये जरूर कहते थे कि वो लड़का बहुत अच्छा है.”
दिल्ली जैसे शहर में रात में अचानक एक पत्रकार की हत्या कई सवाल खड़े करती है. इस पूरे मामले के बारे में द्वारका के डीसीपी संतोष कुमार मीणा मुताबिक ये मामला देखने में जैसा लग रहा है वैसा है नहीं. हालांकि दोषी गुरमीत को अरेस्ट कर लिया गया है. जो दलबीर का खुद का भांजा है.
वे कहते हैं, “दरअसल गुरमीत की शादी 28 फरवरी को होनी है और शादी में गुरमीत को बारात में फायरिंग करने के लिए हथियार चाहिए था. लीगल हथियार का अरेंजमेंट दलबीर ने ही करवाया था. वही देने के लिए दलबीर, गुरमीत से रात को मिलने गया था.”
डीसीपी मीणा बताते हैं कि जब गुरमीत हथियार लेने आया तो वहां उस से एक्सीडेंटल फायरिंग हो गई यानि गलती से गुरमीत से ट्रीगर चल गया और गोली लगने से दलबीर की मौत हो गई. गोली दलबीर के सिर में लगी जिसकी वजह से वहीं दलबीर की मौत हो गई.
हालांकि डीसीपी मीणा ये भी साफ करते हैं कि हमने एक्सीडेंटल वाला मामला कहीं लिखा नहीं है लेकिन हकीकत स्टोरी यही है, जैसा कि हमें वहां मौजूद सीसीटीवी कैमरे की फूटेज से भी पता चला है और गुरमीत का भी यही कहना है. लेकिन हम अभी भी इस केस की पूरी तफ़्तीश कर रहे हैं, चूंकि केवल गुरमीत के कहने भर से हम इसे पुख्ता नहीं मान सकते.
पुलिस के मुताबिक पैसों का लेन-देन भी इसी हथियार के लिए ही हुआ था. इस केस में अभी और छानबीन चल रही है और पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है.