स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net
सुप्रीम कोर्ट ने गोरखपुर में दरगाह मुबारक ख़ान शहीद मामले में सुनवाई करते हुए दरगाह के किसी भी ढांचे को तोड़ने पर रोक लगा दी हैं और साथ ही इसी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया हैं। दरगाह के याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर की थी।
गोरखपुर के बेतियाहाता स्थित दरगाह मुबारक ख़ान शहीद के याचिकाकर्ता द्वारा दरगाह के विध्वंस को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, दायर याचिका में विध्वंस के आदेश को खारिज करने और अधिकारियों को आगे विध्वंस करने से रोकने का अनुरोध किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परिसर अधिनियम, 1972 के तहत लंबित कार्यवाही के निस्तारण तक रोक लगा दी है और इसी मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को नोटिस जारी किया है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने की। याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि एसपी गोरखपुर 9 मार्च को दरगाह के विध्वंस की कार्रवाई करने के लिए पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति करेंगे। तब अदालत ने आगे के विध्वंस पर रोक लगाकर याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी हैं।
जानकारी के अनुसार काफ़ी समय पहले गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने दरगाह की जगह को अनधिकृत संपत्ति माना है और दरगाह को कोई नोटिस जारी किए बिना, निर्माण को ध्वस्त करने का काम किया था। ट्रायल कोर्ट द्वारा 1963 में दरगाह के मामले में दिए गए फैसले को भी गोरखपुर विकास प्राधिकरण से अवगत कराया गया था जिसका फैसला दरगाह के हक़ में था। निर्माण के एक हिस्से के विध्वंस के बाद, गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने दरगाह के याचिकाकर्ता से संपत्ति पर अपना अधिकार साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा था।
दरगाह की तरफ़ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में विध्वंस करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर करी गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को खारिज़ कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विध्वंस पर रोक लगा कर याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की हैं।
याचिका में कहा गया है कि विध्वंस हिस्से में हज़रत मुबारक खान दरगाह और मस्जिद का एक मकबरा है, जो ईद और बक़रीद पर नमाज अदा करने के लिए बहुत समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके साथ ही हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों की एकता का प्रतीक होने के कारण दोनों समुदायों के लोगों रोजाना यहां आते हैं। इस दरगाह में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोगों की आस्था है।
गोरखपुर के बेतियाहाता में नारम हज़रत मुबारक ख़ान की दरगाह हैं। इस दरगाह का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। दरगाह से जुड़े लोग बताते हैं कि मुंशी प्रेमचंद में इस दरगाह को लेकर गहरी आस्था थी वह यहां चादर भी चढ़ाया करते थे।