आकिल हुसैन।Twocircles.Net
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे से संबंधित एक मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस पर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में जांच एक हास्यास्पद तरीके से की गई हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं थी। कोर्ट ने यह भी कहा हैं कि पुलिस ने बहुत ही लापरवाह और संवेदनहीन तरीके से काम किया हैं। इससे पहले भी कई बार अदालतें दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस को कई बार फटकार लगा चुकीं हैं।
पिछले वर्ष फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के दौरान मोहम्मद नासिर की बाईं आंख में गोली लग गई थी। पीड़ित मोहम्मद नासिर ने भजनपुरा थाने में नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौर के ख़िलाफ़ उन्हें गोली मारने की शिक़ायत दर्ज़ कराई थी। लेकिन पुलिस द्वारा कोई एफआईआर दर्ज नहीं करी गई थी।
इसके बाद पीड़ित नासिर ने दिल्ली पुलिस द्वारा उसकी शिकायत न दर्ज़ करने को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने मोहम्मद नासिर की एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को आदेश दिए थे। दिल्ली पुलिस ने नासिर की शिकायत की बगैर जांच करें दिल्ली दंगे की एक अन्य घटना की एफआईआर में उसको जोड़ दिया था , जिसमें नासिर का कुछ लेना देना नहीं था।
बाद में दिल्ली पुलिस नासिर की एफआईआर दर्ज करने के कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए सत्र न्यायालय का रुख किया था। सत्र न्यायालय ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर रोक लगाकर इस मामले की पूरी सुनवाई करी थी। कड़कड़डूमा कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस को फटकारते हुए पीड़ित नासिर की एक अलग एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने मामले की सुनवाई करते हुए भजनपुरा एसएचओ समेत अन्य अधिकारियों पर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा है कि यह लोग अपने वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहें हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में आरोपियों को बचाने की कोशिश करी हैं।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की कार्यवाही बेहद हास्यास्पद है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच में बहुत ढिलाई दिखाई हैं और साथ ही लापरवाही से जांच करी गई है जिससे समझ में आता है कि पुलिस आरोपियों को बचाने का काम कर रही थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि इन मामलों की जांच सही तरीके से की जाए।
कोर्ट ने इस ऑर्डर की कॉपी दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी भिजवाई है। कोर्ट ने कहा है कि कहा कि इस मामले की जांच और निगरानी का स्तर पुलिस कमिश्नर की नजर में भी आना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से कहा कि इस मामले को देखते हुए सुधार के लिए कदम भी उठाए जाएं। साथ ही कोर्ट ने कहा हैं कि शिक़ायतकर्ता पुलिस के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए कोर्ट जा सकता है। शिकायतकर्ता मोहम्मद नासिर की तरफ़ से कोर्ट में वकील महमूद प्राचा पेश हुए थे।
पिछले वर्ष फरवरी माह में सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें लगभग 53 लोगों की जाने चली गई थीं। दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस ने दिल्ली के कई छात्र नेताओं, समाजिक कार्यकर्ता को दंगे करवाने के आरोप में गिरफ्तारी करा था। अभी हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगों के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ़ इकबाल, जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलीता को जमानत दी हैं। हाईकोर्ट ने तीनों को जमानत देते हुए कहा था कि विरोध करना संवैधानिक अधिकार है और इसे गैरकानूनी गतिविधि यानी यूएपीए कानून के तहत आतंकी गतिविधि नहीं कहा जा सकता हैं, इससे लोकतंत्र को खतरा पैदा हो जाएगा।
यह कोई पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने दिल्ली दंगो के मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है। इससे पहले भी दिल्ली दंगो से जुड़े कई मामलों में कोर्ट ने पुलिस को फटकारा हैं। कोर्ट भी कई बार कह चुका हैं कि दिल्ली दंगों की जांच में पुलिस का रवैया निष्पक्ष नहीं रहा, पुलिस एकतरफा कार्रवाई और जांच कर रही हैं। अभी भी दिल्ली दंगो के आरोप में छात्र नेता उमर खालिद, मीरान हैदर, गुलफिशा,शादाब, खालिद सैफी,शिफा उर रहमान, शरजील इमाम समेत कई लोग जेल में कैद हैं।
इस मामले में पीड़ित मोहम्मद नासिर कहते हैं कि उन्हें न्याय पाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा हैं। वे कहते हैं कि पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी, पुलिस तमाम बहाने बनाती थी जिससे एफआईआर न दर्ज करना पड़े। नासिर कहते हैं जब उन्हें धमकियां मिलने लगी तब वो अपनी सुरक्षा और एफआईआर दर्ज करवाने के लिए कोर्ट गए लेकिन पुलिस का रवैया उनके प्रति सही नही था। वे कहते हैं कि एक तरह से दिल्ली पुलिस ने उनका काफ़ी शोषण करा हैं।
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी Two circles.net से कहते हैं कि यह कम से कम बीसवीं बार हैं जब कोर्ट ने दिल्ली दंगो की जांच पर सवाल उठाए हैं। पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि यदि सिस्टम ईमानदारी से दिल्ली दंगो की जांच करे तो पता चल जाएगा कि दिल्ली दंगो के असली अपराधी बाहर घूम रहे हैं। पंकज कहते हैं कि आज जरूरी हो गया है कि दिल्ली दंगों की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से करवाई जाए।