स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 अगस्त से शुरू हो रहें मोहर्रम को लेकर गाइडलाइंस जारी करी हैं। सरकार द्वारा जारी करी गई गाइडलाइंस पर विवाद खड़ा हो गया हैं।गाइडलाइंस में मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच कटुता और दरार बढ़ाने की कोशिश करी गई है। सरकार द्वारा जारी करी गई गाइडलाइंस ड्राफ्ट को लेकर शिया समुदाय विरोध में उतर आया है। शिया धर्मगुरुओं ने सरकार से मोहर्रम को लेकर जारी गाइडलाइंस ड्राफ्ट को बदलने की मांग की हैं।
आगामी 10 अगस्त से इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम शुरू हो रहा है। इस्लाम धर्म में मोहर्रम का महीना शिया और सुन्नी दोनों मुसलामानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मोहर्रम मनाया जाता है। 680 ईस्वी में मोहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में नरसंहार हुआ था और लड़ते-लड़ते हजरत इमाम हुसैन शहीद कर दिए गए थे। तभी से मोहर्रम का त्योहार मनाने की परंपरा है।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कार्यालय से मोहर्रम को लेकर दिशानिर्देश जारी करे गए हैं। कोविड को देखते हुए प्रदेश में मोहर्रम जुलूस की अनुमति नहीं दी गई है। डीजीपी ने इसको लेकटपर जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दे दिए हैं।डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों को धर्म गुरुओं से संवाद बनाने, सभी महत्वपूर्ण स्थलों की चेकिंग करने, बीट स्तर पर हालातों का परीक्षण कर व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस महानिदेशक कार्यालय से जारी गाइडलाइंस ड्राफ्ट ड्राफ्ट को लेकर बखेड़ा भी खड़ा हो गया हैं। गाइडलाइंस ड्राफ्ट में मुस्लिम समुदाय के दो तबके शिया और सुन्नी के बीच मतभेद कराने और दोनों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश का आरोप लगा है। गाइडलाइंस में शिया समुदाय पर इल्ज़ाम लगाया गया है कि शिया समुदाय मुहर्रम में धार्मिक कटुता को बढ़ावा देते हैं।
सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस ड्राफ्ट में कहा गया है कि मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय के लोगों द्वारा तबर्रा पढ़ें जाने पर सुन्नी समुदाय द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की जाती है। गाइडलाइंस ड्राफ्ट में आगे कहा गया है कि शिया वर्ग के असमाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक स्थानों, पतंगों और आवारा पशुओं पर तबर्रा लिखे जाने से शिया और सुन्नी के बीच कटुता व्याप्त की जाती है जिससे विवाद की संभावना रहती है।
इसके अलावा मोहर्रम के गाइडलाइंस ड्राफ्ट में मुसलमानों के तमाम फिरके के बीच दरार डालने की कोशिश भी करी गई है। गाइडलाइंस ड्राफ्ट में कहा गया है कि मोहर्रम में मुस्लिम समुदाय के शिया और सुन्नी द्वारा व्यक्त किये जाने वाले शोक व ताज़ियादारी का देवबंदी/अहले हदीस फिरके के मुसलमान विरोध करते हैं जिससे अतिसंवेदनशील अवसर उत्पन्न होता है।
मोहर्रम की इन विवादित गाइडलाइंस के विरोध में मुस्लिम समुदाय उतर आया हैं। शिया धर्मगुरु डॉ कल्बे सिब्तैन नूरी ने सरकार की मोहर्रम गाइडलाइन का विरोध करते हुए कहा है कि मोहर्रम के संबंध में पुलिस प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन से शिया समुदाय के धार्मिक जज़्बात को ठेस पहुंची है और मोहर्रम व शिया समुदाय पर सीधे तौर पर बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाए गये हैं ख़ास कर गाइडलाइंस ड्राफ्ट के पैरा नंबर 2 और उसके बाद के पैरा में।
शिया धर्मगुरु डॉ कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहा हैं कि इस गाइडलाइन के ड्राफ्ट को तुरंत बदला जाये। उन्होंने कहा कि अभी मोहर्रम शुरू भी नहीं हुआ और हमारे जज़्बात से छेड़खानी शुरू हो गई है, सरकार जाँच करे कि इस तरह का ड्राफ्ट किसने बनाया है।
कांग्रेस नेत्री सदफ़ जाफ़र ने भी गाइडलाइंस ड्राफ्ट को बदलने की मांग करते हुए कहा है कि मोहर्रम के जुलूस को लेकर शिया और सुन्नी समुदायों में आपसी समझ और अहतेमाद है, भाजपा सरकार जो सिर्फ़ और सिर्फ़ विभाजन के दम पर सत्ता में आई है और क़ाबिज़ रहना चाहती है। उन्होंने कहा कि गाइडलाइन में न सिर्फ़ शिया और सुन्नी समुदाय के बीच दरार डालने की कोशिश की गई है बल्कि सूफी, हनफ़ी, बरेलवी और देवबंदी विचारधारा के अनुयायियों के दरमियान भी दूरी बढ़ाने की नाकाम कोशिश साफ़ ज़ाहिर होती है।