जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान जेल से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उनके पूर्व विधायक बेटे अब्दुल्ला आज़म भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने आज़म खान को रामपुर से और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को स्वार टांडा से प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
फरवरी 2020 से जेल में बंद आज़म खान को पार्टी ने रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाने के लिए आगे बढ़ाया है। खान पहले भी इस निर्वाचन क्षेत्र का 9 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। फिलहाल इस सीट से आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा विधायक हैं। यूपी चुनाव के लिए आज़म खान खुद ही एक बड़ा मुद्दा बन चुके हैं। 2017 में यूपी की सत्ता में भाजपा के कदम पड़ने के बाद से ही दिग्गज नेता,आज़म खान और उनके परिवार के सदस्यों के लिए मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई थीं। उनके ऊपर कुल 100 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज हुए थें, जिनके सिलसिले में वो फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं। इसके अलावा कई दर्ज मामलों में उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को भी सह-आरोपी के रूप में नामित किया गया था।
हालांकि, बीते शनिवार को 31 वर्षीय अब्दुल्ला आज़म को यूपी के सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया है। उनके ऊपर 43 मामले दर्ज थें। इसके अलावा आज़म खान की पत्नी फातिमा को भी दिसंबर 2020 में ही रिहा कर दिया गया था। वहीं आज़म खान की रिहाई के रास्ते भी साफ़ होते दिख रहे हैं। लेकिन आज़म खान को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा। वो फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं।
अंदेशा जताया जा रहा है कि आगामी चुनाव में वो जेल में रहते हुए ही रामपुर की सीट से चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी के लिए रामपुर हमेशा से उनका गढ़ रहा है। खुद आजम खान यहां से नौ बार विधायक रह चुके हैं। 2017 में जहां भाजपा ने राज्य के चुनाव में पूर्ण बहुमत की जीत हासिल की थी ऐसे मौके पर भी आज़म खान इस सीट को जीतने में कामयाब रह गए थें। उन्होंने भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना को 47,000 मतों से हराया था।
इसके अलावा उन्होंने यहीं से 2019 लोकसभा चुनाव में भी अपना हाथ आजमाया और उसमे भी उन्हें बड़ी सफलता मिली थी। जिसके बाद रामपुर विधानसभा सीट खाली हो जाने पर उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा किया था और उन्हें भी जीत ही हासिल हुई थी।
वहीं आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्लाह आज़म भी 2017 में रामपुर की स्वार टांडा सीट से विधायक बने थें। हालांकि जल्द ही उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया गया था। आरोप था कि चुनाव के समय अब्दुल्लाह आज़म 25 साल के नहीं थे और उन्होंने फर्जी दस्तावेज की मदद से चुनाव लड़ा था।
जेल से आने के बाद मीडिया से बात करते हुए अब्दुल्ला आज़म हैं अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को ज़ुल्म और ज्यादती बताया है। अब्दुल्ला ने कहा “मुकदमों की सच्चाई क्या है, वो सारे लोगों को पता है, ये महज़ एक सिंगल प्वाइंट एजेंडे के तहत किया गया कि एक परिवार को बरबाद और बदनाम करना है।” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “अगर सरकार अन्याय करने लगेगी तो कोई क्या कर लेगा ?”
अब्दुल्ला ने कहा है कि उनके ऊपर दर्ज मुकदमों में भैंस चोरी, बकरी चोरी, किताब चोरी और शराब की बोतलें चोरी जैसे आरोप भी शामिल हैं, “इन मुकदमों की क्या ही सच्चाई होगी, इस पर क्या कहूं?” हालांकि अब्दुल्ला आज़म ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा की जिस तरह अभी इंसाफ मिला और ज़मानत हुई, उसी तरह से आगे भी इंसाफ मिलेगा।
अखिलेश यादव के बारे बात करते हुए अब्दुल्ला ने साफ किया कि वो अखिलेश यादव के साथ हैं। उन्होंने खुद के जीतने को लेकर भी पूरी उम्मीद जताई है।
अतरौली से समाजवादी पार्टी की नेत्री, सजदा बेगम ने TwoCircles.Net से बात करते हुए बताया, “पार्टी हमेशा से आज़म खान के साथ रही है। चाहे जैसी भी परिस्थिति रहीं हो, जब आज़म खान जी को झूठे आरोपों की बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया था तो उस समय अखिलेश यादव जी ने जनेश्वर मिश्र पार्क में धरने पर बैठकर इसका बहुत विरोध किया था।कुछ राजनीतिक दल समुदाय के मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी हुई हैं लेकिन इस बार वो सब नाकाम रहेंगे।”