असद शेख़ Twocircles.net के लिए
देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर एक बड़ा मुस्लिम बहुल इलाक़ा मुस्तफाबाद है। ये इलाक़ा ज़्यादातर छोटे बिज़नेस करने वाले,बाजारों में दुकानें लगाने वाले और मामूली से काम काज करने वाले लोगों की आबादी का इलाक़ा है। घनी आबादी वाला ये इलाक़ा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं को हासिल करने में बहुत पीछे है। आश्चर्यजनक रूप से इस इलाके सरकारी स्कूल हर तरह की समस्या से जूझ रहा है। यह स्कूल चार पाली में चलता है और केजरीवाल के बहुप्रचारित शिक्षा मॉडल की कलई खोलकर रख देता है।
यह हालत तब है जब 2022 में हाल ही में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पेश करते हुए कहा है कि पहले के छह वर्षों की तरह इस बार भी 69,000 करोड़ रुपए के बजट का ‘‘25 प्रतिशत’’ हिस्सा शिक्षा के लिए आवंटित किया जाएगा। लेकिन ऐसा लगता है कि मानों मुस्तफाबाद विधानसभा की शिक्षा व्यवस्था के लिए इस बजट में कोई खास जगह नही है “।
विधानसभा मुस्तफाबाद का इलाक़ा क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत बड़ा इलाक़ा है इसमें क़रीबन 6 लाख की आबादी है। जिसमें हिंदू और मुस्लिम आबादी लगभग बराबर है। अब जहां आबादी इतनी हो वहां पर शिक्षा को स्थिति में कैसा सुधार होना चाहिए ये भी महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि इस इलाके में अधिकतर परिवार गरीब तबके से आते हैं जिनके लिए प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना मुमकिन नहीं है इसलिए सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर होनी चाहिए।
वैसे तो इस इलाके में दो सरकारी स्कूल हैं पहला तुखमीरपुर इलाके में और दूसरा है मुस्तफाबाद इलाके में,जैसा कि दिल्ली में व्यवस्था है सुबह की शिफ्ट में लड़कियां स्कूल जाती हैं और दोपहर की शिफ्ट में लड़के स्कूल जाते हैं। तुखमीरपुर स्कूल की स्थिति बेहतर है वहां सुविधाएं काफी हद छात्र और छात्राओं को प्राप्त हैं लेकिन मुस्तफाबाद इलाके में स्थित “टेंट वाला स्कूल” के नाम से प्रसिद्ध शायद दिल्ली के सबसे जर्जर स्थिति में मौजूद स्कूलों में से एक है। इस स्कूल के आस पास कूड़ा फैंका जाता है और गंदगी के ढेर जमे रहते हैं। इस स्कूल की स्थिति ये है कि ये स्कूल कुल 4 शिफ्ट में चलता है। शायद ही पूरी दिल्ली में ऐसा और कोई स्कूल हो, सुबह की 12:30 तक की दो शिफ्ट लड़कियों की होती हैं और शाम 6:30 तक और दो शिफ्ट लड़कों की होती हैं। कुल चार शिफ्ट में ये स्कूल लगता है।
स्कूल की स्थिति ऐसी है कि यहां पर पढाई करने के लिए बच्चों के पास पक्की छत नहीं है वो पोर्टा केबिन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जो गर्मी में बुरी तरह से तपती है छात्रों के पास अच्छे और मज़बूत डेस्क नहीं है। वहीं पूरी तरह से पढाई करने के लिये उनके पास में क्लासेस भी नहीं हैं। हालात ये है कि दसवीं क्लास तक चलने वाला ये स्कूल सिर्फ 2 से ढाई घण्टे ही की क्लास कराता है। अब सवाल ये है कि 2 घण्टे में क्या पढाई करेंगें ? कितनी पढाई करेंगें? और अगर वो पढाई नहीं कर पाएंगें या भविष्य में पीछे रह जायेगा तो ज़िम्मेदारी किसकी है?
जिस इलाके में ये स्कूल स्थित है वहां की कुल आबादी 1 लाख से ज़्यादा है यानी उस पूरी आबादी के लिए सिर्फ ये एक स्कूल है,इस स्कूल में पढाई करने वाले कुल छात्र और छात्राओं की संख्या करीबन 4000 हज़ार है। जो 37 सेक्शन और 23 क्लासरूम में 4 शिफ्ट में पढाई करते हैं। इस विधानसभा की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का केंद्र यही इलाक़ा है और इस स्कूल की स्थिति बहुत भयावह है।
सुबह 7 बजे से ये स्कूल शुरू होता है,जिसमें आठवीं और नवीं क्लास की लड़कियों की क्लास होती हैं इसके बाद 10 बजे से 12:30 मिनट तक छठी,सातवीं और आठवीं क्लास की लड़कियां यहां पढाई करती हैं। ठीक ऐसा ही दोपहर 12 :45 के बाद लड़कों की शिफ्ट में होता है और इस तरह से ये स्कूल एक साथ चार शिफ्ट में चलता है। दसवीं की बोर्ड की पढ़ाई करने वाले छात्र और छात्राएं पूरे दिन स्कूल में होते हैं।
TwoCircle.net ने स्कूल मोनिटरिंग कमेटी के मेंबर मो. इंतज़ार से भी बात की,उनका कहना है कि “इस स्कूल में समस्या ही समस्या है यहां पर कमरों की समस्या है पीने के पानी की समस्या है और तो और यहां गर्मी इतनी होती है कि यहां बैठना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन जैसा कि हमें जानकारी है कि बहुत जल्द इसमें काम शुरू होने वाला है। 84 कमरे यहां पास हुए है जिन्हें यहां बनाया जाएगा। विधायक जी ने आश्वासन दिया है कि जल्द से जल्द इस स्कूल को शानदार बनाया जाएगा।
इस स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ाई करने वाले एक छात्र के पिता शाहबुद्दीन से TwoCircle.net ने बात की,उन्होंने कहा कि “हम तो पढाई लिखाई नहीं कर पाए ,लेकिन चाहते हैं कि बच्चा पढ़ें,लेकिन दो घण्टे ही में बच्चा स्कूल से वापस आ जाता है अब दो घण्टों में बच्चा कितना पढ़ेगा ये नहीं समझ आता है। अगर हम पर इतना पैसा होता तो ज़रूर प्राइवेट में पढ़ा लेते बच्चों को, लेकिन हम तो वहाँ नहीं पढ़ा पा रहे हैं क्या करें,हमारे बच्चे के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। लेकीन न तो कोई देखने वाला है और न ही कोई सुनने वाला है”।
2020 में कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी रहें अली मेंहदी से Twocircle.net ने बात की,वो मुस्तफाबाद के पूर्व विधायक हसन अहमद के पुत्र हैं और फिलहाल वो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। उनका मौजूदा स्थिति के बारे में कहना है कि ” इसमें सारा दोष इलाके के विधायक हाजी यूनुस का है,वो मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के सामने इलाके की सबसे बड़ी समस्या के बारे में बात करने से डरते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाजी यूनुस , केजरीवाल की वजह से विधायक बने हैं न कि अपने कामों के बल पर इसलिए वो कुछ भी शीर्ष नेताओं से कह नहीं पाते हैं”।
इस मुद्दे पर TwoCircle.net ने विधायक हाजी यूनुस से भी बात की उनका कहना है कि “2020 से पहले आये इलाके के प्रतिनिधि चाहें हसन अहमद हो या कोई और इस स्कूल की तरफ ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझते थे। आज भी जब हमने स्कूल के काम के लिए कदम बढ़ाए तो बहुत सारे लोग इसमें रूकावट बन रहे थे। लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस स्कूल की तरफ पूरा तरफ़ ध्यान दिया है। पिछले दो साल से चली आ रही कोविड गाइडलाइंस की वजह से यहां स्कूल का निर्माण रुका हुआ था। अभी की स्थिति में बच्चों के एग्जाम चल रहे हैं इसलिए ये काम हमने रोका हुआ है। एग्जाम के बाद ये स्कूल शिफ्ट हो जाएगा और नए स्कूल का काम शुरू होगा”।
दूसरी तरफ रोहिणी विधानसभा में में जहां भाजपा जीती थी वहां दिल्ली सरकार द्वारा नए स्कूल है बना दिये गए है, कैसे ! क्या ये सब सिर्फ इसलिए की वो रोहिणी है और ये मुस्तफाबाद? क्योंकि अगर सिर्फ पार्टी का विधायक न होने की वजह से स्कूल का काम नहीं हो सका है तो रोहिणी में वो काम कैसे हुआ? वहां कैसे 2019 में नई स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण कार्य हुआ? इस सवाल का जवाब आम आदमी पार्टी से मुस्तुफाबाद की जनता ज़रूर जानना चाहती है !
2020 में आम आदमी पार्टी के विधायक हाजी यूनुस चुन कर आये थे,ये भी मान लिया कि उनके विधायक बनने के साथ ही दंगें और फिर कोविड की वजह से कार्य नहीं हो पाया,लेकिन अब भी कार्य क्यों नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि विधायक जी का दावा है कि यहां बेहतरीन स्कूल बनने जा रहा है। लेकिन 2015 से लेकर 2020 की आम आदमी पार्टी की सरकार ने ये स्कूल क्यों नहीं बनवाया?
अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की शिक्षा नीतियों को लेकर देशभर में खुद की पीठ थपथपाने से कभी पीछे नहीं हटते हैं। हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी उनका ये दावा था कि हम दिल्ली जैसी शिक्षा क्रांति पंजाब में करेंगें। लेकिन उनके सारे दावे और उनका शिक्षा का मॉडल मुस्तफाबाद इलाके में आकर क्यों रुक जाता है और नाकाम हो जाता है ! मुस्तुफाबाद के अराफ़ात नफीस यह सवाल उठाते हैं
आखिर 7 सालों में सत्ता में रहते हुए भी राजधानी दिल्ली में स्थित इस इलाके का एक स्कूल क्यों बदहाल स्थिति में है। क्यों यहां देश का भविष्य समझें जाने वाले भविष्य अपने भविष्य अंधकार में देखते हैं? क्यों इस तरह का भेदभाव इस स्कूल के बच्चों के साथ हो रहा है? ये बहुत सारे सवाल है जिसका जवाब भी दिल्ली के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और विधायक को देना चाहिए ।
स्थानीय निवासी सईद अहमद कहते हैं कुछ स्कूलों में बने स्विमिंग पूल के फोटो अगर दिल्ली की शिक्षा मॉडल का हिस्सा हैं तो मुस्तफाबाद इलाके में बदहाल स्थिति में पड़ा हुआ स्कूल क्या है? अगर दिल्ली के और स्कूलों के छात्र अगर अपने स्किल डिवेलपमेंट कर सकते हैं तो मुस्तफाबाद इलाके के बच्चे क्यों नहीं कर सकते हैं? जब सभी तारीफें केजरीवाल जी ले लेते हैं मुस्तफाबाद स्कूल का जवाब भी केजरीवाल जी को देना चाहिए। लेकिन क्या वो इस सवाल का जवाब देंगें?