नोखा: जानिए एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी को

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नोखा (राजस्थान): दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल की मौत ने राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा शहर को चर्चा में ला दिया है. ये शहर उन वजहों से चर्चा के केंद्र में है, उनकी वजह से नोखा के लोग नाउम्मीदी में डूब जाते हैं. लेकिन सच तो यह है कि नोखा की एक अलग अपनी पहचान भी है. ये पहचान एशिया की सबसे बड़ी मोठमंडी होने का है.


Support TwoCircles

NOKHA MANDI

दरअसल, नोखा गांवों और घरों से चलने वाले छोटे-बड़े कुटीर उद्योगों का एक बड़ा केंद्र है. ये शहर विदेशों तक अपनी पहचान बना चुकी भारतीय नमकीन दालमोठ में पड़ने वाली मोठ के उत्पादन का केन्द्र भी है. कड़वी सचाई तो यह है कि दालमोठ के दीवाने देश के लाखों लोगों ने इस शहर का नाम शायद ही कभी सुना हो. लेकिन नोखा को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. यह शहर चुपचाप तरीक़े से मोठ से लेकर दवा में इस्तेमाल होने वाला कैप्सूल का गम बनाने का बड़ा काम कर रहा है.

दरअसल बीकानेर स्टेट के महाराज गंगा सिंह ने नोखा को कृषि मंडी के तौर पर ही बसाया था. सामाजिक कार्यकर्ता चुन्नीलाल राजस्थानी बताते हैं कि पहले नोखा को ‘नोखा मण्डी’ के नाम से जाना जाता था. कहते हैं, ‘मोठ के लिए तो नोखा एशिया की सबसे बड़ा मंडी है ही. इसके साथ नोखा में बिजली के तार, बल्ब, पंखे, गम व हल्की रजाईयां भी बनाई जाती हैं, जो आसपास के इलाकों में काफी प्रसिद्ध हैं. बल्कि यहां की रजाईयां तो विश्वभर में प्रसिद्ध हैं.’

NOKHA MANDI

यहां के वरिष्ठ पत्रकार कैलाश मोयल भी बताते हैं, ‘इस मंडी के बसावट के संबंध में कई सारी कहानियां हैं. लेकिन सबसे सही व सटीक कहानी यह है कि महाराज गंगा सिंह की ख्वाहिश हुई कि यहां एक मंडी बनायी जाए. तब रोड़ा के जागीरदार ठाकुर मेहताब सिंह जी ने 19 मार्च 1926 को अपनी 270 बीघा ज़मीन कुछ शर्तो के साथ मंडी निर्माण के लिए दे दी. तब फ्रेंच इंजीनियर मैकेंजी ने एक सुन्दर पलान बनाकर तैयार किया जिसके अनुरुप आज नोखा मंडी बसी हुई है.

NOKHA MANDI

इस मंडी में जाने के बाद पता चलता है कि यहां मोठ के अलावा मसाले भी खूब मिलते हैं. यहां के दुकानदारों और आने वाले खरीददारों का कहना है कि यहां के मोठ की क्वालिटी काफी बेहतर होती है इसीलिए लोग उसे काफी पसंद करते हैं. लेकिन मोठ की यह मंडी अब धीर-धीरे मसाले व किराने की मंडी में तब्दील हो रही है.

नोखा शहर काफी दिलचस्प शहर है. किसी बड़े शहर की तरह ब्लॉकवार इस शहर को बसाया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता जुगल हटीला ऐसी जानकारी देते हैं जो किसी को भी हैरान कर सकती है, ‘नोखा बहुत अनोखा शहर है. ये कितना दिलचस्प है कि नोखा के बीचोंबीच स्थित घंटाघर में न तो घंटा है और न ही घड़ी है, फिर भी इसका नाम घंटाघर है. नोखा में नवली गेट है. न तो आज वहां गेट है ना पहले कभी था, फिर भी इसका नाम नवली गेट है.’

NOKHA MANDI

Related:

Delta Meghwal Death Mystery

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE