अमरीका से अच्छे सम्बन्ध की आस में भटकल की बदनामी – रिहाई मंच

By TCN News,

लखनऊ: रिहाई मंच ने बीते दिनों बंगलुरू पुलिस द्वारा भटकल से विस्फोटकों के जखीरे की बरामदगी को उच्चस्तरीय नाटकीय कृत्य करार दिया है. रिहाई मंच ने कहा है कि यह 26 जनवरी से पहले पूरे देश में आतंकवाद का हौव्वा खड़ा करने की साजिश है. मंच ने आरोप लगाया है कि गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित अमरीकी राष्ट्रपति का विश्वास जीतने की नीयत से खुफिया एजेंसियां किसी भी किस्म की जाली वारदात या फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दे सकती हैं. इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में माहौल बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है.


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जारी बयान में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि भटकल के जिस कथित आतंकी अब्दुस सुबूर के घर से विस्फोटकों का जखीरा बरामद होने का दावा किया जा रहा है, वह घर पिछले दो महीनों से बंद था क्योंकि एमबीए का छात्र अब्दुस सुबूर भटकल में ही अपने रिश्तेदार के घर रह रहा था. उसके पिता व मां केरल में इलाज करा रहे थे. उन्होंने कहा कि 8 जनवरी को 11 बजे इनोवा कार से बैंग्लोर पुलिस के अधिकारी उस घर पर पहुंचे जहां ताला तोड़कर उन्होंने गाड़ी में अपने साथ लाए सामान जो बड़े-बड़े थैलों की शक्ल में थे और कागजों के जखीरे जैसे दिखने वाले सामान को घर में रख दिया. इस घटना को वहां मौजूद सैकड़ों लोगों ने खुद देखा था. पुलिस ने अब्दुस सुबूर को तब गिरफ़्तार किया जब अब्दुस बैंग्लोर पहुंचा और अपने दोस्त आफाक लंका के साथ बाइक से जा रहा था. इसके बाद 28 जनवरी को होने वाली अपनी बहन की शादी का निमंत्रण पत्र देने शिवमोगा जा रहे सद्दाम हुसैन को बस स्टैंड से पुलिस ने उठाया था. इसके साथ ही रियाज अहमद सईदी को मैंग्लोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से तब पकड़ा था जब वह दुबई जाने के लिए पहुंचा था. इसे यह रूप इस नीयत से दिया गया ताकि झूठी कहानी को ज़्यादा रोचक बनाया जा सके और यह कहा जा सके कि आतंकी भटकल से भागने की कोशिश कर रहे थे.

मुहम्मद शुऐब ने कहा कि बंगलुरू पुलिस इससे पहले भी आतंक के नाम पर मुस्लिम बेगुनाहों को फंसाने के लिए आतंकवाद की फर्जी कहानियां गढ़ती रही है, जिसका खास मकसद भटकल जैसे अल्पसंख्यकों के समृद्ध इलाकों को बदनाम करना रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इन तथ्यों के बावजूद इस्लामी आतंकवाद का हौव्वा खड़ा करने के लिए उसे आतंकी घटना बताकर दर्जनों मुस्लिम युवकों को तो पुलिस ने पकड़ा ही, साथ ही केरल के वयोवृद्ध नेता अब्दुल नासिर मदनी को भी अभियुक्त बना दिया.

रिहाई मंच अध्यक्ष ने इंडियन मुजाहिदीन को खुफिया विभाग आईबी का ब्रेन चाइल्ड बताते हुए कहा कि इसे भटकल में खड़ा करने में खुफिया विभाग के अधिकारी सुरेश की अहम भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार से उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह सुरेश से इस मामले में पूछ-ताछ करें.

आजमगढ़ रिहाई मंच प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने भी कहा कि आने वाले गणतंत्र दिवस के दौरान केन्द्र सरकार अपनी अमरीकापरस्त नीतियों में और आक्रमकता लाने और पूरे देश में ओबामा के आने के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों से ध्यान हटाने के उद्देश्य से दहशत फैलाने के लिए वारदात या आतंक से निपटने के नाम पर फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम दे सकती हैं.

अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा है कि 13 अगस्त 2002 को रामपुर के जावेद, ताज मोहम्मद और मकसूद को ठीक इसी तरह स्वतंत्रता दिवस से पहले आईएसआई एजेंट के नाम पर उठाया गया था. 11 साल से अधिक जेल में रहने के बाद न्यायालय से बरी हो जाने के बाद आज तक यूपी सरकार उनके पुर्नवास और मुआवजे की मांग से पीछे भागती रही है. ऐसे में अब जिस तरह से सपा सरकार में पुलिस मुस्लिम युवकों को नए सिरे से आईएसआई एजेंट के नाम पर पकड़ने का जाल बिछा रही है, वह सपा सरकार की मंशा को उजागर करता है.

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