बिहार: नतीज़ों के बाद साम्प्रदायिकता की आग

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

09 नवम्बर, 2015: सारण जिले के नगरा ओपी थाना क्षेत्र के नगरा बाज़ार में महागठबंधन की जीत पर जश्न मनाने के दौरान दो पक्षों में मारपीट हुई. इस मारपीट ने कुछ ही देर में हिंसा का रूप धारण कर लिया. कई गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए गए. चार लोग घायल भी हुए. मौक़े पर पहुंच कर पुलिस ने हालात को क़ाबू में किया.


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09 नवम्बर, 2015: सीवान शहर के मक़दूम सराय में दो गुटों में जमकर मारपीट हुई. हथियार भी लहराए गए. इलाक़े काफी तनाव का माहौल बन गया.

09 नवम्बर, 2015: आरा में महागठबंधन की जीत की खुशी में पटाखा छोड़े जाने पर एक छात्र की हत्या का मामला सामने आया. जिसके बाद पूरा शहर धधक उठा. जमकर तोड़फोड़ व आगज़नी की गई. पुलिस ने बड़ी मुश्किल से हालात को क़ाबू में किया.

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महावीरी अखाड़ा(फ़ाइल फोटो

12 नवम्बर, 2015 : पटना के फुलवारीशरीफ़ थाना से सटे इलाके इसापुर में दीवाली के अगले दिन देवी काली प्रतिमा विसर्जन के दौरान जमकर मारपीट व पथराव हुआ, जिसमें तीन पुलिसकर्मी सहित कई घायल हुए. इस घटना में कई दुकान व वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए. पुलिस-प्रशासन की सूझबूझ से इस घटना पर तुरंत काबू पा लिया गया. पुलिस अभी भी इलाक़े में तैनात है.

15 नवम्बर, 2015: पश्चिम चम्पारण के योगापट्टी ब्लॉक के तहत आने वाले अमीठिया गांव में एक सम्प्रदाय के लोगों ने दो टेलर मिट्टी लाकर एक मस्जिद के सामने गिरा दी. मस्जिद से जुड़े लोगों द्वारा मना करने पर मिट्टी डालने वाले हिंसा पर उतर आएं. मस्जिद के सामने लगे लोहे के गेट को तोड़ डाला. एक बड़ी भीड़ मस्जिद के अंदर दाख़िल हो गई और मस्जिद में तोड़-फोड़ की गयी. मौक़े पर पुलिस प्रशासन ने पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में लिया.

18 नवम्बर, 2015: दरभंगा जिले के सिमरी थाना क्षेत्र के बसतवारा गांव में छठ के मौक़े से कलश तोड़ने के मामले को लेकर गांव का साम्प्रदायिक माहौल ख़राब किया गया. पुलिस के चार गाड़ियों सहित कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. इस घटना कई लोग मामूली रूप से ज़ख़्मी हुए. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया, लेकिन गांव में अभी भी तनाव है.

18 नवम्बर, 2015: भागलपुर के सजूर थाना क्षेत्र के राधानगर गांव में छठ के मौक़े पर एक मदरसे के सामने आतिशबाज़ी को लेकर हुई मारपीट को साम्प्रदायिक रंग दे दिया गया. कई थानों की पुलिस ने मौक़े पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में किया.

18 नवम्बर, 2015: सीवान के एम.एच. नगर थाना क्षेत्र के हसनपुरा गांव में भी छठ के दिन दो लोगों की आपसी मारपीट हुई. फिर इस मारपीट को साम्प्रदायिक रंग देकर गांव का माहौल ख़राब किया गया. पुलिस ने मौक़े पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रित किया.

18 नवम्बर, 2015: वैशाली के लालगंज में भी एक सड़क हादसे को साम्प्रदायिक रंग दे दिया गया. जमकर फ़साद हुआ. कई दुकानों व मकानों को आग के हवाले कर दिया गया. थाना इंजार्च का भी क़त्ल कर दिया गया. दर्जनों लोग इस घटना में घायल हुए. दो बच्चों को गोली भी लगी. पुलिस अभी भी यहां कैम्प कर रही है.

यह कुछ ऐसी घटनाओं का रोजनामचा है जो 8 नवम्बर को चुनाव परिणामों के बाद बिहार में घटी हैं. बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद और नीतीश कुमार के शपथ लेने के पहले की ये वो ख़बरें हैं, जिसे पटना के अख़बारों ने रिपोर्ट किया है. ऐसी दर्जनों ख़बरें हैं, जिन पर अब तक मीडिया की नज़र नहीं है.

ख़ैर, इन घटनाओं पर ग़ौर करेंगे तो पाएंगे कि बिहार में छोटी-छोटी घटनाओं को बड़ा साम्प्रदायिक रूप दिया जा रहा है. संभव है कि इसके पीछे सुनियोजित साज़िश हो सकती है. इस बात के संकेत साफ़ हैं कि ये तमाम साजिशें धार्मिक सदभाव ख़त्म करने के लिए हो रही हैं तो ऐसे में इसको स्वीकार करके इसे नज़रअंदाज़ करना ही सबसे ज़रूरी व अक़्ल वाली बात होगी.

बिहार में पिछले दस दिनों में कम से कम एक दर्जन घटनाओं को क़रीब से देखा व समझा है कि किस प्रकार आपसी चुनावी रंजिश को साम्प्रदायिकता का चोगा पहनाकर बिहार को लाल करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. लोगों का कहना है कि इसमें मक़सद सिर्फ़ एक है कि किसी तरह से नयी सरकार के कामकाज संभालने के कुछ ही दिनों के भीतर सूबे के साम्प्रदायिक सौहार्द को नफ़रत की चिंगारियों से खाक कर दिया जाए.

पटना के फुलवारीशरीफ़ की घटना के दौरान राकेश कुमार ने साफ़ तौर कहा था, ‘यह पूरा मामला राजनीतिक है. बल्कि यह कह सकते हैं कि क्रिया की प्रतिक्रिया है.’

राकेश ने स्पष्ट तौर पर बताया था कि तीन दिन पहले यहां श्याम रजक की जीत पर खूब जश्न मना था. मुसलमान लड़कों ने खूब पटाखे छोड़े थे और विरोधी दल के लड़कों को खूब चिढ़ाया था. बस वही बात हारने वाले दल के कार्यकर्ताओं को नागवार गुज़री. पहले तो वे शराब के नशे में आपस में ही लड़ रहे थे, लेकिन उसमें कुछ मुस्लिम लड़के घुस गए तो बस मौक़े का फायदा उठा लिया गया.

ऐसी ही बातें बाकी घटनाओं में भी देखने को मिलती हैं. लालगंज के मामले में तो अब बज़ाब्ता सियासत शुरू हो गई है. नीतीश के शपथ-ग्रहण के अगले ही दिन शनिवार को भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान वहां पहुंच गए. इस मामले की जांच के लिए आयोग का गठन कर दिया गया है. लेकिन इस तरह के तमाम मामले नीतीश कुमार के रातों की नींद हराम करने वाली साबित होंगे.

नीतीश पहले से ही इन बातों को लेकर सतर्क हैं. पद संभालते ही उन्होंने पहला काम सूबे में लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने की कोशिश के तौर पर की. ताज़ा हालात बेहद संवेदनशील हैं. ऐसे में एक छोटा सा ग़ैर-ज़िम्मेदाराना क़दम एक बड़ी तबाही की पृष्ठभूमि तैयार कर सकता है. ज़रूरत युवाओं और ख़ासतौर पर क़ौम के सरबराहों को इस दौर में ख़ासा सतर्क रहने की है.

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