By TwoCircles.net Staff Reporter
पटना: जैसे-जैसे बिहार की सियासी सरगर्मी बढती जा रही है, वैसे-वैसे रोजाना नए चुनावी समीकरण बनते-संवरते नज़र आ रहे हैं. ताज़ा मामला बिहार के ‘लूज़ कैनन’ और तल्ख़ तेवर वाले राजनीतिज्ञ जीतनराम मांझी का है.
मंगलवार को संपन्न हुई प्रेसवार्ता में जीतनराम मांझी ने जो संकेत दिए हैं, वे एनडीए को एक हद तक परेशान कर सकते हैं. जीतनराम मांझी ने संकेत दिए हैं कि वे आने वाले समय में लालू यादव के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो सकते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बीच हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा(हम)के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राजग में सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बढाते हुए मंगलवार को कहा कि यदि राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन से अलग कर दें तो वह उनसे हाथ मिलाने को तैयार हैं.
Jitan Ram Manjhi (Courtesy: IT)
ज्ञात हो कि जीतनराम मांझी ने विधानसभा चुनावों में 70-75 सीटों पर अपनी उम्मीदवारी एनडीए के सामने रखी है, लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर को मानें तो भाजपा मांझी को 25 सीटों से अधिक सीटें नहीं देना चाह रही है. साथ ही साथ बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के करीबी हुई लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान को मांझी की तुलना में ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद भी जतायी जा रही है.
इस बाबत मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी लोजपा से अधिक सीटें पाने की हक़दार है क्योंकि वर्तमान में लोजपा के पास एक भी विधायक नहीं है, जबकि मांझी की पार्टी ‘हम’ के पास 13 विधायक हैं. आलोचना का दौर शुरू होते ही मांझी ने यह भी प्रश्न उठा दिया कि रामविलास पासवान कब से राष्ट्रीय नेता हो गए? उन्होंने कहा कि पासवान ठीक तरीके से अपने समुदाय तक के नेता नहीं हो पाए हैं, वे खुद को राष्ट्रीय नेता कैसे मानते हैं? मांझी ने यह भी कहा कि मोदी की रैलियों में पासवान से ज्यादा उनके लिए तालियां बजती हैं.
इसके बाद मांझी बिहार के सामाजिक हालातों को लेकर सामने आ गए और यह जताने की कोशिश करने लगे कि क्यों नीतीश कुमार बिहार और ‘महागठबंधन’ के लिए खतरनाक हैं? घोर राजनीतिक तरीके से उन्होंने बिहार में बढ़ते-फैलते अपराधों की विवेचना की. मांझी ने कहा कि बिहार में लॉ-आर्डर ध्वस्त हो गया है और नीतीश कुमार लोगों को झांसा देने में लगे हुए हैं.
मांझी ने कहा कि बिहार में लगातार गैंगरेप के मामले बढ़ रहे हैं और एक खास जाति के लोग इस घटना को अंजाम दे रहे हैं. बिहार में बिजली की हालत दयनीय है, किसान मर रहा है लेकिन बिहार के मंत्री मालामाल हो रहे हैं.
नीतीश और कांग्रेस की तरह यदि लालू यादव जीतनराम मांझी को खुद से जोड़ने में सफल हो जाते हैं तो एक बात तय है कि मांझी की तुष्टि और महादलित वोटबैंक के दिशा-परिवर्तन होने से महागठबंधन को फायदा ही होगा, लेकिन मांझी के कथित ‘अपमान’ के लिए जिम्मेदार नीतीश कुमार को अलग करने से इस महागठबंधन की असल ताकत भी ख़त्म हो जाएगी. जहां तक भाजपा की बात है, वह बिहार में पहले भी कमज़ोर चल रही थी, इस नए समीकरण के तय हो जाने से और भी गर्त में चली जाएगी.