TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ज़िला पीलीभीत के पूरनपुर कोतवाली में पुलिस कस्टडी में दो युवकों की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है. इस घटना के बाद से पुलिस महकमे में हड़कंप मच हुआ है और पुलिस अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं.
लेकिन अब मामले ने उत्तर प्रदेश की सियासत में काफी तुल पकड़ लिया है. लखनऊ की सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने आरोप लगाते हुए कहा है कि –‘पीलीभीत में हिरासत में हत्या के लिए सपा सरकार जिम्मेदार है.’
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुएब ने कहा कि पिछले दिनों सीतापुर के महमूदाबाद में मुस्लिम लड़की की हिरासत में बलात्कार करके हत्या करने की घटना हो या बाराबंकी में पत्रकार के माँ के साथ बलात्कार करने की कोशिश या फिर सीतापुर और बलिया में दलित बस्तियों का जलाया जाना… इन तमाम घटनाओं से साफ हो गया है कि प्रदेश में न केवल कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है, बल्कि अखिलेश सरकार ने पुलिस थानों में दलित–मुसलमान विरोधी अपराधियों को बैठा रखा है.
रिहाई मंच के मुताबिक़ सद्दाम और शकील अहमद को पूरनपुर कोतवाली पुलिस ने बुधवार को चोरी के आरोप में उठाया गया था, जिनकी हिरासत में मौत हो गई. पुलिस ने बाद में चोरी के आरोप में उठाए गए इन युवकों पर मादक पदार्थों की तस्करी का आरोप लगा दिया.
लेकिन रिहाई मंच का सवाल है कि –‘हर बार इस तरह की घटनाएं दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, गरीब-वंचित वर्ग या सत्ता के खिलाफ़ अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाने वालों के साथ ही क्यों होती है? 2011 में लखीमपुर खीरी में सोनम भैंस चराने के लिए निघासन थाने के पास मैदान में गई थी, उसके साथ थाने में ही बलात्कार कर हत्या कर दी गई.’
रिहाई मंच का कहना है कि –‘पुलिस की विधि विरुद्ध और अपराधिक कारिस्तानियों में कई बार उन्हें सत्ता का संरक्षण प्राप्त रहा है. खासकर उन मामलों में, जहां पीडि़त का संबंध शोषित-वंचित समाज से या उनके हक़-अधिकार के लिए काम करने वाले समूहों से रहा है.’
रिहाई मंच ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा है कि –‘जहां एक तरफ़ इस तरह की घटनाओं की गंभीरता को कम करने और पीडि़तों के दानवीकरण करने के लिए बड़ी धुर्तता के साथ कहानियां गढ़ने का काम शुरू कर दिया जाता है, तो दूसरी तरफ़ मुआवज़े की राजनीति से सामाजिक न्यायवादी और धर्मनिरपेक्ष बने रहने का ढोंग किया जाता है.’
रिहाई मंच के मुताबिक़ पीलीभित का यह मामला कोई नया नहीं है. इससे पूर्व उत्तर प्रदेश में दलित दम्पत्ति को पुलिस के सामने नंगा करने का मामला हो या हरियाणा में दलित परिवार के घर में पेट्रोल डाल कर आग लगाने और दूध पीते बच्चों की हत्या की घटना, सब में सत्ता और पुलिस प्रशासन की भूमिका संदिग्ध रही है.
मंच के अध्यक्ष ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा व घटना की उच्चस्तरीय जाँच की मांग करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की .