TwoCircles.net Staff Reporter
पटना – बिहार में 1 अप्रैल से शराब को लेकर राज्य सरकार की नयी नीति लागू हो गयी है. एक तरफ जहां राज्य सरकार को इस फैसले के लिए वाहवाही मिल रही है, वहीँ दूसरी ओर एक बड़ा तबका इसे आलोचनात्मक नज़रिए से देखता है.
नीतीश सरकार का यह फैसला जब पिछले साल प्रकाश में आया था तो सुनकर लगा था कि सभी किस्म की शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा. लेकिन धीरे-धीरे यह साफ़ होता गया कि राज्य सरकार ने यह प्रतिबन्ध सिर्फ देशी शराब पर लगाया है.
इस फैसले को लोग कई तरीकों से देख रहे हैं. पटना में रहने वाली गृहणी रुक्मिणी देवी कहती हैं, ‘सरकार ने शराब बंदी करके तो बहुत अच्छा फैसला लिया है लेकिन सिर्फ देशी शराब क्यों बंद की? क्या अंग्रेजी शराब को शराब नहीं कहते, या उसे पीने वाले लोग अपनी पत्नियों को नहीं मारते हैं.’
केवल यही एक पक्ष नहीं है. एक और पक्ष है जिसे देशी शराब पर आश्रित जनता बार-बार उठाती है. आरा के रहने वाले मनोज कुशवाहा का कहना है कि देशी शराब पर यह प्रतिबन्ध सिर्फ गरीबों के संसाधनों पर लात मारने की तरह है. मनोज दिहाड़ी मजदूर हैं. वे कहते हैं, ‘शराब नहीं पीनी चाहिए. मैं नहीं पीता हूं. लेकिन आप सोचिए कि ऐसे फैसले का मतलब तो साफ़ है कि अमीर शराब पीता रहे और गरीब का शराब बंद कर दो. या गरीब भी पैसा खर्च करके महंगी अंग्रेज़ी शराब पिए. ऐसा हो सकता है क्या?
इस फैसले के लागू होते ही अकेले पटना शहर में आबकारी विभाग ने दो लाख लीटर से ज्यादा देशी शराब नालियों में बहा दीं. लेकिन यह भी एक तथ्य है कि इस दो लाख से कई गुना ज्यादा संख्या बिहार में देशी शराब के ग्राहकों की है.
उत्पाद कमिश्नर कृष्ण कुमार ने यह चिंता ज़रूर ज़ाहिर की है कि उत्पाद विभाग पुलिस की सहायता से लगातार इस प्रयास में रहेगा कि सूबे में किसी भी तरीके से अवैध शराब की बिक्री न हो. लेकिन इससे शराब पर बढ़ते विवाद का कोई पुख्ता हल नहीं निकल जाता है.
पटना में एक भाजपा कार्यकर्ता इसे सरकार की व्यापार नीति का एक सोचा-समझा उपयोग बताते हैं. रिंकू पटेल भाजपा के युवा कार्यकर्ता हैं. वे कहते हैं, ‘साफ़ है. सरकार अंग्रेज़ी शराब से ज्यादा कमाई कर सकती है. उस पर टैक्स भी मनमर्जी लगाया जा सकता है और देशी शराब बंद होने के बाद नशेड़ी अब उसी और भागते फिरेंगे. सरकार को चाहिए था कि वह देशी-विदेशी दोनों शराबें बन करे. तभी उसकी नीति साफ़ होगी.’
संभव है कि आने वाले समय में बिहार में पूर्ण बंदी लागू की जाए. केरल और गुजरात में काफी पहले से शराब पर बंदी लागू है. साथ ही साथ बिहार के सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में ठीक 1 अप्रैल से शराब के दामों में काफी कमी की गयी है. इसकी वजह से उत्तर प्रदेश टू बिहार शराब स्मगलिंग का रास्ता बेहद खुला हो जाता है. ऐसे में बिहार पर यह दबाव बेहद ज्यादा है कि वह शराब पर बंदी बेहद सख्ती से लागू कराए अन्यथा सरकार की मंशा पर सवाल उठते रहेंगे.