TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : उत्तरप्रदेश में भाजपा की महिला मोर्चा अध्यक्ष मधु मिश्रा के कथित रूप से विवादास्पद बयान दिए जाने पर भले ही उन्हें छह वर्ष के लिए पार्टी से निकाल दिया गया हो, लेकिन यह विवाद अब आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है. राजनीतिक दलों के साथ उत्तर प्रदेश के कई सामाजिक संगठनों ने भी इसकी कड़ी निन्दा की है.
उत्तर प्रदेश की सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने भाजपा के प्रदेश महिला मोर्चा के अध्यक्ष मधु मिश्रा के दलित विरोधी इस टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि –‘यह किसी मधु मिश्रा का व्यक्तिगत बयान नहीं है, बल्कि भाजपा के मनुवादी सोच की अभिव्यक्ति है, जो सिर्फ़ न केवल संविधान विरोधी है, बल्कि बुनियादी मानवीय सिध्दांतों के खिलाफ़ है.’
रिहाई मंच ने राष्ट्रीय अनसुचित जाति –जनजाति आयोग से मांग की है कि ऐसे घिनौने दलित विरोधी बयान देने वाली भाजपा नेता मधु मिश्रा के खिलाफ़ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज किया जाए.
रिहाई मंच नेता लक्ष्मण प्रसाद और प्रदेश कार्यकारणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि –‘भाजपा के प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष मधु मिश्रा का यह बयान कि “संविधान के सहारे वे तुम पर राज कर रहे हैं जो कभी तुम्हारे जूते साफ करते थे.” न सिर्फ संविधान का अपमान है, बल्कि उस संघी मानसिकता का परिचायक है, जो इस देश को मनुस्मृति से चलाना चाहती है.’
उन्होंने कहा कि –‘इसी सामन्ती–सांप्रदायिक जेहनियत से गुजरात जनसंहार में मारे गए मुसलमानों को नरेन्द्र मोदी ने “पिल्ला” बोलकर मुसलमानों को अपमानित किया था, तो उनके मंत्री वी.के सिंह ने दलित समाज को कुत्ता बोला था.’
उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश सरकार भी इसी सांप्रदायिक–सामन्ती विचारधारा की समर्थक है, क्योंकि पिछले दिनों आगरा में मुसलमानों को घर में घुसकर मारने की धमकी देने वाले भाजपा सांसद के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं होती है, न ही जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जान से मारने की धमकी देने वाले अमित जानी पर कोई कार्रवाई होती नज़र आई.