TwoCircles.net Staff Reporter
हमारी केंद्र सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि महंगाई काबू से बाहर हो रही है. सरकार अपने आंकड़ों में महंगाई की दर को हमेशा दस प्रतिशत से कम ही बताती है. लेकिन इसी मंहगाई की दुहाई देकर दिल्ली की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने पाठ्यक्रमों की फीस को 15 से 120 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. दाखिला फार्म भी अब 200 रूपये के बजाए 500 रूपये की है.
यहां यह स्पष्ट रहे कि जामिया एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और पिछले ही वर्ष 22 फरवरी 2011 को इसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला था. अल्पसंख्यक संस्थान होने के कारण यहां आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों की संख्या ज़्यादा है. ऐसे में अचानक फीस में हुई भारी बढ़ोत्तरी ने कई छात्रों के करियर पर ही प्रश्न-चिन्ह लगा दिया है.
जामिया में पिछले 5 सालों में फीस में लगातार भारी बढ़ोतरी हो रही है. छात्र विरोध के मूड में आते हैं, पर उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है. विश्वविद्यालय प्रशासन और टीचर्स एसोशियसन ने छात्रों को महंगाई का बोझ उठाने के लिए छोड़ दिया है. यहां छात्र संघ भी नहीं है जो छात्रों की जायज मांगों को उठा सके और उनके हक़ के लिए लड़ सके. फिलहाल यहां कुछ छात्र कल भूख हड़ताल पर बैठे, लेकिन प्रशासन ने इसे यह कहकर ख़त्म करा दिया कि इस पर विचार किया जाएगा.