TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ: जमीनी विवाद में जिंदा जला दिए गए बाराबंकी स्थित हैदरगढ़ के मोहम्मद यासीन की लखनऊ के सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. मोहम्म यासीन के परिजनों ने रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को यह जानकारी दी.इसके बाद रिहाई मंच के कार्यकर्ता अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ के सिविल अस्पताल पहुंचे, जहां यासीन का इलाज चल रहा था.
अब इस मामले में अस्पताल प्रशासन पर चिकित्सा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया जा रहा है. मंच ने भी अस्पताल पर आरोप लगता है. मोहम्मद यासीन के परिजनों का कहना है कि समय से यासीन की ड्रेसिंग नहीं की गयी और लगातार उनकी उपेक्षा की जाती रही. इसके चलते लगातार यासीन के शरीर में संक्रमण बढ़ता गया और उनकी हालत बिगड़ती गयी. परिजनों के मुताबिक, इलाज के दौरान अस्पताल प्रशासन मीडिया को बुलाने और नेताओं पर इलज़ाम लगा रहे यासीन के परिजनों को लगातार धमकी देता रहा.
वहीं सिविल अस्पताल के सीएमओ ने ऐसे सभी आरोपों को नकार दिया है. उन्होंने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी. डॉक्टरों की देखरेख में यासीन का इलाज चल रहा था, लेकिन उनके घाव गहरे थे. जिस वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका. इस प्रकरण में शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी के नेताओं पर तमाम आरोप लग रहे हैं. कई मानवाधिकार और समाजकर्मी संगठनों ने समाजवादी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाए हैं, जिनका सरकार की तरफ से कोई खंडन नहीं आया है.
सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है. मंच ने यह भी कहा कि जिस तरह से यासीन के दोनों हाथों में और पीछे आग लगी थी, उनकी इतनी जल्दी मौत हो जाना भी संदेह का विषय है, क्योंकि उनके शरीर में जहां आग लगी वहां से संक्रमण इतनी तेज़ी से नहीं फैल सकता था.