TwoCircles.net News Desk
पिछले 67 सालों से बाबरी मस्जिद मामले की पैरवी कर रहे मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी की मौत की अफ़वाह सोशल मीडिया में फैलाई गई है, हालांकि यह ख़बर पूरी तरह से ग़लत है. बल्कि उनके परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि उनकी सेहत में पहले से काफी सुधार हुआ है. वो अब लोगों से बात कर पा रहे हैं.
स्पष्ट रहे कि 96 साल के हाशिम अंसारी को शनिवार सुबह नाश्ता करने के बाद सीने में अचानक तेज़ दर्द हुआ. इसके बाद घर के लोगों ने उन्हें पास के श्रीराम चिकित्सालय में भर्ती कराया. हालत गंभीर होने पर उन्हें फैज़ाबाद ज़िला अस्पताल के लिए रेफ़र किया गया. हालत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ के लिए रेफ़र कर दिया. लखनऊ में उन्हें किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के आईसीयू में उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक़ उनके हालत में काफी सुधार आया है.
हाशिम के बेटे इक़बाल अंसारी के मुताबिक़ उनके पिता हाशिम अंसारी को दिल की बीमारी के चलते क़रीब 6 महीने पहले लखनऊ के लॉरी हॉस्पिटल में इलाज कराया गया था. इसके बाद से उन्हें नियमित रूप से दवाएं दी जा रही है.
हाशिम का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है. वो 1921 में पैदा हुए. 11 साल की उम्र में सन् 1932 में उनके पिता का देहांत हो गया.
हाशिम अंसारी ने सिर्फ दूसरी जमात तक पढ़ाई की. फिर सिलाई यानी दर्जी का कम करने लगे. यहीं पड़ोस में फैज़ाबाद में उनकी शादी हुई. उनके दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी.
6 दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया, पर अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को बचाया.
हाशिम अंसारी 1949 से बाबरी मस्जिद की पैरवी कर रहे हैं. 1961 में जब सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मुक़दमा किया तो उसमें भी हाशिम एक मुद्दई बने. पुलिस प्रशासन की सूची में नाम होने की वजह से 1975 की इमरजेंसी में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और आठ महीने तक बरेली सेंट्रल जेल में रखे गए.
हाशिम अंसारी फिलहाल मौत से जंग लड़ रहे हैं. हालांकि 2010 में बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था –‘मैं फ़ैसले का भी इंतज़ार कर रहा हूँ और मौत का भी… लेकिन यह चाहता हूँ मौत से पहले फ़ैसला देख लूँ.’ ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि मौत पहले आती है या बाबरी मस्जिद का फैसला….