आमिर खान की ‘फ्रेम्ड ऐज ए टेररिस्ट’ पुस्तक का हुआ विमोचन

Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net

14 साल जेल में बिताने वाले बेगुनाह मो. आमिर ख़ान ने अपनी आपबीती को मानवाधिकार वकील व लेखिका नंदिता हक्सर की मदद से किताब की शक्ल दी है. जो आज दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर में लांच हुई.


Support TwoCircles

इस पुस्तक का नाम ‘फ्रेम्ड ऐज ए टेररिस्ट : माई 14 ईयर स्ट्रगल टू प्रूव माई इन्नोसेंस’ है. यह पुस्तक दिल्ली के स्पीकिंग टाईगर प्रकाशक द्वारा प्रकाशित की गई है.

Aamir Book Launch

इस पुस्तक का विमोचन में पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल के हाथों हुआ. इस अवसर पर कपिल सिब्बल ने कहा कि –‘इस देश में कई आमिर हैं. हमें इनकी हर तरह की मदद के लिए आगे आना चाहिए. हमें एक ऐसा मैकेनिज़्म बनाने की ज़रूरत है, जिससे कि आमिर जैसे बेगुनाहों की मदद की जा सके.’

आगे उन्होंने कहा कि –‘यह पुस्तक आज के हिसाब से इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ये आज के राजनीतिक माहौल में देश की व्यवस्था में मौजूद साम्प्रदायिक सोच को प्रदर्शित करता है, जिसका शिकार खुद आमिर भी हुआ.’

इस पुस्तक के विमोचन के बाद भावुक आमिर ने कहा कि –‘रिहाई मिल चुकी है. लेकिन डरता हूं. रात के अंधेरे से, कहीं अकेले निकलने से और काफी समय घर से बाहर रहने से…’

आमिर ने आगे कहा कि –‘मेरे लिए सबसे ज़रूरी है अपने परिवार के साथ-साथ इंसानियत को ज़िन्दा रखने और अपने देश को संजाने-संवारने का काम करूं. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे उपर किताब लिखा जाएगा, लेकिन हालात ने यह भी करा दिया.’

आमिर कहते हैं कि –‘मैं चाहता हूं कि ये देश वो देश बने जिसकी कल्पना हमारे गांधी जी ने किया था. जिस तरह के हालात आज देश में है, ऐसे देश की कल्पना गांधी जी ने शायद नहीं की थी.’

वो आगे कहते हैं कि –‘मुझे गर्व है कि मेरे मां-बाप ने पाकिस्तान को नहीं चुना, बल्कि जिन्ना को लात मार कर गांधी के हिन्दुस्तान को चुना.’

Aamir Book Launch

यह मो. आमिर खान वहीं हैं, जिन्हें 27 फ़रवरी 1998 को ‘अगवा’ कर आतंकवाद के आरोप में जेल में डाल दिया गया था. आमिर ग़िरफ़्तारी के वक़्त 18 साल के थे और 14 साल बाद जब वो जेल से रिहा हुए तो उनकी लगभग आधी उम्र बीत चुकी है. दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई अदालतों ने उन्हें आतंकवाद के आरोपों से बरी किया है.

पुस्तक विमोचन के इस कार्यक्रम में इस पुस्तक की असल लेखिका नंदिता हक्सर व सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और आमिर का मुक़दमा लड़ने वाले वकील फ़िरोज़ गाज़ी ने भी अपने विचारों को रखा. साथ ही इस कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक व पत्रकारों के साथ-साथ पूर्व राज्यसभा सांसद मो. अदीब व लोक जनशक्ति पार्टी के सचिव अब्दुल खालिक़ भी शामिल थे.

मो. आमिर खान की यह पुस्तक लांच होने के पहले से मेरे पास थी. 240 पन्नों की इस पुस्तक में आमिर ने नंदिता हक्सर की मदद से जेल में बिताए अपने 14 सालों को समेटा है. ऐसी अनगिनत सोचने व चिन्तन योग्य बातों को साझा किया है, जिन्हें वही शख्स बता सकता है, जिसने 14 साल जेल में बिताया हो.

क्या चलता है उस शख्स के दिमाग़ में जो बेगुनाह है, लेकिन पूरे 14 साल जेल के सलाखों के पीछे क़ैद रहा है, इसकी झलक यह पुस्तक हमें दिखाती है. आमिर के नीजि ज़िन्दगी में आए बदलाव के साथ यह पुस्तक भारत के न्यायिक व्यवस्था व समाज को दिखलाती है. ऐसे में आज के ताज़ा हालात में यह पुस्तक इस देश के हर उस शख्स को पढ़ना ज़रूरी है, जो देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता से लड़ना चाहता है.


SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE