By TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबासाहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में अपने वक्तव्य की शुरुआत में ही सकपका गए, जब उन्हें सामने मौजूद श्रोताओं की भीड़ में से ‘नरेंद्र मोदी गो बैक! नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद’ के नारे सुनाई दिए. नारे लगाते छात्रों को सुरक्षाकर्मियों और साथी छात्रों ने साथ मिलकर प्रेक्षाग्रह से बाहर का रास्ता दिखाया.
इस घटना से प्रधानमंत्री कुछ शुरुआत में कुछ सकपकाए हुए दिखे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना भाषण जारी रखा. नारेबाजों ने यह नारे हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और सरकार के रवैये के खिलाफ लगाए.
वहीँ दूसरी ओर दक्षिणपंथी ताकतों से लड़ने वाले लखनऊ के ही सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने नारे लगाने वाले छात्रों को सम्मानित करने की बात कही है.
रिहाई मंच का कहना है कि ‘मोदी गो बैक’ का नारा देकर बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि तर्कशील समाज किसी किस्म के फासिस्ट निजाम को बर्दास्त नहीं करेगा. बकौल रिहाई मंच, ‘रोहित की मौत की वजह जो भी रही हो’ सरीखा बयान देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दलित विरोधी केंद्र सरकार की संलिप्तता को उजागर कर दिया है.
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की विवादित प्रेस कांफ्रेंस अभी तक सुर्ख़ियों से नीचे नहीं उतर पायी है. मोदी और उनके मंत्री पहले ही साफ कर चुके हैं कि दलित और मुस्लिम उनकी फासिस्ट राजनीति के परिप्रेक्ष्य में कुचले जाने के लिए ही बने हैं.
रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के मुताबिक़, ‘मोदी गो बैक’ के नारे से तिलमिलाए मोदी असफलताओं से सीखने की बात कह रोहित और उसके न्याय के लिए लड़ने वाले साथियों को नैतिकता की शिक्षा देना बंद करें. मंच ने कहा कि जिस अच्छे-बुरे का भेद सिखाने वाली शिक्षा के बारे में मोदी बात कर रहे थे उसी संविधानसम्मत चेतना से लैस होकर रोहित लड़ रहा था और उसके न होने पर इंसाफ के लिए लड़ते हुए साथियों ने लखनऊ से ‘मोदी गो बैक’ का नारा दिया है.