TwoCircles.net Staff Reporter
अयोध्या: पिछले 67 सालों से बाबरी मस्जिद मामले की पैरवी कर रहे 96 साल के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी अब इस दुनिया में नहीं रहे. आज सुबह फ़ज्र की नमाज़ से पहले उन्होंने फैजाबाद स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली.
उनके बेटे इक़बाल अंसारी के मुताबिक़ बुधवार सुबह वो नमाज़ के लिए नहीं उठे थे, तो परिवार वालों ने पाया की उनकी मृत्यु हो चुकी है.
स्पष्ट रहे कि इसके पहले 96 साल के हाशिम अंसारी को इसी साल 7 फरवरी को सुबह नाश्ता करने के बाद सीने में अचानक तेज़ दर्द हुआ था. तब उनका इलाज लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के आईसीयू में चला था. इसके बाद से ही वे लगातार अस्वस्थ चल रहे थे. उन्हें नियमित रूप से दवाएं दी जा रही थी.
दिवंगत हाशिम अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है. हाशिम अंसारी का जन्म 1921 में हुआ था. सन 1932 में जब वे 11 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया.
हाशिम अंसारी ने सिर्फ दूसरी जमात तक पढ़ाई की. फिर सिलाई यानी दर्जी का काम करने लगे. यहीं पड़ोस में फैज़ाबाद में उनकी शादी हुई. उनके दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी.
6 दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया, पर अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को बचाया.
हाशिम अंसारी 1949 से बाबरी मस्जिद की पैरवी कर रहे थे. 1961 में जब सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मुक़दमा किया तो उसमें भी हाशिम एक मुद्दई बने. पुलिस प्रशासन की सूची में नाम होने की वजह से 1975 की इमरजेंसी में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और आठ महीने तक बरेली सेंट्रल जेल में रखे गए.
2010 में बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मैं फ़ैसले का भी इंतज़ार कर रहा हूँ और मौत का भी… लेकिन यह चाहता हूं कि मौत से पहले फ़ैसला देख लूं.’ लेकिन उनकी यह हसरत पूरी नहीं हो सकी.
TwoCircles.net ने उनसे कई बार बातचीत की है. उन्हीं में से एक बातचीत की वीडियो आप यहां देख सकते हैं :