TCN News
दिल्ली: योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार के साझे प्रयास और जनांदोलन स्वराज अभियान ने आज अपने पहले राष्ट्रीय प्रतिनिधि अधिवेशन में एक राजनीतिक दल का रूप अख्तियार किया. स्वराज अभियान के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार होंगे. क्रिस्टिना सामी, अविक साहा, पुरुषोत्तम और पी.एस. शारदा को संगठन का नया उपाध्यक्ष चुना गया. बतौर महासचिव फहीम खान और गिरीश नंदगांवकर व राजीव ध्यानी स्वराज अभियान के नए सचिव चुने गए.
इस प्रतिनिधि सम्मलेन में आज मीडिया की उपस्थिति में वोटिंग परिणाम की घोषणा हुई जिसमें 92.5 प्रतिशत बहुमत राजनीतिक प्रस्ताव के समर्थन में प्राप्त हुआ. राष्ट्रीय प्रतिनिधियों द्वारा कुल 433 वोट पड़े. इसमें से 405 लोग प्रस्ताव से सहमत, 26 असहमत और 2 वोट अमान्य पाए गए. राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सहमति के बाद स्वराज अभियान ने राजनीति की राह पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
स्वराज अभियान का संकल्प है कि आगामी 2 अक्टूबर तक राजनीतिक दल का निर्माण का कार्य पूरा करेंगे. वैकल्पिक राजनीति के इस प्रारूप को मूर्त रूप देने के लिए स्वराज अभियान ने एक 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है.
स्वराज अभियान के गठन के समय तीन मुख्य मापदंड तय किए गए थे. एक, लोकतांत्रिक ढंग से संगठन का निर्माण. दूसरा, देश के सम्मुख गंभीर मुद्दों पर जन आंदोलन चलाना और तीसरा, पारदर्शिता एवं जवाबदेही को सुनिश्चित करना.
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ‘स्वराज अभियान’ ने स्वेच्छा से खुद को ‘सूचना के अधिकार’ के अंतर्गत रखा है और जन सूचना अधिकारी की नियुक्त भी की गयी है. संगठन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्यीय लोकपाल नियुक्त किया गया है. प्रतिनिधि सम्मलेन में प्रशांत भूषण ने स्वराज अभियान के लोकपाल के तौर पर कामिनी जयसवाल, सुमित चक्रवर्ती और नूर मोहम्मद का परिचय रखा. साथ ही, संगठन में शिकायत निवारण समितियां भी बनायी गयी हैं.
स्वराज अभियान ने अपने चार मुख्य कार्यक्रमों – जय किसान आंदोलन, एंटी करप्शन टीम (एक्ट), शिक्षा स्वराज अभियान और अमन समिति की रिपोर्ट भी पेश की. स्वराज अभियान के युवा और छात्रों के संगठन ‘यूथ फॉर स्वराज’ का परिचय कराया गया.
अधिवेशन को संबोधित करते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा, ‘स्वराज अभियान ने 2 अक्टूबर तक राजनीतिक पार्टी बनाने का संकल्प लिया है. हमारे लिए पार्टी बनाने का मतलब है कि इस देश में सचाई और ईमानदारी की ऊर्जा जहां कहीं भी है, उसे जोड़ना. हम ईमान और सचाई की ऊर्जा को संगठित करके वैकल्पिक राजनीति की एक मिसाल पेश करेंगे.’
राजनीतिक गलियारों में स्वराज अभियान के इस कदम को एक बड़ी उपलब्धि की तरह माना जा रहा है. अभियान को दिशा देने में लगे हुए योगेन्द्र यादव का पार्टी में एक भी पद न ग्रहण करना और पार्टी द्वारा खुद को स्वतः ‘सूचना के अधिकार’ के अंतर्गत घोषित कर देने जैसे कदमों को बेहद सराहनीय कदमों की तरह देखा जा रहा है.