TwoCircles.net Staff Reporter
देश में 500 व 100 हज़ार के नोट को बंद करने के पीएम मोदी के ऐलान के तुरंत बाद ही ऑल इंडिया मजलि-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन (मजलिस) के सुप्रीमो असदउद्दीन ओवैसी ने चुटकी ली और बताया कि बीजेपी की सरकार हर महाज़ पर पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है.
गत मंगलवार को पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन के तुरंत बाद ओवैसी जालना में नगर पालिका चुनाव के प्रचार अभियान में बोल रहे थे. तक़रीबन एक घंटे के लंबे भाषण के बीच ओवैसी ने पीएम मोदी से चुटकी लेते हुए कहा कि –हमारे प्राईम मिनिस्टर देश से टीवी पर मित्रों तक़रीर कर रहे थे. तक़रीर करते-करते अचानक बोल दिए कि आज रात से 500 व 1000 का नोट ख़त्म. उसकी जगह नई 500 और 2000 की नोट आएंगे. मोदी जी को 1000 के नोट से तकलीफ़ थी तो 2000 का नोट ला दिए. क्या कर रहें है प्रधानमंत्री जी आप?
आगे ओवैसी ने कहा कि –आपने बोला था कि ना खाऊंगा ना खाने दुंगा तो विजय माल्या 9 हज़ार करोड़ खाकर व डकार लेकर आपके सामने से लंदन भाग गया. ललित मोदी 16 हज़ार करोड़ खाकर लंदन भाग गया. मिस्टर प्राइम मिनिस्टर उनको पकड़ कर कौन लाएगा?
ओवैसी अपने संबोधन में यह भी कहा कि –इस मुल्क में खाने को खाना नहीं है. महंगाई आसमान को छो रही हैं. बीजेपी की सरकार हर महाज़ पर नाकम साबित हो रही है.
वहीं एक दूसरे बयान में असदुद्दीन ओवैसी 500 व 1000 रुपए के नोटों का प्रचलन बंद करने को ‘जल्दबाजी’ में उठाया गया क़दम क़रार देते हुए आज कहा कि इसने अफ़रा-तफ़री की स्थिति पैदा की है और गरीबों और मध्यम वर्ग को गहरी परेशानी में डाल दिया है. उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया कि वह तत्काल अपना फैसला वापस लें.
ओवैसी के मुताबिक़ भारत के सिर्फ़ दो फीसदी लोग नक़दी रहित अर्थव्यवस्था में लेन-देन करते हैं जबकि शेष 98 फीसदी लेन-देन नक़दी के ज़रिए होता है. देश के आम लोग जैसे दिहाड़ी मजदूर, चालक, नलकार और नौकरानियां नक़दी के ज़रिए ही अपनी आजीविका अर्जित करती हैं. ये सभी मध्यमवर्ग, गरीब लोग, श्रमिक, खेतिहर मजदूर, चालक गंभीर परेशानी में हैं.
वहीं ओवैसी के ही पार्टी से जुड़े बिहार प्रदेश के युवा अध्यक्ष एडवोकेट आदिल हसन आज़ाद ने भी अपने एक बयान में कहा कि –अपने ढ़ाई साल की नाकामी को छिपाने और देश में भोपाल एनकाउंटर, नजीब व दलितों पर अत्याचार, मीडिया की आज़ादी पर हमला जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को दबाने के लिए ये हरकत की है. ब्लैक मनी को लेकर मोदी जी सच में गंभीर हैं तो पहले जिन 87 लोगों ने बैंक से सवा लाख करोड़ का बैड लोन लिया हुआ है, उसी पैसा को वापस ले लाएं. सवा लाख करोड़ से देश की कुछ तो अर्थव्यस्था सुधरेगी. लेकिन सच्चाई तो यह है कि इनका मंत्रालय इन 87 लोगों के नाम को उजागर करने तक को तैयार नहीं है. आख़िर इनका नाम उजागर करने में सरकार को क्या दिक्कत है.
आदिल कहते हैं कि सरकार के इस क़दम से आम लोगों की ही परेशानी बढ़ रही है. ब्लैक मनी रखने वालों को कोई फर्क़ पड़ता नहीं दिख रहा है.