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अररिया(बिहार): जब दुनिया नए साल की खुशी मना रही थी, उसी दौरान बिहार के अररिया जिले में जमीदारों ने अपने हक की मांग कर रहे दलितों पर हमला किया. दबंगों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के दो नेताओं की हत्या कर दी. वहां मौजूद कई दलितों को बेरहमी से पीटा.
कहां की है घटना?
यह घटना अररिया जिला के रहरिया गांव की है. यह गांव अररिया से सिर्फ 30-35 किलोमीटर की दूरी पर है. रानीगंज से भरगामा जाने वाली मुख्य सड़क से आधे किलोमीटर की दूरी पर एक छोटी सी बस्ती है, यहां मुसहर रहते हैं. उनके करीब 10-15 घर हैं | बस्ती के अगल बगल जमींदारों के कामत – खेत के पास वाला घर जहां से खेती की देखरेख होती है – हैं. एक-एक कामत इनकी पूरी बस्ती के आकार का है. जमींदार पास के ही बेलसारा गांव में रहते हैं. इस टोले के पास ही महादलितों की एक बड़ी बस्ती है, 50-60 घर हैं और यह बरदा टोला के नाम से जाना जाता है. बरदा टोला रानीगंज थानाक्षेत्र में पड़ता है और रहरिया का मुसहर टोला भरगामा थाना के अंतर्गत आता है. बरदा और रहरिया के ऋषिदेव जातियां अंत गरीब हैं. इनकी जाति बिहार सरकार के अनुसार महादलित श्रेणी में है. मजदूरी इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है. कुछ पुरुष दिल्ली या पंजाब जाकर कमाते हैं, कुछ खेतिहर मजदूर हैं. औरतें खेतों में काम करती हैं. इलाके के ज्यादातर ऋषिदेव लोगों के पास खेती की कोई जमीन नहीं है.
क्या है मामला?
1 जनवरी को कमलेश्वरी ऋषिदेव और भाकपा (माले) के जिला सचिव सत्यनारायण प्रसाद की दिन-दहाड़े हत्या कर दी गयी. कई लोगों को घायल कर दिया गया. यह हत्या रहरिया में हुई. रहरिया के ऋषिदेव टोला के लोगों से बातचीत पर पता चला कि सवेरे करीब 10 बजे सत्यनारायण प्रसाद और कमलेश्वरी रहरिया में एक मीटिंग कर रहे थे, और लोगों को अपने संगठन से जोड़ रहे थे. उसी दौरान यह आक्रमण हुआ. लोगों का कहना है कि बौआ यादव, मनोज यादव, मनीष यादव और मनोज राय के साथ करीब 200 लोग आये थे. उनके पास फरसा, कुल्हारी, तीर धनुष और बन्दूक थीं. चारों तरफ से टोला को घेर लिया गया था. पहले उन्होंने महिलाओं को बेरहमी से पीटा, फिर चार पुरुषों को बंधक बनाकर पास की कामत पर ले गए और उनको खम्भे से बांध दिया.
कमलेश्वरी और सत्यनारायण प्रसाद सुधीर ऋषिदेव के घर में छुप गए. उन्हें ढूंढकर निकाला गया और सुधीर ऋषिदेव के ही आंगन में खूब मारा गया. लोगों के अनुसार उन दोनों ने शायद वहीँ दम तोड़ दिया था. उन्हें पीटने वाले उन्हें बांस से बांधकर लेते गए. बंधक बनाए गए एक पुरुष ने कहा कि भरगामा पुलिस आई थी लेकिन हमें छुड़ाकर ले जाने की पुलिस की हिम्मत नहीं हुई. बंधक युवक के मुताबिक़ पुलिसवाले जमींदारों से कह रहे थे कि बंधकों को छोड़ दिया जाए पर जमींदार यह मानने को तैयार नहीं थे. वे पुलिस से कह रहे थे कि ‘तुम्हे 5 लाख रूपए की घूस क्या मुसहरों को छोड़ने के लिए दिया है? मुसहरों को काटने के लिए ही घूस दिया है.’
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बंधक बनाए गए पुरुष ने कहा कि भरगामा की पुलिस का उनको कोई डर नहीं था. रानीगंज की पुलिस आई और तब उन्होंने इन्हें मुक्त कराया. उन्हें टेम्पो में बिठाकर अररिया अस्पताल भेज दिया गया. फिर वहां से पूर्णिया अस्पताल भेजा गया. बंधकों का कहना था कि पुलिस के सामने ही जमींदार उन्हें मार रहे थे पर पुलिस ने उनको नहीं पकड़ा. लोगों का कहना था कि कमलेश्वरी और सत्यनारायण को ढूंढने के लिए भी पुलिस नहीं गयी, पुलिस ने कहा कि शाम हो गयी है. अगले दिन, यानी 2 तारीख को उनकी लाश मिली. मृत कमलेश्वरी ऋषिदेव और सत्यनारायण प्रसाद भाकपा (माले) से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे.
गांव की औरतों ने अपने जख्म दिखाते हुए कहा कि वे आक्रमणकारियों को अच्छी तरह पहचानते हैं क्योंकि वे ज़माने से उनके खेत पर काम करते आये हैं. लोग बार-बार बउआ यादव, मनोज यादव, मनीष यादव और मनोज राय का नाम लेते हैं. साथ में टिप्पण ऋषिदेव का नाम लेते हैं जो इसी टोला में रहता है और जमींदारों का नौकर है. औरतों ने कहा कि हमने बार-बार उनसे विनती की पर वह नहीं माने और लोगों को लगातार मारते रहे. कमलेश्वरी ऋषिदेव की पत्नी रेखा देवी का कहना है कि पुलिस के सामने ही यह हमला हुआ. पुलिस की जीप कामत पर ही लगी हुई थी जब हमलाकर कमलेश्वरी और सत्यनारायण को मार डाला गया.
जमीन को लेकर दो पक्षों में था विवाद
ऋषिदेव टोला के लोगों से पता चला कि रहरिया ऋषिदेव टोला के आसपास की करीब सात एकड़ और बरदा टोला के आसपास की 42 एकड़ जमीन को लेकर जमींदार और ऋषिदेव लोगों में विवाद चल रहा है. रहरिया में कमलेश्वरी के पास दादा के नाम की कुछ बट्टेदारी की जमीन है, जिसे जमींदार हथियाना चाहते हैं. बरदा टोला के पास करीब 42 एकड़ की जमीन है जिस पर ऋषिदेव टोला के लोग अपना हक़ जता रहे हैं. ऋषिदेव लोगों का कहना है कि यह जमीन सरकारी है और बाप दादा के जमाने से वह यहां बसे हुए हैं. बरदा टोला से सटी जो जमीन है, उसके कुछ हिस्सों पर ऋषिदेव लोगों ने हाल में अपना घर भी बांधा है. इन दोनों जगहों पर ऋषिदेव समुदाय का नेतृत्त्व कमलेश्वरी ऋषिदेव कर रहे थे, कोर्ट कचहरी का चक्कर भी वही सम्हाल रहे थे.
टोले की महिलाओं ने कहा कि दो महीने पहले जमींदार खेत पर कब्जा करने आये थे. टोले की कुछ महिलाओं ने रोकना चाहा था तो उनकी खूब पिटाई हुई थी.
माले कार्यकर्ताओं की हत्या की प्राथमिकी कमलेश्वरी की पत्नी रेखा देवी के नाम से SC/ST थाना केस संख्या 1/17 के तहत दर्ज है. प्राथमिकी में दर्ज बातों और रेखा देवी के बयानों में अंतर है, इस बारे में रेखा देवी बताती हैं कि पुलिस ने शायद कुछ गलत लिख दिया है.
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. 1 तारीख को जब कमलेश्वरी और सत्यनारायण नहीं मिले तो उन्होंने उनकी खोज क्यों नहीं की गयी? गांववालों के अनुसार पुलिस ने कहा कि शाम हो गयी है. अक्टूबर माह में जब महिलाओं को जमीन विवाद के कारण पीटा गया तो प्रशासन मुस्तैद क्यों नहीं हुआ? 1 तारीख को पुलिस के सामने बंधक बनाए गए लोगों को मारा गया. वहां किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गयी? पुलिस द्वारा बार-बार घूस लेने की बात सामने आ रही है. रेखा देवी का कहना है कि पुलिस के सामने हमला हुआ.
[यह रिपोर्ट जन जागरण शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा लिखी गयी है. 10 जनवरी को संगठन के तीन कार्यकर्ता रजत यादव, आशीष रंजन और कामायनी स्वामी रहरिया गांव और बरदा टोला गए थे. यह रपट वहां के लोगों से हुई बातचीत पर आधारित है. हमने इस खबर को भाषात्मक स्तर पर सम्पादित और प्रकाशित किया है.]