चम्पारण सत्याग्रह के असल हीरो शेख़ गुलाब पर पुस्तक का लोकार्पण 7 जुलाई को चम्पारण में

TwoCircles.net News Desk


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बेतिया (बिहार): इस साल पूरे देश में चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है. लेकिन ये बहुत अफ़सोसनाक बात है कि चम्पारण के ही उन तमाम स्वतंत्रता सेनानियों का नाम ग़ायब कर दिया गया है, जिन्होंने गांधी के इस सत्याग्रह में न सिर्फ़ अहम किरदार अदा किया, बल्कि उनके लिए ज़मीन भी तैयार की. इनकी क़ुर्बानियां बेमिसाल हैं.

इसी कड़ी में बेतिया की ज़मीन से जुड़े दिल्ली के एक पत्रकार ने इस चम्पारण सत्याग्रह के असल हीरो शेख़ गुलाब पर एक पुस्तक ‘शेख़ गुलाब : नील आन्दोलन के एक नायक’ लिखी है. इस पुस्तक का लोकार्पण आगामी 7 जुलाई 2017, शुक्रवार को बेतिया शहर के आमना उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल (इमाम बाड़ा) में की जाएगी. इस लोकार्पण व परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन ‘अमन वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाईटी’ की ओर से किया जा रहा है.

इस ‘लोकार्पण व परिचर्चा कार्यक्रम’ को लेकर आज एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें कार्यक्रम के साथ-साथ चम्पारण सत्याग्रह में अहम रोल निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों व उनके योगदान और फिर उनके नाम को देश की जनता के सामने लाने को लेकर आगे की रणनीति तय की गई.

इस बैठक में ‘अमन वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाईटी’ के सचिव हसन इकराम ने शेख़ गुलाब पर चर्चा की और साथ ही बताया कि हमारी संस्था आगे भी चम्पारण सत्याग्रह के गुमनाम हीरो पर कार्यक्रम आयोजित करेगी. वहीं इस संस्था के अध्यक्ष मो. मोहसिन आलम ने बताया कि आज की नस्लें अपने उन बुजुर्गों के कारनामों से ही अनजान हैं, जिन्होंने हिन्दुस्तान की आज़ादी में बहुत ही अहम रोल अदा किया है.

इस बैठक में पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल भी मौजूद थे. उन्होंने इस मौक़े से कहा कि, शेख़ गुलाब ही ‘चम्पारण नील विभ्राट’ के अगुवा थे, लेकिन उनकी बदनसीबी है कि वो स्थानीय क़िस्सों-कहानियों तक ही सिमट कर रह गए हैं. राष्ट्रीय फ़लक़ पर उन्हें वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वो सचनुच हक़दार थे.

इस बैठक की अध्यक्षता ‘अमन वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाईटी’ के अध्यक्ष मो. मोहसिन आलम कर रहे थे. आख़िर में सचिव हसन इकराम ने बेतिया शहर के लोगों से अपील की कि इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हो.   

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