आज़ादी की दूसरी जंग की ज़रूरत —ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल

TwoCircles.net News Desk


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नई दिल्ली : ‘अगर भारतीय संविधान को उसके मूल स्वरूप में न रहने दिया गया तो देश में अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है. आज की लड़ाई संविधान बनाम मनुवाद की है. आज संविधान में दी गई न्याय, समानता भ्रातृत्व और आज़ादी की गारंटी को बचाए रखने की चुनौती है, क्योंकि कुछ शक्तियां इन पर कुठाराघात करने की कोशिश कर रही हैं.’

यह बातें सोमवार को कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी चेयरमैन हॉल में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉ. मो. मन्ज़ूर आलम ने कहा. वो आगामी 30 जुलाई को ताल-कटोरा इनडोर स्टेडियम में ‘संविधान बचाओ —देश बनाओ’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन से सम्बन्धित तैयारी बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं. बताते चलें कि ये राष्ट्रीय सम्मेलन ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, ट्रुथ सीकर्स इन्टरनेशनल और अमीर खुसरो चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है.

डॉ. मन्जू़र आलम ने कहा कि, देश के सामने प्रस्तुत चुनौतियों के लिए आज़ादी की दूसरी लड़ाई लड़नी होगी. यह लड़ाई हमें अपने को दोबारा गुलाम बनाए जाने से रोकने के लिए लड़नी है.

आगे उन्होंने कहा कि, संविधान को बचाना आज राष्ट्रीय मुद्दा है और उसकी सुरक्षा के लिए हमें राष्ट्रीय आन्दोलन चलाना होगा. संविधान ने ‘हम भारत के लोग’ कहकर हमें पहचान दी और यह पहचान तभी तक रहेगी जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा.

उन्होंने कहा कि, आज देश के सामने संविधान को बचाए रखना हम सब के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. एक ख़ास सोच के लोग संविधान में परिवर्तन लाना चाहते हैं, ताकि अल्पसंख्यकों व दलितों एवं दूसरे पसमांदा तबक़े के लोगों को दिए गए अधिकारों से उन्हें वंचित किया जा सके.

उन्होंने कई वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि, 13 न्यायाधीशों की एक बेंच ने अपने फै़सले में साफ़ तौर पर कहा था कि संविधान का बुनियादी ढांचा नहीं बदला जा सकता.

डॉ. आलम ने बैठक में शामिल दलित बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं से कहा कि वे 30 जुलाई से पहले आगे की रणनीति पर अपनी राय दें. ‘कारवान-ए-दूसरी आज़ादी’ जैसे कार्यक्रम चलाए जाने की रूपरेखा तैयार की जाए, ताकि 30 जुलाई को उसकी घोषणा की जा सके.

इस बैठक में पूर्व सांसद तथा पूर्व सदस्य —राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार सत्या बहन ने कहा कि ये मिल्ली काउंसिल द्वारा आयोजित कार्यक्रम मिल्ली नहीं, बल्कि मिलन कार्यक्रम होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि आज सच्चाई की हार है और झूठे प्रचार (प्रोपगंडा) की जीत है. झूठे प्रचार के महारथी जनता को मूर्ख बना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमारा संविधान परम पावन है और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लिखित संविधान है. हमें झूठा प्रचार करने वालों के झूठे प्रचार के बारे में गाँव-गाँव जाकर लोगों को बताना चाहिए.

संविधान की समीक्षा की चर्चाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, संविधान अपने में परीपूर्ण है. अतः उसकी समीक्षा की कोई ज़रूरत नहीं.

पूर्व आईएएस अधिकारी एवं आदर्श समाज पार्टी के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रपाल ने कहा कि मानवता, सम्मान और आज़ादी हमारे संविधान के मूल तत्व हैं. अगर विषमता समाप्त नहीं की गई तो आज़ादी का कोई अर्थ नहीं. विषमता हिंसा से नहीं, बल्कि तर्क से दूर होनी चाहिए.

इस बैठक में प्रो. रतनलाल, वाई.के. सिंह, एडवोकेट एम.पी. सिंह, सामाजिक कार्यकता याद राम, जी.एल. भगत, दिनेश कुमार, एडवोकेट भाई तेज सिंह, पत्रकार अखिलेश रबुआ अम्बेडकर, मोहन बीना, हुकुम सिंह, देश राजन लोधी, डा॰ संदीप कुमार यादव, शहंशाह खान एडवोकेट, सूरज प्रकाश, सन्तोष कुमार पाण्डेय, के.पी. मौर्य, दीपक कुमार, ए.बी. सिंह, सुखमिन्दर सिंह सिध्धू, एच.आर. अहमद, धर्मेन्द्र, जय भगवान जाटव, अखिलेश कुमार, देवेन्द्र भारती, प्रो. जेड.एम. खान, अमित पीटर, सरिता सागर, डॉ. पी.आर. भास्कर, एस.आर. शास्त्री, अमन सिंह, रघुबीर सिंह, नितेश यादव, राजिन्दर कुमार, अवतार सिंह बाबर, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. जितेन्द्र यादव तथा सुनील सरदार ने भी अपने विचार व्यक्त किए.     

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