आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
सहारनपुर : पिछले डेढ़ महीनों से जातीय संघर्ष की आग में तप रहे सहारनपुर को क़ैद तो किया जा सकता है, मगर शांत नहीं किया जा सकता. इस बात का अंदाज़ा पिछले 3 दिनों के घटनाक्रम से लगाया जा सकता है. अब यहां नए कमिश्नर दीपक अग्रवाल भी आ चुके हैं. लेकिन पिछले तीन दिनों में यहां अलग-अलग जगहों पर धार्मिक स्थलों पर छेड़छाड़ की ख़बर है. कहीं मांस फेंका गया है और कहीं कालिख पोती गई है. और अब राजपूतों में इस बात की नाराज़गी है कि दलितों का तुष्टिकरण हो रहा है.
समाजवादी पार्टी युवजन सभा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के पुत्र कार्तिकेय राणा के विरुद्ध भी वैमनस्य फैलाने का मुक़दमा दर्ज हुआ है. पुलिस उन्हें तलाश रही है. मगर वो खुलेआम घूम रहे हैं.
TwoCircles.net के साथ बातचीत में कार्तिकेय राणा कहते हैं, ‘सरकार दलितों के तुष्टिकरण पर उतर गई है. अफ़सरों को जाति के आधार पर तैनाती दी गयी है. मायावती, राहुल गांधी सब दलितों की ही सुन रहे हैं. राजपुत नौजवान सुमित पर कोई क्यों बात नहीं करता. उसकी विधवा पत्नी से कितने नेतागण जाकर मिले हैं? राजपूत कायर नहीं हैं, बस संयमित है.’
भीम आर्मी के संस्थापक व चर्चित युवा नेता चंद्रशेखर की गिरफ़्तारी को लेकर पुलिस पर भारी दबाव है. वो इस पूरे प्रकरण में नायक और खलनायक दोनों बनकर कर उभरे हैं.
राजपूत नेता मनवीर तंवर के अनुसार, चंद्रशेखर की गिरफ़्तारी तक कुछ शांत नहीं होने वाला. क्योंकि सारे बवाल की जड़ वही है. उसने खुलेआम हिंसा की और राजपूतो को ललकारा. हमारा गौरवमयी इतिहास है. हमने भी कोई चूड़ी नहीं पहन रखी है.
मगर चन्द्रशेखर दलितों के लिए मरने-मिटने वाला नायक है. नया गांव रामनगर के जाटव कहते हैं जिसमें दम हो, गिरफ्तार कर ले. चंद्रशेखर शेर की तरह खुला घूम रहा है. मगर यह याद रखें कि जिस दिन ऐसा हुआ, उस दिन हम फिर सड़कों पर उतर जायेंगे.
यहां बताते चलें कि चन्द्रशेखर लगातार अपना दायरा बड़ा कर रहा है. मायावती के ज़रिए इसे आरएसएस का एजेन्ट बताने के बाद उसका एक नया वीडियो आया है, जिसमें उसने खुद को अपने समाज का एजेंट बताया है. इसके बाद चंद्रशेखर बहुजन मूवमेंट के जनक कांशीराम के घर पहुंचे और उनके परिवार से मिला.
ये बात अलग है कि पुलिस लगातार चंद्रशेखर के छुटमलपुर के पास स्थित गांव में रह रहे उसके परिवार को डिटेन कर रही है. बुधवार को चंद्रशेखर के भाई और मां से पूछताछ की गई और उनका पीछा किया गया. एक तरह से ये नज़रबंदी है, जिसकी पुष्टि प्रसाशन नहीं करता.
इस बीच अभी भी सहारनपुर में अभी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. 6 दिन लगातार इन्टरनेट सेवाएं पूरी तरह से बंद रहने के कारण यहां के लोग उकता गए हैं. ख़ासतौर पर गैर-दलित और गैर-राजपूत अब भारी गुस्से में हैं.
फैसल खान बताते है कि, डिजिटल इंडिया का सन्देश देने वाले बताए कि कैश है नहीं, नेट बैंकिंग बन्द हो गई है. स्वेप मशीनों में कनेक्शन चल रहा नहीं है तो फिर खरीदारी होगी कैसे?
फ़रहाद गाड़ा कहते हैं, यहां के लगभग एक लाख लोग कारोबारी या दूसरे कारणों से विदेश से जुड़े हैं. लगभग रोज़ाना बात करते हैं. वो अब पूरी तरह से झुंझला गए हैं. खासतौर पर पंजाबी समाज खासा रुष्ट है.
सामाजिक नेता महेंद्र तनेजा कहते हैं, व्यवपार बुरी तरह प्रभावित हो गया है. रोज़ करोड़ों का नुक़सान हो रहा है. यह अघोषित कर्फ्यू जैसा है. बवाल की ख़बरें सहारनपुर देहात से आई, मगर सख्त सज़ा शहर को मिल रही है.
यहां यह भी बताते चलें कि लखनऊ से भेजे गए तमाम बड़े अफ़सर अभी तक यहीं हैं. गृह सचिव मणिकांत मिश्र शब्बीरपुर में किसी भी घर में खाना खाने पहुंच जाते हैं. आईजी एसटीएफ़ अमिताभ यश यहां के अनुभव को पूरा प्रयोग कर रहे हैं. नए एसएसपी बबलू कुमार ज्यादातर वक़्त गांवों में लोगों से बातचीत करके गुज़ार रहे हैं. मगर हालात इसलिए सही होते दिखाई नहीं देते, क्योंकि लोग क़ैद जैसे हैं. इंटरनेट की पाबन्दी से लोग ज्यादा दुखी हैं. ऐसा लगता है जैसे उनकी आज़ादी छीन ली गई है.