‘गुजरात में अल्पसंख्यकों, दलितों को लेकर क्राईम ब्रांच का रवैया भेदभावपूर्ण’

TwoCircles.net News Desk


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अहमदाबाद : पिछले दिनों विधायक जिग्नेश मेवाणी की क्राईम ब्रांच द्वारा अचानक गिरफ़्तारी को लेकर अल्पसंख्यकों और दलितों के अंदर गुस्सा पनपता दिख रहा है.

बता दें कि 18 फरवरी को जिग्नेश मेवाणी ने अहमदाबाद बंद का कॉल दिया था. इसी दिन मेवाणी को अहमदाबाद के सरसपुर से जबरन गिरफ्तार कर पहले अहमदाबाद के क्राईम ब्रांच, फिर वहां से एसओजी ऑफिस ले जाया गया.

मेवाणी के समर्थकों का कहना है कि, किसी भी चुने हुए नुमाइंदे की गिरफ्तारी की ऐसी घटना पहली बार देखी गई है, जिसे गिरफ्तार कर उसके अपने साथियों से अलग स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी एसओजी के ऑफिस रखा गया. ये स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप वह संस्था है जो बड़े अपराधियों और आतंकवादियों से निपटने के लिए काम करती है.

यहां यह भी ग़ौरतलब रहे कि ‘हमारी आवाज़ और हमारा अधिकार’ नामक संस्था ने आज गुरुवार के दिन जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष मोहित पांडे को अहमदाबाद के रखियाल विस्तार में एक सभा को संबोधन के लिए आमंत्रण दिया था, लेकिन 10 दिन पहले सभा की परमिशन मांगे जाने के बावजूद 2 दिन पहले रखियाल पुलिस स्टेशन परमिशन देने से मना कर दिया.

इसी मामले को लेकर आज सिटी पॉइंट होटल में एक प्रेस वार्ता रखी गई, जिसमें इस संस्था के कौसर अली सैय्यद ने क्राइम ब्रांच के जे.के. भट्ट पर आरोप लगाया कि इनका रवैया अल्पसंख्यकों, दलितों को लेकर भेदभावपूर्ण है. यही नहीं, यह संविधान की क़सम खाने के बावजूद अपने संविधान के प्रति वफ़ादार ना होकर अपने आकाओं के प्रति वफ़ादार हैं.

सैय्यद ने कहा कि आने वाले दिनों में हम लोग संविधान की किताब तोहफ़े में देने जा रहे हैं ताकि इनको याद रह सके कि उन्हें वफ़ादारी संविधान के प्रति करना है ना कि दिल्ली और गांधीनगर में बैठे हुए लोगों के प्रति वफ़ादारी दिखाना है.

दलित-मुस्लिम एकता मंच के कलीम सिद्दीक़ी ने कहा कि, जे.के. भट्ट डीजी वंजारा बनना चाहते हैं. उन्हें याद रखना चाहिए कि वंजारा को 7 वर्ष जेल में बिताने पड़े थे. जिस प्रकार से प्रवीण तोगड़िया के साथ हुई घटना के बाद प्रवीण तोगड़िया ने उन्हें लीगल नोटिस भेजा है और 15 दिनों की कॉल डिटेल मांगी है, उसी प्रकार से हम लोग भी मांग करते हैं कि जे.के. भट्ट साहब की 17, 18 और 19 की कॉल डिटेल की जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके वह किन-किन लोगों के संपर्क में थे और किन के आदेश पर प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिश की.

राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के सह-संयोजक भरत शाह ने कहा कि, जिग्नेश मेवाणी की गर्दन दबाकर उसे जबरन गाड़ी में बिठाकर पुलिस ले गई. हम लोग साथ में थे और हम साथ में जाना चाहते थे, फिर भी पुलिस अकेले जिग्नेश को ले गई और घंटों तक हम लोगों को पता नहीं चला कि मेवाणी कहां है.

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