अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
जमशेदपुर : झारखंड में सिर्फ़ गाय के नाम पर ही नहीं, बच्चा चोरी की अफ़वाह पर भी लोग भीड़ का शिकार हुए हैं. ये अफ़वाह इतना उठी कि झारखंड की सड़कें 11 लोगों के खून से रंग उठा. ये बात अलग है कि न किसी का बच्चा चोरी हुआ, न किसी थाने में इसकी शिकायत दर्ज हुई और न ही मरने वाला बच्चा चोर था.
इस अफ़वाह में 11 लोगों की जान गई, और इनसे अलग 14 लोग बेरहमी से पीटे गए. इन घटनाओं के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक डी.के. पांडेय को नोटिस जारी किया.
आयोग के नोटिस के बाद एक जांच कमिटी बनाई गई, जिसमें कोल्हान के आयुक्त डॉ. प्रदीप कुमार और डीआइजी प्रभात कुमार शामिल थे. इसकी अध्यक्षता कोल्हान के प्रभारी आयुक्त कर रहे थे.
इस जांच टीम को एक महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इस टीम में 15 दिन में ही यानी 06 जून को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
सरकार ने इस रिपोर्ट को अभी तक पब्लिक नहीं किया है. लेकिन TwoCircles.net के पास ये रिपोर्ट मौजूद है, जिसे आरटीआई के ज़रिए हासिल किया गया है.
रिपोर्ट में बच्चा चोरी की अफ़वाह में मारे गए 9 लोगों का ज़िक्र है, जबकि असल में इस तरह की अफ़वाहों में 11 लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट में कई अधिकारियों के ट्रांसफर और निलंबन की अनुशंसा भी की गई है. मगर इस रिपोर्ट से यह साफ़ नहीं हो पाया है कि अफ़वाहें किसने फैलाईं और कितने सुनियोजित ढंग से यह पूरे झारखंड में फैलती रही और क़ानून व्यवस्था के रखवाले इसे रोक पाने में क्यों नाकाम रहे.
झारखंड में जब बच्चा चोरी की अफ़वाह में हत्याएं हो रही थीं, तब 20 अगस्त 2017 को मानगो में ‘मुस्लिम एकता मंच’ नाम के एक संगठन ने विरोध-प्रदर्शन किया था. रिपोर्ट में इस विरोध-प्रदर्शन का ज़िक्र करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया उपद्रव बताया गया है. साथ ही ‘मुस्लिम एकता दल’ की तुलना इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन से की गई है.
जांच दल अपनी अनुशंसा में यह भी कहती है कि, ‘सरकार मुस्लिम एकता मंच पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर सकती है. मुस्लिम एकता मंच कम्यूनल एवं अपराधिक क़िस्म के लोगों का मंच है. आने वाले समय में यह विकराल रूप ले सकती है एवं इंडियन मुजाहिदीन के तर्ज पर हो सकती है.’
भाजपा नेता ने बनाया था मुस्लिम एकता मंच
हैरान करने वाली बात ये है कि मुस्लिम एकता मंच का गठन बीते साल मार्च में भाजपा के जमशेदपुर अल्पसंख्यक मोर्चा के ज़िला अध्यक्ष आफ़ताब अहमद सिद्दीक़ी ने किया था.
इस मंच का मक़सद अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर एकजुट होना था. इसलिए इसमें दूसरे राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए थे. इस मंच ने शोभापुर और नागाडीह की घटना को लेकर धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया था.
आरोप है कि इस मंच के लोगों ने 20 मई को शहर का मेन रोड जाम कर दिया था. इसपर पुलिस ने लाठी चार्ज किया तो जवाबी कार्रवाई में पथराव भी हुआ.
जमशेदपुर के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आफ़ताब अहमद सिद्दीक़ी झारखंड सरकार के वरिष्ठ मंत्री सरयू राय के क़रीबी हैं. 21 मई को सरयू आफ़ताब के घर भी आएं और इस मुद्दे पर बैठक भी हुई. लेकिन सवाल यह है कि राज्य सरकार की पुलिस जिस संगठन की तुलना इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन से कर रही है और उस पर प्रतिबंध की मांग कर रही है, उसके संस्थापक तो भाजपा के सदस्य हैं. इतने संगीन आरोपों के भाजपा नेता पर पार्टी ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.
मुद्दे से भटकी हुई है ये रिपोर्ट
यह जांच रिपोर्ट इस मायने में हैरान करने वाली है कि यह बच्चा चोरी की अफ़वाह पर केंद्रित न होकर काफ़ी भटकी हुई है. रिपोर्ट में मुस्लिम एकता मंच और राज्य के सभी ज़िलों में पशु बाज़ार को नियंत्रित करना ज़रूरी बताया गया है लेकिन बच्चा चोरी की अफ़वाह के लिए ज़िम्मेदार कौन है, इसका ज़िक्र नहीं मिलता.
इस रिपोर्ट में जांच दल इस बात की अनुशंसा करती है कि हल्दीपोखर का पशु बाज़ार एवं राज्य के सभी ज़िलों में पशु बाज़ार को नियंत्रित करने की आवश्यकता है. इसमें सभी व्यापारियों का नाम पता एवं कितना व्यापार करते हैं, उनके बारे में लाईसेंस में उल्लेख होना चाहिए.
इस रिपोर्ट में यह भी अनुशंसा की गई है कि, गाय नहीं कटे, इसके लिए प्रशासन को और सतर्क होने की आवश्यकता है. विशेष शाखा को सक्रिय होने की आवश्यकता है. इन्हें सम्पर्क सूत्र बनाने होंगे और जानकारी प्राप्त करने के लिए और ज़्यादा सक्रिय होना पड़ेगा.
बताते चलें कि कोल्हान के आयुक्त डॉ. प्रदीप कुमार की अध्यक्षता में बनी यह जांच कमिटी क़रीब दो दर्जन घटनाओं में सिर्फ़ 5 को ही अपनी जांच में शामिल किया था. इनमें 11 मई, 2017 को जादूगोड़ा में रिफ़ील टुडू नाम के एक विक्षिप्त व्यक्ति की बच्चा चोर के आरोप में पीट-पीट कर की गई हत्या, 12 मई, 2017 को जादूगोड़ा में ही एक अन्य विक्षिप्त व्यक्ति की बच्चा चोर के आरोप में पीट-पीट कर की गई हत्या, 18 मई, 2017 को सुबह सरायकेला-खारसांवा अन्तर्गत राजनगर थाना क्षेत्र के शोभापुर गांव में चार लोगों की स्थानीय लोगों द्वारा की गई हत्या, 18 मई, 2017 की ही रात्रि में क़रीब 8 बजे पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर ज़िलान्तर्गत बागबेड़ा थाना अन्तर्गत नागाडीह गांव में बच्चा चोरी के आरोप में स्थानीय लोगों द्वारा तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या और 20 मई, 2017 को सुबह मानगो में मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया उपद्रव शामिल था.
स्पष्ट रहे कि झारखंड में बच्चा चोरी की अफ़वाह बीते साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह से फैलनी शुरू हुई थी. 2 मई को इस अफ़वाह का पहली दफ़ा हिंसक परिणाम देखने को मिला. डुमरिया थाने के बनकाटी में ग्रामीणों ने एक वृद्ध को बच्चा चोर कह बुरी तरह पीट दिया. इसके महज़ 9 दिन बाद 11 मई को जादूगोड़ा और गोलूडीह में दो युवकों को पीटा गया. एक की मौत हुई. इसी दिन आसनबनी में एक दूसरे शख्स पर बच्चा चोर होने का आरोप लगाकर उसे पीट-पीट कर भीड़ ने मार डाला गया. लेकिन पुलिस इसके बाद भी सतर्क नहीं हुई.
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