TwoCircles.net News Desk
पटना : जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय यानी एनएपीएम, बिहार से जुड़े सैकड़ों ग्रामीण मज़दूर किसान ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को पोस्टकार्ड से सन्देश भेजा है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी आधार के नाम पर ज़बरदस्ती की जा रही है और उन्हें लाभ से वंचित किया जा रहा है.
पोस्ट कार्ड में लिखा गया है कि “सर्वोच्च न्यायालय के लगातार आदेशों के बाद भी आधार को ज़बरदस्ती और अनिवार्य रूप से हमारी ज़रूरतों के साथ जोड़ा जा रहा है. हमें आधार नहीं, अधिकार चाहिए. भ्रष्टाचारियों के लिए, निजी कंपनियों के लिए एक और कमाई का ज़रिया बन गया है आधार. भ्रष्टाचार हटाने के लिए हमें सरकार की जनता के प्रति पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ानी होगी, हमारे जेबों में आई-कार्ड की संख्या नहीं, सुधार चाहिए.”
एनएपीएम से जुड़ी सोहिनी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में आधार का मामला चल रहा है. बिहार के मज़दूर किसान कोर्ट का ध्यान आकर्षण कराना चाहते हैं कि वास्तव में गांव-देहात में आधार को लेकर क्या हो रहा है.
उन्होंने कहा कि झारखंड में आधार के कारण भूख से मौतें हुई हैं, बिहार के गांव में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत मिलने वाले राशन में परिवार के सभी सदस्यों का आधार न होने की वजह से राशन में कटौती की गई है, कई लोगों को राशन से वंचित किया गया है. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उलंघन है.
एनएपीएम के राज्य संयोजक मंडल के सदस्य आशीष रंजन ने कहा कि ऐसा प्रचार हो रहा है कि आधार भ्रष्टाचार बंद कर देगी. पर सच्चाई यह है कि आधार बनाने के लिए ही हर परिवार से 250 से 500 रुपये तक की अवैध वसूली हुई है और इस बाबत एनएपीएम के सदस्यों ने अररिया ज़िला में नौ प्राथिमिकी भी दर्ज किया है.
एनएपीए बिहार की मांग है कि सरकारी लाभ लेने के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त की जाए और भ्रष्टाचार रोकने के लिए जनता पारदर्शिता के प्रावधानों को लागू किया जाए एवं जवाबदेही पर क़ानून बनाया जाए.