एक साल बाद आज भी सहमा है शब्बीरपुर ,बदल गई है दलितो की जिंदगी

शब्बीरपुर में शिवकुमार जाटव के उदास परिजन.

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

सहारनपुर : “पिछले साल 5 मई, हम सब लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे औरत मर्द सब…इतनी भीड़ इस गांव में हमने कभी नही देखी थी. हजारो लोग, हथियार थामे, तलवार हाथ मे लिए, सर पर पगड़ी बांधे गांव में घुस आए. दनादन गोलियां चली, हमारी पूरी बस्ती जलाकर राख कर दी गई. मेरे बेटे को तलवार से काट दिया गया हर तरफ चीख पुकार थी. घरों पर बच्चे थे,लड़कियां थी और बूढ़े थे. सब कुछ तबाह कर दिया गया गलती मेरे पति की यह थी कि उसने ठाकुरो के सामने पड़कर चुनाव लड़ा था और जीत गया था. एक चमार गाँव का प्रधान बन गया यह बात उनकी आंखें में खटक रही थी इसलिए 56 घर जलाकर राख कर दिए गए. हमारे जानवर तड़पते रहे, आज भी मेरे पति जेल में है सरकार ने अपनी ताकत दिखाकर हमसे प्रधानी छीन ली है.”


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ये शब्द 51 वर्षीय सोमपल्ली के हैं, जो शब्बीरपुर के पूर्व प्रधान शिवकुमार की पत्नी है.

वो आगे बताती हैं, “अब ठाकुर प्रधान है मगर मेरे पति शिवकुमार अब भी जेल है. दो दिन सरकार ने उनपर तीन महीने की रासुका और बढ़ा दी है. मेरे दो बेटी है मैं रात को सिसकती हूँ तो ये मुझसे लिपट जाती हैं. राजपूत आज भी हमारे मोहल्ले से आते -जाते हैं मगर हम उधर से नही जा सकते, मुआवजा मिल गया और  समाज ने भी बहुत मदद की. मरहम लगाया गया मगर दिल मे आज भी हुक सी उठती है.”

सोमपल्ली ,शिवकुमार की पत्नी.

शिवकुमार के अलावा गांव का एक और युवक सोनू भीम आर्मी के सुप्रीमो चन्द्रशेखर रावण के साथ ही जेल में बंद है. इन तीनो पर ही तीन महीने की रासुका अवधि बढ़ा दी गई है.

बीते साल 5 मई को पास के एक गांव शिमलाना में राजपूत समाज का एक कार्यक्रम आयोजित हो रहा था जिसमे सम्मलित होने जा रहे राजपूतो की यात्रा दलितो के मोहल्ले से निकालने पर विवाद हो गया था. इसमें एक राजपूत युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद हजारो की संख्या में राजपूतों ने दलितो की बस्ती पर हमला कर दिया था.शिवकुमार प्रधान ने राजपूतो की जयंती यात्रा दलितो की बस्ती से गुजरने का प्रमुख तौर पर विरोध किया था यहाँ तक की इसकी प्रशासन में शिकायत भी की थी.

बताया जाता है इससे पहले 14 अप्रैल को गांव के रविदास मंदिर में अम्बेडकर जयंती के एक कार्यक्रम का राजपूतों ने विरोध किया था और यहां अम्बेडकर प्रतिमा स्थापित नही होने दी थी. इसके प्रतिउत्तर में महाराणा प्रताप जयंती को दलितो के मोहल्ले में प्रवेश से रोक दिया गया. दलितो की ओर से इस मुहिम की अगवाई शिवकुमार ने की थी इसलिए वो सबकी आंखों में खटक गया.

रविदास आश्रम जहां पहुंची थी मायावती

इस दौरान पुलिस की भारी लापरवाही के चलते बवाल हो गया और दलित ठाकुर संघर्ष में एक राजपूत युवक की मौत हो गई. इसी दिन पास के गांव शिमलाना में महाराणा प्रताप जयंती समारोह में हजारो राजपूत एकत्र थे इसमें सूबे के कई मंत्री विधायक भी शिरकत कर रहे थे.फूलन देवी का हत्यारा शेर सिंह राणा भी इस कार्यक्रम में अतिथि था. बवाल की सूचना मिलने पर कार्यक्रम की भीड़ ने शब्बीरपुर पर हमला कर दिया जिसमे दलितो को घर मे घुसकर पीटा गया और उनके घर जलाकर राख कर दिए गए.

इतना सब होने के बाद भी हमलावरो की गिरफ्तारी न होने पर भीम आर्मी ने इनकी लड़ाई लड़ी. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी शब्बीरपुर पहुंची. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सहारनपुर पहुंचकर दलितो से बात की हालांकि उन्हें शब्बीरपुर आने की अनुमति नही मिली.

राष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा बटोरने वाले शब्बीरपुर में दलितो की जिंदगी अब पूरी तरह बदल गई है. गांव में जलाये गये घरों के पुननिर्माण हो चुके है सरकार की और मिला मुआवजा के अलावा दलित समाज ने आगे बढ़कर उनकी मदद की है. राजपूत लड़को के साथ दलितो के लड़कों ने अब खेलना बंद कर दिया है. दलित मजदूर अब राजपूत समाज के खेतों पर काम करने नही जाते ज्यादातर दलित अब गांव से बाहर काम कर रहे हैं. दलित राजपूतों के मोहल्लो में नही जाते है जबकि राजपूत दलितो की बस्ती से ही गुजरते है.

रिपोर्टकर्ता मनवीर

राजकुमार जाटव (44) हमे बताते है, “हम उनसे कम नहीं है न जमीन में न ताक़त में, फिर उन्हें बात बे बात सलाम क्यों करे, वो अपना काम करें और हमें हमारा करने दे हमें बिना बात के सताया न जाय. हमे दुःख है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हमारी पीड़ा पर एक शब्द नही बोला.

दलितो की और से मनवीर (47) रिपोर्टकर्ता है. उन्होंने दलितो की बस्ती जलाने तथा उन पर जानलेवा हमला करने की 40 नामजद और सैकड़ो अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. एक साल बीतने के बाद भी इसमें सिर्फ एक नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई है.

मनवीर हमसे कहते हैं, “पुलिस के अनुसार चार्जशीट अब तक विचाराधीन है किसी भी अपराध में पुलिस 60 दिन में आरोप पत्र दाखिल कर देती है नामजद 39 अभियुक्त हमारी आंखों के सामने घूमते रहते है. इसी बस्ती से होकर जाते हैं वो हमें कुछ नही कहते मगर उनकी आंखों की चमक हमे बेचैन करती है. कई बार पुलिस से मिलकर उनकी गिरफ्तारी के कह चुके है मगर कोई सुनवाई नही हुई बस आप यह कह सकते हैं कि 3-3 लाख रुपए मुआवजा मिल गया.”

अधूरा पड़ा निर्माण, यहां स्थापित होनी थी प्रतिमा.

मेघों (54) हमसे कहती है, “मायावती मुख्यमंत्री होती तो इनका दिमाग ठीक कर देती चलो अच्छा है अब तो अखिलेश भी साथ में है यह सरकार हमेशा नही रहेगी समय फिर बदलेगा गांव में अब कोई पुलिस तैनात नही हैं.”

इस मामले में भीम पाठशाला चलाने वाला युवक प्रवीण गौतम (25) हमे बताता है कि, “पिछले एक साल में शिमलाना इंटर कॉलेज में दलितो और राजपूत लड़को में तीन बार तगड़ी मारपीट हो चुकी हैं दलितो के लड़के अब अपने स्वाभिमान से समझौता नही करेंगे. हम इनके सामने अब नही झुकेंगे.

प्रवीण रविदास आश्रम में लेकर जाते हैं जहां अम्बेडकर प्रतिमा लगाने को लेकर राजपूतो ने विरोध किया था जिसके बाद यहां हालात खराब हो गए. एक कमरे में किनारे से डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा को एक कपड़े में लपेटकर रखा हुआ है.

कमरे में रखी अम्बेडकर प्रतिमा को दिखाता दलित युवक

वो कहते है “छाती में चुभन होती है कि हम बाबा साहब की प्रतिमा को स्थापित नही कर पा रहे जबकि यह हमारी अपनी जमीन है.”

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