आस मोहम्मद कैफ़, Twocircles.net
मेरठ। भारत में कोरोना का धर्म तय हो गया है अब इसके रुझान गलियों में मिलने लगे हैं। ताजा मामला आज ही का है मेरठ के शास्त्रीनगर में रहने वाले समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे कुलदीप उज्जवल के घर के बाहर आज सुबह एक व्यक्ति गुजर रहा था। वो लगातार छींक रहा था। कुलदीप और उनकी प्रोफेसर पत्नी को यह नागवार गुजरा। सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुए उन्होंने उस मजदूर को हिदायत दी कि वो मूहँ ढककर रखें। इस पर उस व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘मैं मजदूर हूँ। काम करने जा रहा हूँ और मैं तो हिन्दू हूँ, मुसलमान नही।’ इसके बाद कुलदीप और उनकी पत्नी अंशु ने जैसे ही यह सुना वो शॉक्ड रह गए। बाद में उस व्यक्ति को मुहं पर कपड़ा बंधवाकर कॉलोनी से बाहर भेज दिया गया।
मेरठ के शास्त्रीनगर में रहने वाले राजनीतिक विज्ञान में प्रोफेसर कुलदीप उज्ज्वल के अनुसार उनके साथ यह घटना 17 अप्रैल शुक्रवार सुबह लगभग 9 बजे हुई। उस समय वो अपने घर के बाहर चबूतरे पर खड़े थे। यहां उनके साथ उनकी प्रोफेसर पत्नी अंशु भी थी। कुलदीप बताते हैं, ‘इस घटना के बाद से मेरे घर मे यही चर्चा है। मेरी पत्नी कह रही है यह क्या हो गया है। बीमारी मज़हब देखकर नही आती है। लोगोंं के अंदर यह क्या ज़हर भर गया है!यह कौन सी मानसिकता है! देश कहाँ जा रहा है, देश मे तुरंत नफ़रत परोसने वाले टीवी चैनल पर रोक लगनी चाहिए। जहालत एक तरफ नही है। दोनों तरफ के अज्ञानी लोगो का विरोध होना चाहिए।’
हालांकि यह पहली घटना नही है। आश्चर्यजनक रूप से हिन्दू बहुल इलाकों में मुस्लिम सब्जी, रेहड़ी वालों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। कई जगह मारपीट की घटनाएं हुई है। गली में प्रवेश से पहले आधार कार्ड चेक किए जा रहे हैं। हिन्दू बहुल इलाकों से मुस्लिम किरायदारों को घर छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। हिंदू बहुल इलाकों में गलियों में ठेला लेकर आने वाले सब्जी और फल विक्रेता भगवा झंडा लगाकर आ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस तरह की सबसे अधिक घटना दिल्ली के करीब मेरठ शहर से आ रही है। हालात सभी जगह ऐसे है।
कुलदीप उज्जवल बताते हैं कि उनके आसपास के इलाकों में भी यही हो रहा है। अब अगर किसी सब्जी वाले से भाव पूछते हैं तो वो पहले जेब मे हाथ डालकर आधार कार्ड निकाल लेता है।उसे आदत हो गई है पहले आधार कार्ड से अपना धर्म बताना है। कुलदीप कहते हैं, ‘मैं जिस संस्कृति और खानदान से आया हूँ वहां अन्याय का कड़ा प्रतिरोध किया जाता है। धर्म के आधार किसी भी तरह की नफ़रत मेरा परिवार टोलरेट नहींं कर सकता है। मुझे गर्व है मेरी पत्नी को यह बात मुझसे से अधिक बुरी लगी। उसने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उस व्यक्ति से कहा कि उसे शर्म आनी चाहिए। महामारी को धर्म से नही जोड़ा जा सकता है।’
अंशु के मुताबिक वो अब तक यह सब अपने दिमाग़ से निकाल नही पा रही है। वो अंग्रेजी की प्रोफेसर है। हजारों बच्चों को पढ़ा चुकी है। कभी किसी के साथ जातीय और धार्मिक भेदभाव के बारे में सोचा भी नहीं है। हमारा देश अनेकता में एकता के लिए सुविख्यात है। मैं बेहद दुख के साथ कह रही हूं कि हमने अपनी महान पहचान को दांव पर लगा दिया है। कुलदीप के मुताबिक सरकार ने ऐसा अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए किया है। वो अपनी ग़लतियों को एक समुदाय के सिर थोपकर साफ बच निकलना चाहती है। इस तरह की घटनाएं राष्ट्र की अस्मिता के लिए समस्या है।
बागपत के आशीष तोमर भी इसी तरह की एक घटना के बारे में बताते हैं वो कहते हैं कि यहां एक सब्जी वाला आया था। उसने मास्क नही लगाया था। वो सेनिटाइजर भी नही ले रहा था। मैंने उससे रिक्वेस्ट की उसे इन सब सावधानियों का ख्याल रखना चाहिए। इस सब्जी वाले ने कहा, ‘साहब मैं तो हिन्दू हूँ मुसलमान नही।’ युवा आशीष बताते हैं कि एक बार तो मुझे गुस्सा आया। मगर फिर इस पर तरस आया क्योंकि इसका दिमाग हैक कर लिया गया है। निश्चित तौर पर यह देश के लिए अच्छी बात नही है।