नेहाल अहमद ।Twocircles.net
किशनगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र(10) में पड़ने वाले कोचाधामन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (55) में विधानसभा चुनाव की वोटिंग 7 नवम्बर को है।यहां मुख्य उम्मीदवारों की बात करें तो जेडीयू (एनडीए) के सिटिंग विधायक मास्टर मुजाहिद आलम मैदान में हैं वहीं दूसरी ओर एआईएमआईएम के इज़हार अशफ़ी हैं। वहीं राजद के उम्मीदवार शाहिद आलम हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबले की बात चल रही है।
बिहार चुनाव के ग्राउंड रिपोर्ट की कड़ी में सीमांचल किशनगंज से हमारे सीमांचल संवाददाता ने रविवार चकला घाट स्थित जहांगीर चौक पर स्थानीय लोगों से बात कर उनके मन को टटोलने की कोशिश की और जाना की आखिर उनके मुद्दे उनकी समस्याएं क्या हैं !
19 साल के करीम ने कहा कि शिक्षा एक अहम मुद्दा है। मैं ग्रेज्युएशन में हूँ। देखना ये होगा कि अब सत्र में हो रहे सुधार के दावे की ज़मीनी हकीकत क्या है (क्योंकि यहाँ के कॉलेज पहले बीएन मंडल यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए थे लेकिन अब पूर्णिया यूनिवर्सिटी से जुड़ जाने पर सत्र के नियमित होने की बात चल रही है)
मोहम्मद नूर हुसैन कहते हैं कि वो ओवैसी की राजनीति से प्रभावित हैं। शिक्षा के लिए बच्चों को दूसरे शहरों में पलायन करना पड़ता है जिसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है। एनआरसी को लेकर चले आंदोलन में जदयू के रुख़ का सीधा नकारात्मक असर वर्तमान में विधायक रहे मुजाहिद आलम के वोट पर पड़ सकता है।
मोहम्मद इस्लाम कहते हैं कि इस बार जदयू ने जो वायदे किये थे वो इस बार पूरे नहीं हुए। इसलिए इस बार एआईएमआईएम को वोट दूंगा। राजनीति दलों के आरोप-प्रत्यारोप का ज़्यादा असर नहीं पड़ता। ओवैसी के यहां आने से विकास संभव है।
मोहम्मद सफ़ुर कहते हैं कि ‘पिछला’ पंचायत में हाई स्कूल में मास्टर, हेड मास्टर का कोई अता-पता नहीं है। बाढ़ को लेकर खासी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां से सिटिंग विधायक मास्टर मुजाहिद आलम अच्छे हैं लेकिन उनकी पार्टी (जदयू-एनडीए) ठीक नहीं। उनकी पार्टी को लेकर आक्रोश व्याप्त है जिसका खामयाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है।
नजमुल हक़ कहते हैं कि शिक्षा एवं बुनियादी सुविधाओं का यहां अभाव है। जिस सरकारी विद्यालयों में केवल तीन मास्टर हो, प्रत्येक क्लास में सैकड़ो विद्यार्थी हों, वहां कक्षा के संचालन एवं शिक्षा का स्तर क्या होगा ये अनुमान लगाया जा सकता है। साइकिल वितरण के वक्त मैं वर्तमान विधायक से कहा था कि कक्षा के संचालन एवं शिक्षा की गुणवत्ता की जाँच हो। राशन वितरण के मामले में 5 किलो फ्री में देता है और 5 किलो के पैसे लेता है लेकिन तौल के देख लीजिये कि 10 किलो में 3 किलो की कटौती क्यों करता है ?
कैमरे देख अपने नेत्रहीन बेटे अनाबुल को लिए माँ अनवरी आ गई। इन्हें लगता है कि कैमरे पर बोल देने से शायद इनकी समस्या हल हो जाएगी तभी शायद बोलने से पीछे नहीं हठतीं। निराशावादी आशा सरकार से कहीं देखना हो तो इन्हीं तबकों में देखिये। गजब का विरोधाभास मिलेगा। अनवरी अपने नेत्रहीन बेटे अनाबुल के बारे कहती हैं कि इसके इलाज के लिए विराटनगर (नेपाल) गए थे लेकिन फ़ायदा कुछ नहीं हो सका। ‘हफ़्ता वाला’ लोन दे रहा है जिसके माध्यम से 10 हज़ार का लोन लेकर बाढ़ जैसी आपदा में क्षतिग्रस्त घर की मरम्मत कर डाली जो ज़रूरी था। घर में ट्यूबवेल नहीं है। पानी दूर से बोतल, बाल्टी में भर कर घर लाना पड़ता है। एक नेता के यहां 2 घण्टे बैठे रहे कोई सहायता नहीं मिल सकी । चाय पिला कर हटा दिया।
ठेला चलाने वाले मोहम्मद शाहिद आलम ने बताया कि नीतीश ने जुमलेबाजी का काम किया है। गली का दरकार जहां से वहां न देकर वहां दिया गया है जहां इसकी दरकार नहीं है। गली-नाली के सही निर्माण न होने के कारण बाढ़ के वक्त उसका पानी जमा हो जाता है जिससे पानी हटने में बाधा उतपन्न हो जाती है। मोदी-नीतीश के दावे फेल हैं। योजनाओं का लाभ ज़मीनी स्तर पर नहीं मिलता है। मैं ठेला चलाकर खाता-पीता हूँ। आगे कहते हैं कि लालू के समय में भैंस लोन ग़रीब को 5 हज़ार रुपये देता था जो उस वक्त के हिसाब से बहुत था लेकिन अभी के ज़माने में तो 50 हज़ार भी कम पड़ेगा। उस वक़्त लालू सबको अपना रोज़गार चलाने के लिए लोन दे रहा था लेकिन अभी लोन उसी को दे रहा है जिसकी ज़मीन है, जिसकी ज़मीन नहीं उसको लोन नहीं।
बुजुर्ग ताहिर कहते हैं कि बाढ़ के वक़्त केरला से लाभ मिला था। मुखिया-मेम्बर से कोई सपोर्ट नहीं है। बरसात में चावल डाल दिया है। दो-चार सौ टका(रुपये) भी दिया है। काम-धंधा अभी बंद है। इन समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है।
ख़तिबुद्दीन कहते हैं कि वार्ड नम्बर तीन, चकला पंचायत में ‘सबसे पहले’ बाढ़ आता है और जाता सबसे बाद में मेरे आंगन से है। वर्ष 2017 में 6 हज़ार की सहायता मिली थी । उसके बाद दो-तीन साल से बाढ़ का पानी झेल रहे हैं लेकिन अभी तक एक भी पैसा नहीं मिला है। लोकडाउन में बीजेपी ने स्कूलों में पढ़ाई बर्बाद कर दिया। अब हम ओवैसी को यहां मौका देंगे।
यहीं टोटो (ई-रिक्शा) चालक मोहम्मद रफ़ीक गुज़रते मिले। उन्होंने कहा कि यहां बाढ़ की बड़ी समस्या बनी रहती है जिस कारण उस वक्त खाने-पीने की बड़ी समस्या हो जाती है। यहां रोजगार के अवसरों पर अगर ध्यान दिया जाये तो रोजगार के पलायन को रोका जा सकता है क्योंकि अगर घर के पास ही लोगों को रोजगार मिल जाएगा तो कोई फिर क्यों बाहर जाएगा।