बेहट की ख़ानक़ाह रायपुर में सलाम करने पहुंची प्रियंका गांधी

स्टाफ़ रिपोर्टर । Two circles.net  

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी आज सहारनपुर की बेहद मशहूर रायपुर ख़ानक़ाह में आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए उलेमाओं को खिराजे अक़ीदत पेश करने पहुंची। उनके साथ सहारनपुर के नेता इमरान मसूद भी थे। यह वही ख़ानक़ाह है जो मौलाना महमुदुल हसन और मौलाना हुसैन अहमद मदनी की गिरफ्तारी के बाद रेशमी रुमाल तहरीर का केन्द्र बन गई थी। यहां उस दौरान अंग्रेजो से लड़कर शहीद हुए उलेमाओं की कब्रें मौजूद है। 


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यहाँ आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और स्थानीय नेताओं के साथ आज यहां का दौरा किया और विद्वानों,संस्थानों के जिम्मेदार और सम्मानित व्यक्तित्वों के साथ मुलाकात की। बता दें प्रियंका गांधी सहारनपुर के दौरे पर है और आज सुबह वो सिद्ध पीठ मंदिर शाकुम्भरी मंदिर भी गई थी।

प्रियंका गांधी ने खानकाह में नाज़िम शाह अतीक अहमद के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और मुल्क में अमनो अमान के लिए हुई दुआ में शिरकत की।

यह खानकाह सहारनपुर ज़िले बेहट के पास एक गांव रायपुर में स्थित है जिसे 1888 मौलाना शाह अब्दुल रहीम द्वारा स्थापित किया गया था, जिसने तब से लाखों लोग के लिए सुधार का एक महत्वपूर्ण कार्य अंजाम दिया है । स्वतंत्रता के युद्ध में इसकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता है, खासकर जब शेख-उल-हिंद मौलाना महमूद अल-हसन और शेख-उल-इस्लाम मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी की गिरफ्तारी के बाद यह खानकाह‌ रेशमी रूमाल आंदोलन का केंद्र बन गया और फिर यहां से शाह अब्दुल रहीम रायपुरी के नेतृत्व में प्रमुख स्वाधीनता संग्राम में उलेमाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ख़ानक़ाह के प्रवक्ता बदर आलम के मुताबिक खानकाह रायपुर एक ऐसा स्थान है जहाँ शुरू से ही‌ हिदायत व मार्गदर्शन के साथ-साथ लोगों की मानवता की खिदमत करने के लिए प्रेरित करता रहा है। आज भी खानकाह अपने इसी तरीके पर काम करती आ रही है। यहां से प्रेम, भाईचारे, समानता, एकता और एकजुटता का संदेश मानव जाति को दिया जाता है। यह एक ऐसी संस्था का नाम है जो जाति, धर्म या वंश के बारे में कुछ नहीं जानती है, इसके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।

उन्होंने बताया कि मौलाना अली मियां नदवी का रायपुर खानकाह से भी गहरा संबंध रहा है और उन्होंने भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में दया, परोपकार, सच्चाई और ईमानदारी का संदेश दिया है और भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए हमेशा प्रयास किया है।  इस खानकाह और इस तरह के अन्य खानकाहों के लोगों ने भारत की स्वतंत्रता में एक महान भूमिका निभाई है और हिंदू-मुस्लिम एकता के साथ अंग्रेजों के खिलाफ महत्वपूर्ण आंदोलन चलाया है।

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