मौलाना अरशद मदनी ने उठाई नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग

स्टाफ़ रिपोर्टर।twocircles.net

केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद अब नागरिकता कानून को भी वापस लेने की मांग भी उठने लगी है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सरकार से सीएए कानून को भी वापस लेने की मांग की है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा हैं कि सरकार को चाहिए कि सीएए और एनआरसी कानून को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा हैं कि प्रधानमंत्री को इसपर भी ध्यान देना चाहिए।


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शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून निरस्त करने का ऐलान किया था। कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की वापसी का मुद्दा फिर से उठने लगा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सरकार से कृषि कानून की तरह सीएए को वापस लेने की मांग की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कृषि कानून के वापस होने पर किसानों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हैं। किसानों को हम मुबारकबाद देते हैं।

मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बातचीत में कहा यह किसानों के धैर्य और शांतिपूर्ण आंदोलन की जीत है। उन्होंने कहा कि  धैर्य से किया गया आंदोलन सफल होता है।‌ मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि किसान आंदोलन को भी कहीं न कहीं सीएए विरोधी आंदोलन से प्रेरणा मिली जिसके बाद हजारों किसान शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कृषि कानून वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वह बिल्कुल गलत हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन की सफलता यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सच्चाई से भी इंकार नहीं किया सकता है की किसानों के लिए इतना मजबूत आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ आंदोलन में मिला। महिलाएं और यहां तक ​​कि बुजुर्ग महिलाएं भी दिन-रात सड़कों पर बैठी रहीं, आंदोलन में शामिल होने वालों पर जुल्म के पहाड़ टूट पड़े। आंदोलन में शामिल लोगो पर गंभीर मुकदमे लगाये गये, लेकिन आंदोलन को कुचला नहीं जा सका।

मौलाना मदनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि देश की संरचना लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर सही है। उन्होंने कहा कि इसलिए अब प्रधानमंत्री को उन कानूनों पर ध्यान देना चाहिए जो मुसलमानों के संबंध में लाए गए हैं। कृषि कानूनों की तरह ही सीएए भी वापस लेना चाहिए।

मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से कहा कि सीएए और एनआरसी राष्ट्रीयता से संबंधित है और इसका खामियाजा मुसलमानों को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार उस कानून को भी वापस ले, जो मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला है। वे भी दूसरों की तरह ही भारत के नागरिक हैं। यदि वे प्रभावित हैं, तो सरकार को इसे कृषि कानून की तरह वापस लेने चाहिए।

अमरोहा से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने भी कृषि कानून की तरह सीएए को वापस लेने की मांग की है। सांसद दानिश अली ने ट्वीट करते हुए कहा कि ,’तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना स्वागत योग्य कदम है। मैं किसानों को बधाई देता हूं कि उनके संघर्ष, त्याग और बलिदान ने सरकार की ताकत को पराजित किया। सीएए को भी निरस्त करने के बारे में तत्काल विचार होना चाहिए’।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के फैसले की शुक्रवार को घोषणा की। किसान आंदोलन के दौरान लगभग 700 किसानों की मृत्यु हुई। सरकार की ओर से आगामी शीतकालीन संसद सत्र में कानून वापस लिया जाएगा। किसान लगभग एक साल से कानून वापस लिए जाने को लेकर दिल्ली के विभिन्न बार्डरो पर आंदोलन कर रहे थे।

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