मजलूमों की आवाज़ राजीव यादव भी यूपी चुनाव में ठोंक रहें ताल,पढ़े बातचीत

उत्तर प्रदेश में नाम राजीव यादव एक ऐसी शख्सियत का नाम है। जो लगातार कमज़ोर समुदायों के बेगुनाहों को जेल भेजने के विरुद्ध सड़क पर संघर्ष करते दिखते हैं। राजीव यादव पिछले 10 वर्षों से लगातार दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के मसलों पर लड़ रहे हैं और अब इन्हीं मुद्दों को सदन तक ले जाने के लिए वे आजमगढ़ की निज़ामाबाद विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। Twocircles.net के संवाददाता आकिल हुसैन ने
राजीव यादव से बातचीत की हैं,जिसे हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं …

राजीव यादव TwoCircles.net से बात करते हुए बताते हैं कि जिस समय उनकी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी हुई थी उस समय देश में आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम युवाओं का दमन शुरू हो चुका था। राजीव कहते हैं कि उस समय भी मीडिया ने एक नैरेटिव सेट किया और मुस्लिम युवाओं पर लगे झूठे आतंकवाद के आरोप को अदालत से पहले ही साबित कर पीड़ितों और उनके परिजनों को कठघरे में खड़ा कर दिया।


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राजीव बताते हैं कि 2008 में दिल्ली के बटला हाउस के एनकाउंटर में उनके गृह जनपद आजमगढ़ के लड़को को मार दिया गया, इसके बाद से आजमगढ़ को आतंकवाद से जोड़ना शुरू कर दिया गया और आजमगढ़ के मुस्लिम युवाओं का आतंकवाद के नाम पर उत्पीड़न करना शुरू कर दिया गया। राजीव कहते हैं कि आतंकवाद के झूठे आरोपों में फंसाए गए युवाओं का केस लड़ने से अधिकतर वकीलों ने मना कर दिया। राजीव बताते हैं कि तभी उन्होंने लखनऊ के एक वकील मोहम्मद शोएब के साथ मिलकर ‘रिहाई आंदोलन’ शुरू किया।

राजीव TwoCircles.net से कहते हैं कि ‘रिहाई आंदोलन’ का उद्देश्य आतंकवाद के नाम पर और सत्ता के विचारों के खिलाफ लड़ने वाले निर्दोष युवाओं की गिरफ्तारी का विरोध करना और उनकी रिहाई के लिए संघर्ष करना था। राजीव कहते हैं कि इस दौरान उन्होंने कई समाजिक संगठनों से भी संपर्क किया और इन मुद्दों पर साथ लाने का प्रयास किया।

इस दौरान राजीव यादव ने आज़मगढ़ समते पूरे सूबे में फर्जी इनकाउंटर में मारे और घायल दलित-पिछड़ों और मुसलमानों के परिजनों से मिल कर उनकी कानूनी लड़ाई में हर संभव सहयोग किया। इनकांउटर की घटनाओं का दस्तावेज़ीकरण कर कानून व्यवस्था के नाम पर होने वाले इन फर्जीवाड़ों को मीडिया से लेकर राष्ट्रीय मावाधिकार आयोग की दहलीज़ तक पहुंचाया‌।

राजीव यादव और रिहाई आंदोलन के प्रयास का असर यह हुआ कि अखबारों और टीवी चैनलों ने जिन युवाओं को ‘आतंकवादी गिरफ्तार’ बताया और दिखाया था, अब दिखाने लगे की ‘अदालत ने आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार युवा को बाइज्जत बरी किया’, ’10 सालों बाद निर्दोष रिहा’। राजीव यादव और एडवोकेट मोहम्मद शुऐब द्वारा शुरू किया गया यहीं ‘रिहाई आंदोलन’ आगे चलकर ‘रिहाई मंच’ बना।

राजीव यादव ने ‘ऑपरेशन अक्षरधाम’ किताब भी लिखी जो आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार युवाओं की लड़ाई लड़ते हुए उनके संघर्षों का एक संग्रह है। उन्होंने सैफ़रॉन वारः ए वार अगेंस्ट नेशन’ और ‘पार्टिशन रिवीजीटेड’ नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई। सैफ़रॉन वार यूपी की सियासत में काफी चर्चित डॉक्यूमेंट्री है। यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री और गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस डॉक्यूमेंट्री के विरोध में राजीव यादव और उनके साथियों को इस्लामिक फंडेड व नक्सलियों का समर्थक भी बताया था। इसके बावजूद राजीव यादव पूरी बहादुरी के साथ पूर्वांचल में साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ते रहे, और योगी आदित्यनाथ की साम्प्रदायिक गतिविधियों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए।

राजीव यादव ने रिहाई मंच के साथ अखिलेश यादव सरकार के दौरान कोसी कला, प्रतापगढ़, फैजाबाद, मुजफ्फरनगर में हुई सांप्रदायिक घटनाओं को प्रमुखता से उठाया। राजीव यादव ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी संगीत सोम, सुरेश राणा जैसे नेताओं के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज करवाईं। राजीव यादव ने यूपी की राजधानी लखनऊ में मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के साथ जन सुनवाई का आयोजन किया तो तत्कालीन सपा सरकार ने इसपर रोक लगा दी, सरकार द्वारा रोक लगाने के बाद भी राजीव यादव ने दंगा पीड़ितों के साथ विधानसभा तक मार्च निकाला।

2013 में आतंकवाद के मामले में फंसाए गए खालिद मुजाहिद की हिरासत में मौत के बाद रिहाई मंच ने विधानसभा के सामने लगातार 120 दिन धरना प्रदर्शन किया। राजीव यादव और रिहाई मंच द्वारा करें गए धरना प्रदर्शन के दबाव में तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। राजीव यादव ने मुख्य पटल पर खालिद मुजाहिद का सवाल उठाया। 2016 में भोपाल में हुए कथित एनकाउंटर पर भी राजीव यादव ने सवाल उठाया और लखनऊ में प्रदर्शन किया इस दौरान पुलिस ने राजीव को पकड़ कर बेरहमी से पीटा और जेल में डाल दिया।

राजीव यादव ने 2017 में यूपी के विधानसभा चुनावों के दौरान राजधानी लखनऊ के चर्चित सैफुल्लाह एनकाउंटर और उसके बाद आतंकवाद के नाम पर कानपुर, लखनऊ और बिजनौर से गिरफ्तार लड़कों की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया। पिछले वर्ष जुलाई में लखनऊ से आतंक के नाम पर गिरफ्तार करें गए मिन्हाज और मुशीरुद्दीन की गिरफ़्तारी पर भी राजीव यादव ने पीड़ितो के परिजनों के साथ मिलकर सवाल उठाया और कानूनी सहायता भी प्रदान की। राजीव यादव की सक्रियता की वजह से आज़मगढ़ में आतंकवाद के नाम फर्जी मुठभेड़ों में कमी आई। राजीव यादव और रिहाई मंच के साथियों की मुहिम सिर्फ मुकदमे लड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि इस तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज न हों, जिससे वंचित तबके को सड़क से लेकर अदालतों के चक्कर न काटने पड़ें।

2017 के चुनाव में बीजेपी की सरकार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में काबिज हो गई। यूपी में मुसलमानों और दलितों का उत्पीड़न लगातार बढ़ता गया। विरोधियों को अपराधी बताकर फर्जी मुकदमे में फंसाने का दौर शुरू हो गया। राजीव यादव ने यूपी में भाजपा शासित योगी सरकार में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के खिलाफ मॉब लिंचिग, एनकाउंटर, गुंडा एक्ट, गैंगेस्टर, रासुका जैसे सवालों को मजबूती से उठाया। फर्जी एनकाउंटर पर सवाल उठाने की वजह से राजीव यादव को फर्जी मुकदमें में फंसाने और जान से मारने की पुलिस की धमकी को संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भी संज्ञान लिया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की जांच की।

राजीव यादव TwoCircles.net से बताते हैं कि वे 2018 में सवर्ण आरक्षण, 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ, नीट में आरक्षण जैसे सामाजिक न्याय के सवालों पर लगातार सक्रिय रहे। उन्होंने कहा कि 13 प्वाइंट रोस्टर के लिए आयोजित भारत बंद के आयोजन में रिहाई मंच की यूपी में अहम भूमिका थी। राजीव ने बताया कि एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को हुए भारत बंद, 2019 में नागरिकता आंदोलन में भी वे सक्रिय रहें , नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध आंदोलन के दौरान लखनऊ समेत पूरे सूबे में हुई हिंसा को लेकर रिहाई मंच निशाने पर आया और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ और रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब कई महीनों जेल में भी रहें। राजीव यादव ने तीन कृषि कानून के विरुद्ध यूपी में माहौल बनाया और पूर्वांचल में किसानों को संगठित करने का कार्य भी किया। राजीव कहते हैं कि वे साम्प्रदायिक-जातीय उत्पीड़न की घटनाएं रहीं हों या हिरासत में हत्या के मामले, इन सबके के विरोध में वो हमेशा मुस्तैद रहें।

राजीव कहते हैं कि चाहते तो किसी भी बड़े मीडिया घराने में जाकर एक बड़े पत्रकार बन सकते थे। लेकिन उन्होंने ने जनता के मुद्दों को उठाने के लिए आंदोलन का रास्ता चुना। राजीव यादव यूपी में कहीं न कहीं समाजिक आंदोलन का चेहरा रहें हैं। राजीव चाहते तो किसी भी राजनैतिक दल में शामिल होकर विधानसभा पहुंच जाते। लेकिन राजीव यादव ने अपनी मातृभूमि को अपनी राजनीतिक शुरुआत के लिए चुना।

राजीव यादव आजमगढ़ की निज़ामाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। निज़ामाबाद में राजीव की पहचान एक आंदोलन के प्रत्याशी के रूप में हैं। राजीव यादव की पहचान एक पत्रकार, फिल्मकार,लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता की हैं।

राजीव TwoCircles.net से बताते हैं कि जब वो जनता के बीच जाते हैं तो उन्हें बताते हैं कि वो आंदोलनकारियों के प्रत्याशी हैं, जनता उनकी बात को सुनतीं भी हैं। राजीव कहते हैं कि जनसंपर्क के दौरान जब युवा उनसे मिलते हैं तो पूछते हैं कि उच्च शिक्षा कैसे हासिल करें और देश के बड़े विश्वविद्यालयों में कैसे दाखिला ले क्योंकि आज की राजनीति के दौर में युवा वर्ग अपने बीच पढ़ा लिखा प्रत्याशी बहुत कम पाता है।

राजीव बताते हैं कि वो लोगों के बीच हर वर्ग के लोगों की सुरक्षा के मुख्य रूप से उठा रहें हैं क्योंकि इन पांच सालों में कहीं न कहीं लोगों का सुरक्षा व्यवस्था से भरोसा उठा हैं क्योंकि फर्जी एनकाउंटर और पुलिस हिरासत के नाम पर लोगों की हत्याएं हुई है चाहें वो अल्पसंख्यक हो या दलित हो या ब्राह्मण हो। वे कहते हैं कि हर वर्ग के लोगों को झूठे आरोपों में फंसाकर गिरफ्तार किया गया, तो सुरक्षा का मुद्दा इस चुनाव में बहुत अहमियत रखता है।

निज़ामाबाद से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजीव यादव TwoCircles.net से बताते हैं कि वो जिन मुद्दों को लेकर क्षेत्र की जनता के बीच जा रहें हैं उनमें एक कैंसर अस्पताल की स्थापना हैं, निज़ामाबाद को बर्तन उद्योग में विश्व पटल पर पहचान दिलाना है, युवाओं के लिए यहां एक स्टेडियम बनाना है। राजीव कहते हैं कि निज़ामाबाद में अधिकांश लोग खेती किसानी से जुड़े हुए हैं तो यहां पर आम, कटहल, लाल मिर्च के व्यवसाय के लिए मंडी स्थापित करना भी मुख्य मुद्दा हैं, इसके अलावा किसानों के लिए फसल क्रय विक्रय केंद्रों के संचालन की व्यवस्था करना है।

राजीव बताते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके मुद्दे प्राइमरी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम करना और कंप्यूटर शिक्षा देना शामिल हैं। इसके अलावा युवाओं के रोजगार के अवसर के लिए कृषि आधारित उद्योगों को स्थापित करना है जिससे युवाओं का पलायन रुके और क्षेत्र में विकास हों।

राजीव यादव जिस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं उसपर पिछले 20 सालों से समाजवादी पार्टी के आलम बदी का कब्ज़ा हैं। इस सवाल पर राजीव कहते हैं कि उनके लिए यह चुनौती नहीं है क्योंकि वे संघर्ष करते हुए आंदोलनरत रहते हुए चुनावी मैदान में आए हैं। राजीव कहते हैं कि दूसरे विपक्षी दलों के मुद्दों में सुरक्षा का मुद्दा गायब है लेकिन वो फर्जी एनकाउंटर, झूठे मुकदमों से सुरक्षा के मुद्दे को लेकर जनता के बीच हैं।

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