पटना के महादलित परिवार के बेटे को अमेरिका में ढाई करोड़ की स्कॉलरशिप

आकिल हुसैन।Twocircles.net

बिहार के पटना के एक दलित दिहाड़ी मजदूर परिवार का बेटा अमेरिका में अपना भविष्य संवारेगा। पटना के फुलवारी शरीफ के गोनपुरा गांव के रहने वाले मजदूर जीतन मांझी के 17 वर्षीय पुत्र प्रेम कुमार को अमेरिका के प्रतिष्ठित लाफायेट कॉलेज ने छात्रवृत्ति के रूप में ढाई करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। ख़ास बात यह है कि यह छात्रवृत्ति पूरी दुनिया में केवल 6 लोगों को मिलीं हैं और इसमें प्रेम का नाम भी शामिल हैं। भारत में यह छात्रवृत्ति पाने वाला प्रेम पहला दलित छात्र हैं।‌


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लाफायेट कॉलेज की गिनती अमेरिका के टॉप 25 कॉलेजों में होती है। लाफायेट कॉलेज में चयन पाने वाले दलित छात्र प्रेम चार साल रहकर मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इंटरनेशनल रिलेशनशिप की पढ़ाई करेंगें। कॉलेज की तरफ़ से 2.5 करोड़ की स्कॉलरशिप पाने वाले प्रेम का ट्यूशन फीस, घर, किताबें, हेल्थ इंश्योरेंस, आने-जाने का खर्च शामिल हैं। प्रेम ने अक्टूबर 2021 में लाफायेट कॉलेज में ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया था और मई 2022 में इसका परिणाम आया।

लाफायेट कॉलेज के एडमिशन विभाग के हेड मैथ्यू एस हाइड द्वारा प्रेम को भेजें गए स्वीकृति पत्र में लिखा है कि,” बधाई हो! यह साझा करते हुए मुझे पूर्ण प्रसन्नता हो रही है कि आपको लाफायेट कॉलेज में स्वीकार कर लिया गया है। हम वंचित समुदायों की सेवा करने की आपकी प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प से प्रेरित हुए। आपकी उत्कृष्ट उपलब्धि के कारण आपको एक मार्क्विस स्कॉलर के रूप में चुना गया है। यह सम्मान अत्यधिक प्रतिष्ठित है और इस उपलब्धि पर आपको गर्व होना चाहिए।”

आर्थिक तंगी के चलते प्रेम ने 14 साल की उम्र में प्रेम कुमार ने पटना के ग्लोबल संस्थान से जुड़कर अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया। उसने साल 2020 में दानापुर के उड़ान टोला के एनजीओ शोषित समाधान केंद्र से मैट्रिक पास की और फिर यहीं से इसी वर्ष इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। प्रेम को यह स्कॉलरशिप भी इसी संस्थान की मदद से मिली है। ग्लोबल संस्थान डेक्सटेरिटी ग्लोबल एनजीओ के अंतर्गत हैं।‌ यह एनजीओ शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करती है।

प्रेम कुमार के चयन पर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ शरद सागर ने मीडिया से कहा कि, “साल 2013 से हमने बिहार में दलित बच्चों पर काम शुरू किया था। इस समुदाय के विद्यार्थियों के माध्यम से अगली पीढ़ी के लिए नेतृत्व तैयार करना, उन्हें सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में भेजना हमारा लक्ष्य हैं।  प्रेम कुमार को अमेरिका के कॉलेज से फ़ेलोशिफ मिलना पूरे देश के लिए गर्व की बात है। प्रेम कुमार का यह सफ़र अन्य छात्रों के लिए प्रेरणादायक रहेगा। क्योंकि बिहार के महादलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रेम कुमार पहले छात्र हैं जिन्हें अमेरिका से स्कॉलरशिप मिली है।”

प्रेम कुमार मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते हैं। प्रेम का कहना है कि दलित समाज में आज भी बहुत पिछड़ापन है। वह चाहता है कि अमेरिका जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन दलित समाज के लोगों को भी पढ़ाई के प्रति जागृत करें। स्कॉलरशिप मिलने पर प्रेम ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए मीडिया से बातचीत में कहता है कि,” हमने काफी संघर्ष किया ,है अगर संघर्ष नहीं होता तो यह उपलब्धि प्राप्त नहीं होती, मुझे पढ़ाई के दौरान जो भी अवसर मिले हैं, उसमें हिस्सा लिया और अपनी मंजिल प्राप्त की है। मेरे माता-पिता कभी स्कूल नहीं जा सके,मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है। पिता अभी भी खेतों में दिहाड़ी मजदूर का काम करते हैं।”

प्रेम की सफलता पर परिवार बेहद खुश हैं। प्रेम के परिजन कहते हैं कि यह हमारे समाज नहीं पूरे देश को गर्व करने की बात है। लोगों को पढ़ना चाहिए और परिश्रम कर अपनी सफलता हासिल करनी चाहिए, बिना परिश्रम करे कोई भी सफलता हाथ नहीं लगती।
पांच बहनों में इकलौता भाई प्रेम कुमार कॉलेज जाने वाला वह अपने परिवार का पहला सदस्य है। वो बिहार के मुसहर जाति से ताल्लुक रखता है, यह जाति महादलित कहीं जाती है।‌ प्रेम कुमार के पिता जीतन मांझी मजदूरी करके जीवनयापन करते हैं। प्रेम की मां कलावती देवी का निधन लगभग एक दशक पहले हो चुका है। प्रेम के घर की आर्थिक स्थिति की हालत यह है कि बीपीएल श्रेणी के राशनकार्ड के जरिए मिलें राशन से ही घर का खाना-पीना चलता है। भारत से मात्र 6 नाम लाफायेट कॉलेज में स्कॉलरशिप के लिए भेजे गए थे जिसमें सिर्फ प्रेम का चयन हुआ। लाफायेट कॉलेज की वेबसाइट के मुताबिक यह स्कॉलरशिप उन चुनिंदा छात्रों को दी जाती है, जिनमें दुनिया की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए संकल्पित हो।

पिछड़े वर्ग से आने वाले दिहाड़ी मजदूर के बेटे को 2.5 करोड़ की स्कॉलरशिप मिलने पर हर लोग उसकी तारीफ कर रहे हैं। प्रेम की इस उपलब्धि पर सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश गौरवान्वित हैं।‌ प्रेम की इस उपलब्धि के बारे में जो कोई सुन रहा है उसके मुंह से यहीं सुनाई दे रहा है ‘बिहार की माटी के लाल ने कमाल कर दिया।’

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