खोजबीन : क्या सचमुच नीट के रिजल्ट में मुस्लिम बच्चों ने कोई कमाल कर दिया !

आकिल हुसैन। Twocircles.net

नीट 2022 की परीक्षा में लगभग 1200 मुस्लिम बच्चों ने सफलता हासिल की है इनमें से कई बच्चे मदरसा बैकग्राउंड के हैं तो कई बच्चे हाफ़िज़ भी हैं। इनमें से अधिकतर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं। इन छात्रों ने यह सफलता कुछ ऐसे मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं की मदद से हासिल की है जो वंचित तबके से आने वाले छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की फ्री में तैयारी करवाते हैं। इसमें पश्चिम बंगाल का अल-अमीन मिशन, कर्नाटक का शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस और असम का अजमल फ़ाउंडेशन शामिल हैं। यह संस्थान ज़कात, सदक़ा और समुदाय द्वारा किए गए आर्थिक सहयोग से चलते हैं।


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शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस

शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के लगभग 450 छात्रों का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। शाहीन के दो छात्र आल ओवर इंडिया 1,000 रैंक के अंदर हैं, तीन छात्र 2000 एआईआर रैंक के अंदर, पांच छात्र 3,000 रैंक के अंदर, सात छात्र 4,000 रैंक के अंदर और आठ छात्र 5,000 आल ओवर इंडिया रैंक के अंदर हैं।

नीट 2022 की परीक्षा में 680 अंक लाने वाले हाफ़िज़ मोहम्मद इकबाल शाहीन इंस्टीट्यूट के टॉपर में हैं। इसके अलावा शाहीन इंस्टीट्यूट के हाफिज गुलाम अहमद को 646 अंक प्राप्त हुए तो वहीं हाफ़िज़ मोहम्मद अब्दुल्ला को 632 अंक और हाफिज हुजैफा ने 602 अंक प्राप्त किए हैं। इसके अलावा शाहीन के कई अन्य छात्रों ने नीट परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।‌

शाहीन के टॉपर हाफ़िज़ इकबाल बताते हैं उन्होंने तीसरी बार नीट की परीक्षा दी थी और 720 में से 680 अंक हासिल किए हैं।‌ हाफ़िज़ इकबाल कहते हैं कि हाफ़िज़ा करने के बाद उन्होंने शाहीन इंस्टीट्यूट ज्वाइन किया था। शाहीन के शिक्षको ने बहुत अच्छे तरह से गाइड किया जिससे मुझे नीट क्रैक करने में मदद मिली।

नीट में आल ओवर इंडिया 834 रैंक हासिल करने वाले हाफ़िज़ गुलाम अहमद ज़रदी कहते हैं कि वो अपने परिवार के पहले व्यक्ति हैं जिसका चयन मेडिकल के लिए हुआ है।‌ ग़ुलाम बताते हैं कि वो छठी कक्षा तक निजी स्कूल में पढ़ने के बाद मदरसे में पढ़ने लगें थे। दसवीं कक्षा में 96.4 प्रतिशत और बारहवी में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद, मैंने नीट की तैयारी शुरू की थी।‌ हाफ़िज़ गुलाम कहते हैं कि जब नीट की तैयारी शुरू की तब शुरुआत में समझना बहुत मुश्किल था लेकिन धीरे-धीरे टीचरों के गाइडेंस में सबकुछ आसान हो होता गया। गुलाम कहते हैं कि प्रतिदिन 10-12 घंटे वो पढ़ाई को देते थे।

शाहीन इंस्टीट्यूट के चैयरमेन अब्दुल कदीर कहते हैं कि नीट और जेईई में साल दर साल कॉलेज बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।‌ नीट में हर साल की तरह इस साल भी कॉलेज को सबसे अच्छा परिणाम मिला है। वे कहते हैं कि देश में मदरसा के छात्रों को लेकर काफी विवाद रहा है। शाहीन संस्थान खोलने का मकसद मदरसों के छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने था।‌ हम मदरसों के साथ मुख्यधारा की शिक्षा प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।

शाहीन इंस्टीट्यूट के शिक्षक फैसल माबूद बताते हैं कि शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यून हाफिजों को क्वालिटी एजुकेशन प्रदान कर रहा है, उनके लिए ऐसे कोर्सेज डिजाइन किए गए हैं जिससे मदरसों के बच्चों को 4-5 सालों में इस लायक बनाया जाता है जहां वो डाक्टर, इंजीनियरिंग और यूपीएससी में अपना कैरियर बना सकते हैं और 2022 नीट का रिजल्ट इस बात का उदाहरण हैं जिसमें 12 हाफिजों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

शाहीन इंस्टीट्यूट के चैयरमेन अब्दुल कदीर पेशे से एक इंजीनियर हैं। उन्होंने 1989 में कर्नाटक के बीदर में शाहीन स्कूल की स्थापना की थी उस समय मात्र 17 बच्चें थे। आज देशभर में शाहीन इंस्टीट्यूट की 45 ब्रांच हैं जिसमें 16 हज़ार से अधिक बच्चे शिक्षा हासिल कर रहें हैं।

अल-अमीन मिशन 

अल-अमीन मिशन की बंगाल में 70 ब्रांच हैं जिसमें से लगभग 500 से अधिक बच्चों का चयन नीट परीक्षा में हुआ है। मालदा के तौहीद ने अल-अमीन मिशन में टाप किया है, तौहीद को 690 नंबरों के साथ ऑल इंडिया 472 रैंक प्राप्त हुईं हैं।‌ इसके अलावा मुर्शिदाबाद से 139 छात्रों का चयन हुआ, मालदा से 89 छात्रों का, दक्षिण 24 परगना से 50 छात्रों का बीरभूम से 50 छात्रों, उत्तर 24 परगना से 33 छात्रों, बुडवान से 25 छात्रों का, नदिया से 24 छात्रों का नीट में चयन हुआ। इसके अलावा उत्तर दिनाजपुर से 16 छात्रों का, दक्षिण दिनाजपुर से 15 छात्रों का, हावड़ा से 13 छात्रों, हुगली से 12 छात्रों का नीट में चयन हुआ। बांकुरा से 11 छात्रों का, पूर्वी मिदनापुर से 10 छात्रों, कूचबिहार से 8 छात्रों, पश्चिम मिदनापुर से 7 छात्रों, कोलकाता से 3 और पुरुलिया ज़िले से 3 छात्रों का नीट परीक्षा में चयन हुआ। यह ज़्यादातर जिले बंगाल के ग़रीब जिलों में शामिल हैं।

अल अमीन के संस्थापक एम नूरुल इस्लाम कहते हैं कि अल अमीन में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों और समाज के निचले तबकों से आते हैं।‌ उन बच्चों को कैंपस में एक वातावरण प्रदान किया जाता है ताकि इन परीक्षाओं में वो‌ अपना बेस्ट दे सकें। वो कहते है कि कोलकाता में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान रामकृष्ण मिशन से प्रेरित होकर यह काम शुरू किया था।

एम नुरुल हसन ने वर्ष 1986 में कोलकाता से 70 किलोमीटर दूर हावड़ा जिले के अपने मूल गांव खलतपुर में एक मदरसा के अन्दर 11 छात्रों के साथ अपना संस्थान शुरू किया था। आज अल-अमीन में लगभग 17,000 आवासीय छात्र हैं।‌ इसके अलावा लगभग अल अमीन एनजीओ के पास 3000 प्रोफेसर और गैर-शिक्षण कर्मचारी शामिल हैं जो गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचा रहे हैं।

अल अमीन एनजीओ ने अब तक लगभग 3500 डॉक्टर, 4000 इंजीनियरों और 100 से अधिक सिविल सर्वेंट्स को अपनी मंज़िल तक पहुँचाया है। अल अमीन मिशन देश के मुसलमानों को अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद प्रदान करती है।‌ मिशन लगभग 8 हज़ार बच्चों को छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रहा है।‌ अल अमीन मिशन ज़कात, सदक़े और समुदाय के सहयोग से चलता हैं। अल-अमीन मिशन से सैकड़ें प्रोफ़ेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक अफ़सर जुड़े हैं, जो इस शिक्षा के मिशन को शानदार तरीक़े से आगे बढ़ा रहे हैं।

अजमल फाउंडेशन

इस वर्ष नीट की परीक्षा में अजमल फाउंडेशन के लगभग 250 बच्चों का चयन हुआ है। जो कि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हैं। पिछले वर्ष लगभग 100 बच्चों का नीट में चयन हुआ था। यह सभी बच्चे मदरसा बैंकग्राउंड से आते हैं। अजमल फाउंडेशन असम में के होजई में पिछले 18 सालों से संचालित है, जो मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरी परीक्षाओं की तैयारी कराता है।

अजमल फाउंडेशन के लगभग 15 छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। शोंवर हुसैन ने कुल 720 अंकों में से 641 अंक हासिल करके अजमल सुपर 40 में टॉपर बने‌। इसके अलावा जमनाज अख्तर ने 638 अंक हासिल किए, नबिउल इस्लाम ने 636 अंक हासिल किए, शाहिद अहमद ने 635 अंक हासिल किए, हबीबा फिरदौस ने 635 अंक हासिल किए, सबा ने 631 अंक हासिल किए, अहमद जे. अल-अमन ने 622 अंक हासिल किए, मोहम्मद नूर अली ने 620 अंक प्राप्त किए हैं।‌

अजमल फाउंडेशन के निदेशक डॉ. खुसरूल इस्लाम कहते हैं कि नीट का रिजल्ट हमारे टीचरों के समर्पण का नतीजा है। टीचरों ने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया जिसकी बदौलत इतना शानदार रिजल्ट आया है।

अजमल फाउंडेशन की असम में लगभग 25 ब्रांच हैं जहां कमजोर, वंचित परिवारों के बच्चों को शिक्षा दी जाती है। अजमल फाउंडेशन शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करके पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष और सांसद बदरुद्दीन अजमल इस संस्था के अध्यक्ष हैं।

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