By TCN News,
अपने वजूद को मजबूत और क़ाबिल मानकर आगे बढ़ रही मोदी सरकार के दावे चाहे जो भी हों, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि मोदी सरकार कुम्भकर्ण की नींद सो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी फटकार से केन्द्र सरकार को शर्मसार करते हुए गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार कुम्भकर्ण की माफ़िक व्यवहार कर रही है, जो लम्बी नींद में सोया रहता था. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की तुलना 19वीं सदी के काल्पनिक पात्र ‘रिप वान विंकल’ से भी की, जो अपने स्वभाव में बेहद काम चोर था.
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में छपी खबर के मुताबिक़ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आर.एफ. नरीमन की बेंच ने केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को डांट पिलाने के दौरान केन्द्र सरकार को भी इन विशेषणों से विभूषित किया. सर्वोच्च न्यायालय केन्द्र सरकार और केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की लापरवाही से काफ़ी नाराज़ है.
दरअसल मामला एक रपट से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से दो महीनों के भीतर भागीरथी और अलकनंदा पर चल रही सभी जलविद्युत परियोजनाओं द्वारा बायोडायवर्सिटी पर पड़ रहे प्रभावों के मद्देनज़र एक रिपोर्ट मांगी थी. इस रिपोर्ट के आने तक सभी परियोजानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने जलविद्युत परियोजनाओं और जैवविविधता के बीच के संतुलन को बल दिया है. यह प्रश्न अदालत ने सरकार से भी पूछा कि इन दोनों पक्षों के बीच संतुलन कैसे विकसित किया जाए?
गुरुवार, यानी तयशुदा समय, तक रिपोर्ट पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार से कड़े शब्दों में कहा, ‘रिपोर्ट को यहां होना चाहिए था. आप (केंद्र सरकार) कुंभकर्ण की तरह व्यवहार कर रहे हैं. हम नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर केंद्र सरकार ने हमारे सामने रिपोर्ट पेश क्यों नहीं की? आपकी (केंद्र) मंशा क्या है? आपको काफ़ी समय दिया जा चुका है. आप ‘रिप वान विंकल’ जैसे ही हैं.’