पटना में अनशन पर बैठे छात्रों की पिटाई, 7 छात्र बुरी तरह घायल

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना : पिछले 35 दिनों से चल रहे पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्रों का अनशन आज हिंसा में तब्दील होती नज़र आई.


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अनशन पर बैठे छात्रों का आरोप है कि हमारे साथ वादा-खिलाफ़ी कर धोखे से परीक्षा संचालित कराने को लेकर आक्रोशित छात्राओं पर कालेज के प्रभारी प्राचार्य के गुर्गों ने पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन की मौजूदगी में प्राण-घातक हमला करवाया गया. इस हमले के दरम्यान 7 छात्र बुरी तरह घायल हुए हैं. जिन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्त्ती किया गया है.

Patna Art College

हालांकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि अनशन पर बैठे छात्रों पर हमला करने वाले खुद को ‘छात्र-समागम’ के कार्यकर्ता बता रहे थे. लेकिन अनशनकारी छात्रों का कहना है कि हमला करने वाले प्रभारी प्राचार्य के समर्थक थे. इसीलिए मौक़े पर मौजूद पुलिस बल न सिर्फ़ मूकदर्शक बना रहा, बल्कि न्याय की गुहार लगा रहे छात्रों पर हमला बोलने वालों को ही शह देता नज़र आया.

बताते चलें कि अस्पताल में भर्ती घायल छात्रों में विकास कुमार का सिर फट गया है. गौतम यादव के पैर, घुटना एवं सिर में चोट आई है. संजय कुमार को हाथ में चोट लगी है. आदित्य कुमार के फटे सिर में 6 टांके लगे हैं और गौरव के सिर व हाथ में चोट है. रामाकांत की पीठ और हाथ चोट से फट गये हैं और नीतीश कुमार को सिर में चोट लगने से बेहोश होने के चलते मस्तिष्क में आंतरिक चोट के मद्देनजर सिटी-स्कैन की सलाह दी गयी है.

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इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव-मंडल ने भी एक आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस हमले की तीव्र निंदा की है और साथ ही सरकार और प्रशासन की संवेदनहीनता पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए तमाम लोकतंत्र प्रेमियों से अपील की है कि वे राज्य में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता के माहौल में वाजिब मांगों के लिए बैठे आंदोलनकारी छात्रों के समर्थन में आवाज़ बुलंद करने के लिए आगे आएं.

इतना ही नहीं, पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक से तत्काल कारगर हस्तक्षेप कर इस मामले को सुलझाने की अपील की है.

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का आरोप है कि पुलिस अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में घुसकर घायल छात्रों के साथ बदसलूकी करते हुए उन्हें घसीटकर थाना ले जाने की कोशिश की है. दर्जनों छात्रों को गिरफ्तार कर जहां-तहां छिपाकर क़ैद रखा गया है और पत्रकारों समेत किसी को भी उनका अता-पता नहीं बताया जा रहा है. यानी यह गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा अपहरण का मामला प्रतीत होता है.

पार्टी का यह भी आरोप है कि पीरबहोर थाना के प्रभारी ने घायल छात्रों की ओर से एफआईआर दर्ज करने से भी इंकार कर दिया है.

स्पष्ट रहे कि कॉलेज कैंपस में काम करने वाले अभिकर्ता द्वारा हॉस्टल से बिजली का कनेक्शन जोड़ने को लेकर 21 अप्रैल को विवाद हुआ. विवाद के बीच उसी रात अभिकर्ता के समर्थन में कुछ लोगों ने कैंपस पहुंचकर छात्र विशेंद्र नारायण सिंह की बेहरमी से पिटाई की. छात्रों का कहना है कि यह पिटाई प्रिंसिपल डॉ. चंद्रभूषण श्रीवास्तव की उपस्थिति में की गई. इस घटना के बाद 2 मई को जब छात्र फोटो प्रदर्शनी के साथ शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, प्रिंसिपल की ओर से आठ छात्रों के खिलाफ़ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने व अन्य आरोप लगाते हुए एफ़आईआर दर्ज कराकर कॉलेज से निलंबित कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ़ इस मामले कॉलेज के छात्र विशेंद्र नारायण सिंह ने मारपीट का आरोप लगाते हुए अभिकर्ता के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराया है. उसके बाद छात्रों के निलंबन को रद्द करने के साथ-साथ अपने कई मांगों को लेकर छात्र अनशन पर बैठ गए. पिछले 35 दिनों से चल रहे इस छात्र-आंदोलन को आर्ट एंड कल्चर फेडरेशन और एआईएसएफ का समर्थन हासिल है.

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