पटना में दलित छात्रों की पिटाई पर गरमायी सियासत

TwoCircles.net Staff Reporter

पटना / नई दिल्ली : गुजरात के बाद अब बिहार में दलित छात्रों की पिटाई के मुद्दे पर राजनीति गरमाती नज़र आ रही है. वो नेता भी इस मसले पर बयान देते नज़र आ रहे हैं, जो गुजरात में दलितों की पिटाई पर चुप्पी साधे हुए थे.


Support TwoCircles

आज इस मुद्दे की गुंज लोकसभा में भी सुनाई दी तो वहीं बिहार विधानसभा में भी इस मसले को लेकर जमकर हंगामा हुआ.

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग़ पासवान ने यह मुद्दा उठाते हुए जहां इसकी सीबीआई जांच की मांग की, तो वहीं विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी इस मसले पर बोलते नज़र आएं. उन्होंने भी इस मुद्दे पर आज से ही छात्र आन्दोलन का ऐलान कर दिया है. साथ ही ये संकेत भी दे दिया है कि वो इस मसले पर चुप नहीं बैठेंगे, बल्कि जमकर ‘राजनीत’ करेंगे.

Black Day in Bihar

दरअसल, यह मामला राज्य के विभिन्न ज़िलों में अवस्थित अम्बेडकर हॉस्टलों से आये हजारों दलित छात्रों ने दलित छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में कटौती और प्रोन्नति में दलितों के लिए आरक्षण की मांग करते हुए ‘भारतीय छात्र कल्याण संघ’ के बैनर तले बुधवार को राजधानी पटना में जुलूस निकाला जिसे गांधी मैदान के निकट जेपी गोलंबर के पास रोककर पुलिस प्रशासन ने पहले उनके एक शिष्टमंडल को कल्याण विभाग के प्रधान सचिव के यहां बातचीत के लिए भेज दिया और उसके बाद सरकारी कार्य में बाध डालने का आरोप मढ़ते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों को चारो तरफ़ से घेर कर उन पर बेरहमी से लाठियां बरसानी आरंभ कर दी, जिसमें दर्जनों छात्र घायल हो गये. चार के सिर फट गये और सैकड़ों छात्रों को गिरफ़्तार कर दूरस्थ थानों में भेज दिया.

हालांकि इस घटना में छात्रों की ओर से भी पथराव किया गया, जिसमें 7 पुलिस वाले भी घायल हुए, जिसमें एक पुलिस निरीक्षक और छह आरक्षी शामिल हैं.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज के मुताबिक़ इस पूरे घटना में 13 लोग घायल हुए, जिसमें 6 छात्र भी शामिल है. इन छात्रों को इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

घायल छात्रों से कल देर रात भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य सचिवमंडल के सदस्य रामबाबू कुमार, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लायर्स के राज्याध्यक्ष व पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा तथा एआईएसएफ़ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने मुलाक़ात कर उनसे पूरी स्थिति का जायज़ा लिया.

छात्रों ने इस मुलाक़ात में बताया कि पुलिस वाले सीटी एसपी के इशारे पर घेर-घेर कर छात्रों को सीधे सिर पर लाठियां बरसा रहे थे और खदेड़-खदेड़कर तांडव रचा रहे थे. जबकि छात्र पूर्णतः शांतिपूर्ण तरीक़े से शिष्टमंडल के वापस आने तक इंतज़ार करना चाहते थे.

इस मुलाक़ात के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह मांग रखी कि दलित छात्रों पर बर्बर पुलिसिया हमले की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश से कराई जाए. साथ ही सीटी एसपी चन्दन कुशवाहा को अविलंब बर्खास्त किया जाए और उनकी जगह संवेदनशील अधिकारी की नियुक्ति की जाए.

उन्होंने अपने मांग में यह भी सामने रखी कि दलित छात्रों की वाजिब मांगें स्वीकार कर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाए. घायल छात्रों का चिकित्सा खर्च सरकार उठाए और उन्हें मुआलजे का भुगतान करे. इतना ही नहीं, दलित अत्याचार पर फौरन अंकुश लगाया जाए और मामलों का त्वरित निष्पादन सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक विधिक व्यवस्था की जाए.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE