आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
मुज़फ्फ़रनगर: अगर आप कभी मुज़फ्फ़रनगर गए हों और आपने मक़बूल की तहरी नही खाई है तो वापस जाइये और खाकर आइये. यह जायका-ए-मुज़फ्फरनगर है और 25 हजार से ज्यादा आबादी वाला मुज़फ्फरनगर का सबसे चर्चित मोहल्ला ‘खालापार’ मुसलमानों का ग़ढ है. सबकी नज़र रहती है कि ‘खालापार’ किसे वोट कर रहा है? यहां के एक दूसरे मोहल्ले मंडी, जो कि हिन्दूबहुल है, खालापार का रुख देखकर बात करता है. खालापार समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है. ऐसा लगता भी है क्योंकि पिछले 25 सालों से यहां मुसलमानों ने सपा को ही वोट किया है.
अब भी यही माहौल है. ज्यादातर लोग समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप के पुत्र गौरव स्वरूप के साथ ही जुटे हैं. गौरव के ताऊ विष्णु स्वरूप भी पूर्व में विधायक रहे हैं और उनकी खालापार से बिल्कुल सटे लोहिया बाजार में लगभग 100 साल पुरानी सर्राफा की दुकान है, जिसके ज़रिए उनका खालापार के मुसलमानों से पुराना जुड़ाव है. गौरव के पिता चितरंजन स्वरुप यहां से कई बार विधायक और मंत्री रहे हैं. पिता के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में वो भाजपा के कपिलदेव अग्रवाल से हार गए थे.
खालापार का इलाका हमेशा से ज़्यादातर इसी परिवार को वोट करता है. इस बार भी इनकी ओर झुकाव ज्यादा है. यह बात मीडिया द्वारा खालापार की बनाई गयी छवि से अलग है मगर सच यही है कि खालापार का इलाका हमेशा दूसरे समुदाय के लोगों को ही विधायक चुनता रहा है. वो भी एक ही ‘स्वरूप परिवार’. समाजवादी पार्टी के उभार से पहले यहां कांग्रेस के विद्याभूषण को वोट जाता था.
हालांकि खालापार के लोग मीडिया द्वारा बनाई गयी उनकी खलनायक की छवि के खिलाफ हैं. रिवायतों की सफहे नहीं बदलते मगर इस बार प्लान थोड़ा-सा बदल गया है. मुस्लिम मतदाता जागरूकता अभियान चला रहे हैं लेकिन वे किसे वोट करेंगे इसका प्रचार नही कर रहे हैं. हमसे बातचीत में पैग़ाम-ए-इंसानियत संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष आसिफ राही ने कहा, ‘इस समय भारत की स्थिति बेहद संवेदनशील हैं. साम्प्रदायिक ताक़तें देश की एकता व अखण्डता के खिलाफ़ षड्यंत्र में व्यस्त हैं, उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि मुस्लिम इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं का वोट प्रतिशत काफ़ी कम रहता है. जिस कारण हम लोग इस जागरूकता में सबसे पीछे की पंक्ति में नज़र आते हैं.’
उन्होंने कहा कि ये याद रखें कि जो समाज मतदान से दूर रहता है, देश के विकास में उसकी कोई भागीदारी नहीं होती. हम लोगों को आज ये शपथ लेनी होगी कि हम सब मिलकर आपसी कलह को दरकिनार करते हुए एक होकर मज़बूती के साथ देश की एकता के लिए मतदान करेंगे.
जमीअत उलेमा मुज़फ़्फ़रनगर के सचिव मौलाना मूसा कासमी ने कहा कि सांप्रदायिक ताक़तों द्वारा मुजफ्फरनगर में एक बार फिर चुनाव के मद्देनज़र माहौल को खराब करने की कोशिशें हो सकती हैं, हम सभी को मिलकर बड़ी सावधानी से काम लेने की सख्त ज़रूरत है. हम इसका जवाब अपने मतदान के द्वारा ही देंगे.
मोहम्मद अहमद खां ने कहा कि बीएलओ से मिलकर पर्चियां घर-घर पहुंचाना ज़रूरी है तो मोहम्मद इस्लाम एडवोकेट ने कहा कि ये हमारे लिए शर्म की बात है कि पिछले चुनावों में कुछ बूथ ऐसे थे, जहां मुस्लिमों का पोलिंग प्रतिशत 25 प्रतिशत से भी कम रहा है.
मोहम्मद इकराम ने कहा कि हमें टीम गठित करके एक व्यक्ति को कम से कम 30 घरों की ज़िम्मेदारी देनी होगी. मोहम्मद तारिक़ कुरैशी ने कहा कि हमें एक होकर मतदान करने की आवश्यकता है.
राजू ज़ैदी ने अपने इलाक़े में 10-10 लोगों की टीम बनाकर मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने की ज़िम्मेदारी ली. वहीं महबूब आलम एडवोकेट ने सब लोगों को मीटिंग में तय किये गये एजेण्डे पर चलने की सलाह दी तो क़मरूज़्ज़मा एडवोकेट ने महिलाओं को मतदान के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. नज़र ख़ाँ ने कहा कि ये चुनाव हमारा आने वाला भविष्य तय करेगा, वहीं आमिर अंसारी ने लोगों को कहा कि हमें आंखें खोलकर मतदान करने की ज़रूरत है.
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