सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी : कल यानी 11 फरवरी दिन शनिवार को बनारस में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की एक यात्रा प्रस्तावित थी. 9 फरवरी की रात तक एसपीजी ने यात्रा का एक रूट कई मीटिंगों के बाद तय कर लिया था और समाचार पत्रों को लगभग सूचित भी किया जा चुका था. लेकिन अचानक रात को खबर आयी कि राहुल-अखिलेश का रोड-शो स्थगित कर दिया गया है. इसके पीछे कारण बताया गया आज रविदास जयन्ती के दिन जुटने वाली भीड़ को.
लेकिन इसके साथ कयास लगने शुरू हो गए कि क्या सचमुच राहुल-अखिलेश का रोड-शो रविदास जयंती की वजह से रद्द किया गया, या इसके पीछे कोई और भी कारण था?
दरअसल सबसे बड़ी अघोषित वजह के रूप में जो बात सामने आ रही है, वह है कांग्रेस के एक प्रत्याशी का विरोध. प्रत्याशी का नाम है हाजी अब्दुल समद अंसारी.
हाजी अब्दुल समद अंसारी पहले सपा में थे और उन्होंने बनारस की शहर उत्तरी विधानसभा सीट के लिए दावेदारी पेश की थी. इस सीट पर वे पहले भी विधायक रह चुके हैं. जिस दौरान मुलायम और अखिलेश में नोंक-झोंक चल रही थी, उस समय मुलायम सिंह यादव ने अपनी लिस्ट जारी की थी. उस लिस्ट में अब्दुल समद अंसारी का टिकट काट दिया गया था. बाद में अखिलेश यादव की लिस्ट में समद का टिकट बरकरार रखा गया. लेकिन सपा और कांग्रेस में गठबंधन के बाद यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गयी.
बस ठीक इसी बिंदु पर जो गतिरोध शुरू हुआ, उसे शुरू करने में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा हाथ है. शहर उत्तरी में बुनकरों की संख्या और वोटबैंक पर अब्दुल समद अंसारी की पकड़ देखते हुए कांग्रेस ने पार्टी से बाहर जाते हुए अब्दुल समद अंसारी को टिकट दे दिया.
इसके बाद कांग्रेस के टिकट की प्रतीक्षा में बैठी राबिया कलाम के समर्थक गुस्सा हो गए और उन्होंने हर जगह प्रदर्शन करना शुरू कर दिया कि कांग्रेस के बाहर का प्रत्याशी नहीं चलेगा. इस दौरान मीडिया ने समद अंसारी से संपर्क करने की कोशिश की तो समद अंसारी ने साफ़ शब्दों में कह दिया कि उन्हें टिकट भले ही कांग्रेस ने दिया है लेकिन वे दिल से समाजवादी हैं.
हाजी अब्दुल समद अंसारी के इस वक्तव्य के बाद बवाल और भी ज्यादा बड़ा हो गया. आनन-फानन में कल शहर कांग्रेस कमेटी ने अब्दुल समद अंसारी को कांग्रेस की सदस्यता दिला दी. लेकिन मामला सम्हाले न सम्हला क्योंकि राबिया कलाम के समर्थकों की ओर से भयानक तौर पर पार्टी की इन कार्रवाईयों का विरोध किया जा रहा था.
इस प्रकरण के बाद से शहर में यह बात उठने लगी है कि दो मुस्लिम नेताओं – राबिया कलाम और हाजी अब्दुल समद अंसारी – में नोंक-झोंक की वजह से गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
एसपीजी जिस दौरान रोड-शो का रूट फाइनल कर रही थी, उस दौरान इस तथ्य की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया कि राहुल-अखिलेश को किसी किस्म के विरोध का सामना न करना पड़े. लेकिन हर रास्ते पर यह ख़तरा बना हुआ था.
पार्टी से जुड़े एक नेता नाम न प्रकाशित करने की शर्त बताते हैं, ‘दरअसल विरोध इतना ज्यादा है कि कोई भी रूट फाइनल नहीं हो सका है. हम रोड-शो करना चाहते हैं लेकिन समाजवादी पार्टी इससे संतुष्ट नहीं है.’
दरअसल अखिलेश-राहुल के रोड-शो का जब ऐलान किया गया तो कांग्रेस के साथ-साथ सपा की ओर से भी बनारस में कुछ प्रतिनिधि भेजे गए. सूत्र बताते हैं कि उन प्रतिनिधियों ने पार्टी हाईकमान को जो रिपोर्ट दी, उसमें अब्दुल समद अंसारी के विरोध को रोड-शो में प्रमुख रोड़ा बताया. पार्टी को यह बात समझ आई कि नए-नवेले गठबंधन के बाद यदि विरोध झेलना पड़ा तो कांग्रेस के साथ-साथ सपा की भी बहुत किरकिरी होगी.
कोई भी मीडिया समूह जब कांग्रेस के नगर प्रकोष्ठ से बात कर रहा था तो पार्टी पदाधिकारी किसी भी किस्म के विरोध की आशंका से नकार रहे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी से बात करने पर अनिश्चितता की बात सामने आ रही थी.
ऐसे में रोड-शो रद्द होने में हाजी अब्दुल समद अंसारी को टिकट मिलना सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है, इसके साथ ही कांग्रेस के शीर्ष प्रतिनिधित्व में फैसले लेने और किसी किस्म के गतिरोध को सुलझा पाने की नाकाबिलियत को भी रोड-शो के रद्द होने की एक बड़ी वजह माना जा रहा है.